देश

शादी संवैधानिक संरक्षण का हकदार है, न कि वैधानिक मान्यता का, सेम सेक्स मैरिज मामले पर बोला SC

नई दिल्ली (New Delhi)। सेम सेक्स मैरिज (Same Sex Marriage) को कानूनी मान्यता देने की मांग करने वाली 15 याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई हो रही है. मंगलवार की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि क्या ये कहा जा सकता है कि संविधान के तहत शादी करने का मौलिक अधिकार नहीं है. विवाह के मूल तत्वों को संवैधानिक मूल्यों के तहत संरक्षण है. अदालत ने कहा कि धर्म की आजादी के तहत विवाह की उत्पत्ति का पता लग सकता है, क्योंकि हिंदू कानूनों के तहत यह पवित्र बंधन है और ये कोई कॉन्ट्रैक्ट नहीं है.

सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने 8वें दिन की सुनवाई के दौरान ये टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि हालांकि विवाह और उसके पहलुओं को नियंत्रित करना सरकार का काम है. लेकिन, इसकी जांच की जानी चाहिए कि क्या विषमलैंगिकता विवाह का एक प्रमुख तत्व है. सीजेआई ने कहा, “यह कहना तो दूर की कौड़ी होगी कि शादी करने का अधिकार संवैधानिक अधिकार नहीं है. विवाह के प्रत्येक मूल तत्व को संवैधानिक मूल्यों द्वारा संरक्षित किया गया है. विवाह साथ रहने के अधिकार को मानता है. यह एक परिवार इकाई के अस्तित्व के लिए जिम्मेदार है. संतानोत्पत्ति विवाह का एक महत्वपूर्ण पहलू है. हालांकि, ये विवाह की वैधता की शर्त नहीं है.”


शीर्ष अदालत ने कहा कि विवाह दूसरों के बहिष्करण का अधिकार बनाता है, क्योंकि कोई तीसरा पक्ष संबंध साझा नहीं कर सकता है. सामाजिक स्वीकृति विवाह से आती है, क्योंकि इसे एक संस्था के रूप में माना जाता है. मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) ने आगे कहा कि विवाह संवैधानिक संरक्षण का हकदार है, न कि केवल वैधानिक मान्यता का. हालांकि, विवाह और उसके पहलुओं को नियंत्रित करने में राज्य का एक वैध हित है. इसकी जांच की जानी चाहिए कि क्या विषमलैंगिकता विवाह का एक प्रमुख तत्व है.

मध्य प्रदेश की ओर से राकेश द्विवेदी ने कहा, “समान नागरिक संहिता, सामान्य गोद लेने के कानून, दहेज आदि जैसे सामाजिक सुधारों के क्षेत्र से संबंधित इसी तरह की अन्य याचिकाओं में फैसला दिया गया है कि वे विधायिका के क्षेत्र से संबंधित हैं. इस प्रकार, माननीय न्यायालय द्वारा निपटाया नहीं जाना चाहिए.” राकेश द्विवेदी ने कहा, “एक सामाजिक संस्था के रूप में विवाह को एक तरल अवधारणा के रूप में नहीं माना जा सकता है, क्योंकि यह एक सामाजिक उद्देश्य के लिए एक पुरुष और एक महिला की यूनियन के बारे में है, जहां प्रजनन एक कारक है.”

उन्होंने कहा, “हमारे देश की आबादी लगभग 1.4 अरब लोगों की है. एक समाज आईवीएफ और गोद लेने पर निर्भर नहीं हो सकता गोद लेने में एक बच्चा भी विषमलैंगिक जोड़े की उत्पत्ति का परिणाम है. हमें जापान या संयुक्त राज्य अमेरिका के रास्ते पर नहीं होना चाहिए, जो अपनी वृद्ध जनसंख्या के बारे में चिंतित है. जिस प्रश्न को संबोधित करने की आवश्यकता है वह यह है कि क्या समान-लिंग वाले जोड़े से विवाह करने का मौलिक अधिकार है. धार्मिक रीति-रिवाजों, परंपराओं और प्रथाओं के अनुसार विषमलैंगिक जोड़ों से विवाह करने का अधिकार मौजूद है.”

जमीयत उलेमा ए हिंद की ओर से कपिल सिब्बल ने कहा- “याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि संसद समलैंगिक विवाह प्रदान करने के लिए कुछ भी नहीं करेगी. इसी कारण से न्यायालय को घोषणा की प्रार्थना स्वीकार करनी चाहिए. इसकी जड़ में एक खतरनाक तर्क है. ऐसा इसलिए है क्योंकि कोई भी घोषणा या कानून, जिसके परिणामस्वरूप समाज में एक बदलाव आता है, सार्वजनिक चर्चा के बाद ही किया जाना चाहिए. इस तरह की सार्वजनिक बहस न केवल संसद के अंदर बल्कि संसद के बाहर भी होनी चाहिए.”

सिब्बल ने कहा- “न्यायालय द्वारा इस मुद्दे पर कोई भी घोषणा एक गलत कदम होगा. क्योंकि इससे सार्वजनिक बहस समाप्त हो जाएगी. समान-सेक्स विवाहों के संबंध में याचिकाकर्ताओं द्वारा भरोसा किए गए विदेशी फैसले संबंधित देश के सामाजिक-सांस्कृतिक वातावरण के संदर्भ में और विशिष्ट तथ्यात्मक संदर्भों में दिए गए थे. इसलिए, वे भारत में निर्णय लेने की प्रक्रिया को प्रभावित नहीं कर सकते. बल्कि, वे समान-लिंग विवाहों के मुद्दे के साथ सार्वजनिक बहस और जुड़ाव की आवश्यकता के बारे में अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं.”

इस दौरान जस्टिस एस रवींद्र भट की टिप्पणी की, “भारत का संविधान अपने आप में एक “परंपरा तोड़ने वाला” है. उन परंपराओं को तोड़ा गया जो हमारे समाज में जिसे पवित्र मानी जाती थी. जाति व्यवस्था को तोड़ दिया गया. छुआछूत पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. ऐसा कोई अन्य संविधान नहीं है जो ऐसा करता हो.” सेम सेक्स मैरिज पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई बुधवार को भी जारी रहेगी.

Share:

Next Post

Raghav Chadha and Parineeti Chopra की सगाई तय, जानिए तारीख

Tue May 9 , 2023
नई दिल्ली (New Delhi) । बीते कुछ महीनों से अपने रिश्ते को लेकर चर्चा में आए आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा और फिल्म अभिनेत्री परिणीति चोपड़ा (MPs Raghav Chadha and Parineeti Chopra) की सगाई की तारीख भी आ गई है। सूत्रों को कहना है कि आम आदमी पार्टी (आप) के नेता राघव चड्ढा […]