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लक्षणों से जानिए कहीं आपको तो नहीं हो गया जीका वायरस का संक्रमण? ऐसे करें डेंगू और जीका में अंतर की पहचान

नई दिल्ली। देश में जारी कोरोना और डेंगू के प्रकोप के बीच हालिया रिपोर्टस में जीका वायरस के बढ़ते मामलों ने स्वास्थ्य विभाग की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। खबरों के मुताबिक कानपुर में अब तक करीब 10 लोगों में जीका वायरस की पहचान की जा चुकी है।

जीका के बढ़ते केस के बीच स्वास्थ्य विभाग को अलर्ट पर रखा गया है। एडीज मच्छरों के काटने के कारण होने वाली इस बीमारी को स्वास्थ्य विशेषज्ञ बेहद खतरनाक और जानलेवा मानते हैं। मौजूदा समय में जीका वायरस का कोई भी विशिष्ट उपचार उपलब्ध नहीं है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक कोरोना और डेंगू के बढ़ते मामलों के बीच जीका वायरस के केस ने समस्याओं को बढ़ा दिया है। मरीजों के लिए इन तीनों रोगों में अन्तर कर पाना कठिन हो सकता है, ऐसे में रोग का समय पर निदान न हो पाने के कारण स्थिति बिगड़ने का डर रहता है।

चूंकि डेंगू और जीका दोनों ही मच्छरों के काटने से होने वाली बीमारियां है, ऐसे में इस समय सभी लोगों को मच्छरों से बचाव के हर संभव उपाय करने चाहिए। आइए आगे की स्लाइडों में विशेषज्ञों से जीका वायरस के कारण होने वाली समस्याओं के बारे में जानते हैं। इसके साथ ही जानते हैं कि जीका, डेंगू और कोरोना में कैसे अंतर किया जा सकता है?


जीका वायरस क्या है और इसके लक्षण कैसे होते हैं?
अमर उजाला से बातचीत में वाराणसी स्थित एक अस्पताल में वरिष्ठ डॉक्टर मृत्युंजय पाठक बताते हैं, जीका वायरस एक मच्छर जनित बीमारी है, जो एडीज मच्छर से फैलती है। मच्छरों की यही प्रजाति डेंगू और चिकनगुनिया का भी कारण बनती है। जीका वायरस के शिकार लोगों में अक्सर लक्षण नजर नहीं आते हैं, या फिर इसके लक्षण बहुत हल्के हो सकते हैं।

रोगियों में बुखार, चकत्ते, जोड़ों, और आंखों के पीछे दर्द, उल्टी जैसी दिक्कत हो सकती है। ऐसे ही लक्षण आमतौर पर डेंगू में भी होते हैं, यही कारण है कि लोगों के लिए इन दोनों में अंतर कर पाना कठिन हो जाता है। ध्यान देने वाली बात यह है कि गर्भवती महिलाओं में जीका वायरस गंभीर जटिलताओं का कारण बन सकती है, इससे भ्रूण को भी नुकसान पहुंच सकता है। 

कैसे फैलता है जीका वायरस?
डॉक्टर मृत्युंजय बताते हैं, संक्रमित मच्छरों के काटने के अलावा जिन इलाकों में जीका वायरस का प्रकोप हो वहां की यात्रा करने से संक्रमण का खतरा हो सकता है। इसके अलावा संक्रमित व्यक्ति से शारीरिक संबंध बनाने या फिर रक्त के आदान-प्रदान से भी यह संक्रमण हो सकता है। जीका के लक्षण फ्लू से मिलते-जुलते हैं और ज्यादातर लोगों में ये इतने हल्के होते हैं कि उन पर किसी का ध्यान नहीं जाता। जीका के गंभीर संक्रमण के कारण मस्तिष्क और आंखों को गंभीर क्षति हो सकती है।


जीका वायरस का इलाज और बचाव
डॉक्टरों के मुताबिक मौजूदा समय में जीका वायरस का कोई इलाज नहीं है। जिन लोगों में इसका निदान किया जाता है उन्हें आराम करने, अधिक मात्रा में तरल पदार्थों के सेवन के साथ लक्षणों को कम करने वाली दवाइयां दी जाती है। जीका वायरस से बचाव के लिए फिलहाल कोई टीका भी उपलब्ध नहीं है। संचरण से सुरक्षित रहने के लिए मच्छरों से बचाव करना आवश्यक होता है। उन स्थानों पर जाने से बचें जहां जीका वायरस का प्रकोप हो। 

जीका, डेंगू और कोरोना में कैसे अंतर करें?
डॉक्टर मृत्युंजय कहते हैं मौजूदा समय में इन तीनों का खतरा बरकरार है, साथ ही इनके लक्षण भी कमोबेश एक जैसी ही होते हैं, पर समय पर इनमें अंतर कर इलाज आवश्यक होता है। तीनों ही स्थितियों में बुखार होता है।

कोरोना में बुखार के साथ स्वाद और गंध न आने की दिक्कत और गंभीर मामलों में सांस की समस्या हो सकती है। जबकि डेंगू और जीका में सांस और गंध न आने की दिक्कत नहीं होती है। इसके अलावा डेंगू के बुखार में रोगी का ब्लड प्लेटलेट्स काउंट तेजी से कम होने लगता है, जबकि जीका वायरस और कोविड-19 में प्लेटलेट्स काउंट कम होना आसामान्य है। स्थिति के बेहतर निदान के लिए खून की जांच कराना चाहिए। 

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