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गैंगस्टर एक्ट में माफिया डॉन मुख्तार अंसारी को 10 साल की जेल, पांच लाख का जुर्माना

लखनऊ: गैंगस्टर एक्ट में माफिया डॉन मुख्तार अंसारी और भीम सिंह पर दोष सिद्ध हो गया है. मामले में दोनों पक्षों के वकीलों ने गाजीपुर गैंगस्टर कोर्ट में बहस किया, लेकिन अंत में फैसला मुख्तार अंसारी के खिलाफ गया. कोर्ट ने अपने फैसले में मुख्तार को 10 साल की जेल और पांच लाख रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है. अंसारी वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से कोर्ट की सुनवाई में शामिल हुए. साल1996 में गैंगस्टर एक्ट के तहत मामला दर्ज हुआ था.

मुख्तार पर गैंगस्टर एक्ट में कुल 5 मामले दर्ज हुए थे, इनमेंदो गाजीपुर, दो वाराणसी और एक चंदौली का मामला शामिल है. इससे पहले कल यानि बुधवार को ईडी ने मुख्तार अंसारी को गिरफ्तार किया था. यह गिरफ्तारी पीएमएलए के तहत की गई थी. प्रयागराज कोर्ट में मुख्तार को पेश कर ईडी ने कस्टडी रिमांड मांगी थी.

केंद्रीय जांच एजेंसी ईडी पीएमएलए के तहत अंसारी और उनके करीबियों के ठिकानों पर छापा मार चुकी है . पुराने आपराधिक मामलों में इस समय मुख्तार यूपी की बांदा जेल में बंद हैं. ईडी ने पिछले साल मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अंसारी से पूछताछ की थी. ईडी ने नवंबर में प्रयागराज में अपने ऑफिस में पूछताछ के बाद उनके विधायक बेटे अब्बास अंसारी को भी अरेस्ट कर लिया था.


मुख्तार अंसारी के खिलाफ केस दर्ज
इससे पहले मुख्तार अंसारी के रिश्तेदार आतिफ रजा को गिरफ्तार किया गया था. अंसारी के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला यूपी पुलिस द्वारा दर्ज किए गए एफआईआर से निकला है. इसके अलावा विकास कंसट्रक्शंस नामक कंपनी के खिलाफ दो प्राथमिकियां दर्ज की गई थीं, जिसे अंसारी की पत्नी, आतिफ रजा समेत दो रिश्तेदार व अन्य लोग चला रहे थे.

49 आपराधिक मामलों में हैं आरोपी
मुख्तार अंसारी जमीन कब्जाने, मर्डर और वसूली समेत कम से कम 49 आपराधिक मामलों के संबंध में ईडी की जांच के घेरे में हैं. वह हत्या के प्रयास और हत्या समेत कई मामलों में यूपी में मुकदमों का सामना कर रहे हैं. मुख्तार ने 1996 में पहली बार बसपा के टिकट पर मऊ विधानसभा से चुनाव लड़ा था और जीत हासिल कर विधानसभा पहुंचे. इस विधानसभा क्षेत्र में वह लगातार तीन चुनाव जीत चुके हैं.

बीजेपी विधायक की हत्या में उछला नाम
मुख्तार अंसारी का नाम 2005 में उस वक्त पूरे देश में चर्चित हो उठा, जब बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की हत्या में उसका नाम आया. हालांकि, जब कृष्णानंद की हत्या हुई तो उस समय मुख्तार जेल में बंद थे. विधायक की हत्या के पीछे मुअंसारी का हाथ होने की वजहों को लेकर कई अटकलें लगती रही हैं.

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