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शराब घोटाला : आखिर मनीष सिसोदिया ने क्या की गलती? ईडी ने बताई पूरी बात

नई दिल्‍ली (New Delhi) । दिल्ली के कथित शराब घोटाले (liquor scam) में केंद्रीय एजेंसियां नित नए खुलासे कर रही हैं तो दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) के नेता भी केंद्र सरकार पर तरह-तरह के आरोप लगा रहे हैं। इसी कड़ी में प्रवर्तन निदेशालय के नए दावे सामने आए हैं। प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate, ED) ने दिल्ली की विशेष अदालत के समक्ष दावा किया है कि आम आदमी पार्टी के नेता एवं पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) शराब घोटाले की जांच को बाधित करने के लिए बड़े पैमाने पर डिजिटल सबूतों को नष्ट करने में कथित तौर पर शामिल थे। इसके लिए उन्होंने 14 फोन बदले या उन्हें नष्ट कर दिया।

जीओएम की बैठकों में तय नहीं हुई सिफारिशें
एजेंसी ने शुक्रवार को मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) की हिरासत को बढ़ाने की मांग की थी। ईडी ने अपने रिमांड आवेदन में कई दावे और खुलासे किए। ईडी ने अदालत से कहा कि दिल्ली की नई आबकारी नीति 2021-22 में थोक विक्रेताओं के लिए 12 फीसदी की लाभ मार्जिन तय करने समेत कई अन्य सिफारिशों को मंत्रियों (जीओएम) की बैठकों में तय नहीं किया गया था। इन्हें बाहरी सोर्सेज के कहने पर लिया गया था। ईडी ने विशेष न्यायाधीश एमके नागपाल के समक्ष उक्त आवेदन दिया। ईडी की दलीलों और दावों पर गौर करते हुए विशेष न्यायाधीश नागपाल ने सिसोदिया की हिरासत दिनों के लिए बढ़ा दी थी।


मनी लॉन्ड्रिंग अपराध के आरोपी
ईडी ने यह भी कहा कि अब तक की छानबीन से संकेत मिलता है कि सिसोदिया अपराध की आय को हासिल करने से जुड़ी गतिविधि में शामिल थे। वह मनी लॉन्ड्रिंग अपराध के दोषी हैं। मालूम हो कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 9 मार्च को तिहाड़ जेल में सिसोदिया को गिरफ्तार किया था। वह तिहाड़ में सीबीआई की ओर से जांच किए जा रहे मामले में बंद थे। सीबीआई ने सिसोदिया को 26 फरवरी को गिरफ्तार किया था। ईडी सिसोदिया के खिलाफ शराब घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों की जांच कर रही है।

सिसोदिया ने 14 फोन नष्ट किए
ईडी ने अदालत से सिसोदिया की हिरासत सात दिन और बढ़ाने की मांग की थी। एजेंसी ने आरोप लगाया कि सिसोदिया ने ऐसी जानकारी छिपाई जो इस केस की जांच के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। ईडी ने अपने आवेदन में कहा कि सिसोदिया की हिरासत में पूछताछ के बाद जो तथ्य सामने आए हैं उनमें पाया गया है कि वे (Manish Sisodia) जांच को बाधित करने और बड़े पैमाने पर डिजिटल सबूतों को नष्ट करने में शामिल थे। शराब घोटाले की एक साल की अवधि के दौरान, सिसोदिया ने 14 फोन बदले या नष्ट कर दिए। इनमें से केवल एक फोन सीबीआई द्वारा बरामद किया जा सका।

जानबूझकर नष्ट किए सबूत
ईडी ने कहा कि फोन बदलने की वजहों के बारे में पूछे जाने पर, सिसोदिया का गोलमोल जवाब था। सिसोदिया का कहना था कि फोन खराब हो गए थे इसलिए उन्हें बदलना पड़ा। हालांकि वह यह नहीं बता सके कि उन्होंने खराब हो चुके फोन के साथ क्या किया। यही नहीं सिसोदिया (Manish Sisodia) ने अन्य लोगों के नाम से खरीदे गए फोन का भी इस्तेमाल भी किया ताकि उन्हें बहाना मिल जाए कि फोन दूसरों के हैं। ये 11 मोबाइल फोन या आईएमईएल (IMEls) केंद्रीय जांच एजेंसियों की तलाशी में बरामद नहीं किए गए। बड़े पैमाने पर डिजिटल सबूतों को जानबूझकर नष्ट किया गया ताकि मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध में संलिप्तता उजागर ना होने पाए।

केवल दिखावा थीं GoM की बैठकें
आवेदन में कहा गया है कि एजेंसी इस निष्कर्ष पर पहुंची है कि सिसोदिया ने मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध के सबूतों को नष्ट करने के जानबूझ कर प्रयास किए। थोक विक्रेताओं के लिए 12 प्रतिशत लाभ मार्जिन का निर्धारण एक ‘दक्षिणी समूह’ की मिलीभगत से किया गया था। आबकारी विभाग के विभिन्न अधिकारियों के बयानों एवं अन्य भौतिक साक्ष्यों बताते हैं कि मंत्रियों के समूह (GoM) की बैठकें केवल दिखावा थीं। इन GoM बैठकों में विषय पर कोई चर्चा नहीं की गई थी साथ ही किसी तरह का निर्णय भी नहीं लिया गया था।

100 करोड़ रुपये की रिश्वत दी गई
ईडी का कहना है कि साउथ ग्रुप एक कथित शराब कार्टेल है, जिसने नई आबकारी नीति 2020-21 (रद्द की गई) के तहत दिल्ली में शराब के कारोबार का बड़ा हिस्सा हासिल करने के लिए आम आदमी पार्टी को कथित तौर पर लगभग 100 करोड़ रुपये की रिश्वत दी। साउथ ग्रुप में सरथ रेड्डी (अरबिंदो फार्मा के प्रमोटर), मगुंटा श्रीनिवासुलु रेड्डी (आंध्र प्रदेश में ओंगोल से वाईएसआर कांग्रेस सांसद), उनके बेटे राघव मगुंटा और केसीआर की बेटी के. कविता एवं अन्य शामिल हैं। जीओएम रिपोर्ट में प्रस्तुत प्रमुख सिफारिशें (12 प्रतिशत कमीशन तय करने समेत) पर बैठकों में न तो चर्चा की गई और ना ही इन पर निर्णय लिया गया।

मेल डंप में 1.23 लाख मेल
ईडी का दावा है कि आबकारी विभाग के अधिकारियों से जब पूछताछ की गई तो उन्होंने बताया कि नई आबकारी नीति को लेकर लिए गए फैसले या GoM रिपोर्ट के मसौदे को तैयार करने में आबकारी विभाग ने भाग नहीं लिया। एजेंसी ने अधिकारियों से सिसोदिया की हिरासत के दौरान पूछताछ की थी। यही नहीं इनका सामना भी कराया गया था। ईडी का कहना है कि सिसोदिया से पूछताछ के दौरान, उनके मोबाइल फोन के डेटा को निकाला गया। साथ ही उनका आईक्लाउड और ईमेल डंप भी कब्जे में लिया गया। आवेदन में कहा गया है कि मेल डंप में 1.23 लाख मेल थे जिसका विश्लेषण किया जा रहा है। इसके अलावा कई अन्य सबूत भी सामने आए हैं।

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