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मंत्री ज्योति प्रिय मलिक चार दिन की न्यायिक हिरासत में भेजे गए, ED ने किया था गिरफ्तार

कोलकाता। कोलकाता की एक अदालत ने कथित राशन वितरण घोटाले के सिलसिले में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा गिरफ्तार पश्चिम बंगाल के मंत्री ज्योति प्रिय मलिक को रविवार को चार दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। मौजूदा वन मंत्री और 2011 से 2021 तक खाद्य एवं आपूर्ति विभाग संभालने वाले मलिक को केंद्रीय एजेंसी ने कथित घोटाले की जांच के सिलसिले में शहर के बाहरी इलाके साल्ट लेक स्थित उनके आवास से 27 अक्तूबर को तड़के गिरफ्तार किया था।

मंत्री के वकील ने कहा कि अदालत ने उन्हें 16 नवंबर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। सेना के कमांड अस्पताल में चिकित्सा जांच कराने वाले मलिक ने संवाददाताओं से कहा कि उनका बायां हिस्सा लकवाग्रस्त हो गया है और उन्हें ईडी की हिरासत से न्यायिक हिरासत में प्रेसीडेंसी जेल भेजा जा रहा है। मंत्री को छह नवंबर को 12 नवंबर तक ईडी की हिरासत में भेज दिया गया था।

सीजीओ कॉम्प्लेक्स में ईडी के कार्यालय से कमांड अस्पताल में जांच के लिए ले जाए जाने के दौरान उन्होंने संवाददाताओं से कहा, मैं अत्यधिक शारीरिक संकट में हूं। मैं ठीक से चल नहीं सकता। अगर उचित इलाज नहीं हुआ और मुझे वर्तमान परिस्थितियों में जीना पड़ा, तो मैं जल्द ही मर सकता हूं।


सुनवाई के दौरान मलिक के वकीलों ने मंत्री के स्वास्थ्य को लेकर चिंता जताई और अदालत से अनुरोध किया कि उनके इलाज का ध्यान रखा जाए। मंत्री के वकील ने उनकी जमानत के लिए प्रार्थना नहीं की। ईडी के वकील ने अदालत को एक सीलबंद लिफाफा सौंपा जिसमें मलिक की कथित मेडिकल रिपोर्ट थी और दलील दी कि उनकी हालत स्थिर है।

विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि मंत्री की खराब सेहत की शिकायत ‘जेल में रहने से बचने की चाल’ है। दूसरी ओर, उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने दावा किया कि ईडी की लंबी पूछताछ मंत्री के बिगड़ते स्वास्थ्य का कारण है।

ईडी ने दावा किया है कि उसके संबंध बकीबुर रहमान नाम के व्यक्ति से मिले हैं, जो मुख्य आरोपी था और अक्टूबर की शुरुआत में मामले में गिरफ्तार किया गया था। रहमान को मंत्री का सहयोगी माना जाता था। मलिक ने रहमान के इन आरोपों को खारिज कर दिया कि उन्होंने बिना किसी ब्याज और जमानत के मंत्री के परिवार को नौ करोड़ रुपये दिए।

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