अर्थ को व्यर्थ न जाने देने वाले शा के ज्ञाता… खामोश रहकर बहुत कुछ कर गुजरने वाले अर्थशा के विधाता… पूरी दुनिया की मंदी को भारत के द्वार पर रोक देने वाले बलशाली जिस मनमोहन सिंह को कांग्रेस ने पाकर भारत को दस साल का स्वर्णिम कुबेर बनाया… डूबती अर्थव्यवस्था को तैराया… उद्योगों को दौड़ाया… भारत को इतना गतिमान बनाया कि अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा को भी सब कुछ हैरतभरा नजर आया… कांग्रेस ने अपने शासनकाल को भ्रष्टाचार से भले ही दागदार बनाया, लेकिन मनमोहन जैसे हीरे को तराशकर भारत को कोहिनूर बनाया… जिस चमक से कांग्रेस ने वित्त संयोजन को दस साल तक स्वर्णिम बनाया, वैसा हीरा भाजपा की कामयाब सरकार आज तक नहीं खोज पाई… मोदी सरकार ने कभी जेटली को वित्त मंत्री बनाया तो अभी निर्मला सीतारमण को वित्त का बोझ थमाया… और आलम यह है कि मनमोहन सरकार में जो डालर 40 रुपए तक जा पहुंचा था, आज वो 85 पार कर रहा है… आटे दाल का भाव बढ़ रहा है… लोगों का जीवन मुश्किल से चल रहा है… सरकार कर पर कर लगा लगाकर खजाना भर रही है… और खजाने की वसूली जनता से कर रही है… क्योंकि भाजपा के पास वित्त तो है पर वित्त मंत्री नहीं है… इसी मुसीबत के चलते न तो महंगाई पर लगाम है ना वित्त की कमान है… योजनाओं का अंबार है और टैक्स की भरमार है… इस बोझ से जूझते भारत में केवल मोदी की नीतियों और नीयत के भरोसे के चलते अच्छे दिनों का इंतजार है… कांग्रेस के प्रधानमंत्री नरसिंहराव ने मनमोहनसिंह को वित्त मंत्री बनाया तो सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री बनाने का साहस दिखाया… लेकिन उनकी गरिमा, शांत प्रवृत्ति और सादगी को कोई छू नहीं पाया… अटलजी उनसे प्रेम रखते थे… मुख्यमंत्री रहते मोदी उनकी सरकार के कायल रहते थे… सहयोगियों से बनी सरकार में सबको खुश रखने की कामयाबी के बीच उनके अपने मंत्रियों के भ्रष्टाचार के दागों को भले ही उन्होंने झेला, लेकिन कीचड़ का एक दाग उनके कपड़ों पर नहीं उछला… भले ही विरोधियों ने उन्हें मौन मनमोहन कहा… उनके मूक रहने पर उंगली उठाई, लेकिन उन्होंने अपने पद से हमेशा वफा निभाई… उन्होंने न कभी किसी पर लांछन लगाया और ना ही किसी के लगाए लांछन पर जवाब का तीर चलाया… वे जैसे थे वैसे रहे… और राजनीति के इतिहास बने… आज ऐसी सरल सादगी के प्रणेता पूर्व प्रधानमंत्री के लिए हमारा शब्द-सुमन… श्रद्धासुमन….
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