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अमेरिका में पहली बार बच्चों में मिला मंकीपॉक्स, अब तक दुनियाभर में 13 हजार से ज्यादा मामले


वाशिंगटन। भारत के बाद अमेरिका में भी पहली बार मंकीपॉक्स की पुष्टि हुई है। यहां दो बच्चों में संक्रमण पाया गया है। अमेरिका के स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया कि कैलिफोर्निया में एक बच्चे व एक शिशु में मंकीपॉक्स की पहचान की गई है। दोनों अमेरिका के निवासी नहीं हैं।

भारत में अब तक तीन मामले
केरल में मंकीपॉक्स का तीसरा केस मामला सामने आया है। यह शख्स भी पूर्व में मिले संक्रमित की तरह यूएई से लौटा है। देश में अब तक मिले तीनों केस केरल में ही मिल हैं। 35 साल का यह शख्स इस महीने की शुरुआत में संयुक्त अरब अमीरात से केरल आया है। उसके सैंपल की जांच में मंकीपॉक्स की पुष्टि हुई है।

केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीणा जॉर्ज ने बताया कि मलप्पुरम का रहने वाला युवक छह जुलाई को अपने गृह राज्य लौटा था और उसका तिरुवनंतपुरम के मंजेरी मेडिकल कॉलेज में इलाज चल रहा है। जॉर्ज के मुताबिक, युवक की हालत स्थिर है। उन्होंने बताया कि संक्रमित के संपर्क में रहे लोगों पर करीबी नजर रखी जा रही है। इससे पहले 14 जुलाई को केरल में मंकीपॉक्स का पहला मरीज मिला था। कुछ दिनों बाद वहीं दूसरा मरीज भी मिला।


65 देशों में 13 हजार मामले
पिछले 11 सप्ताह में मंकीपॉक्स तेजी से फैला है। इसके करीब 13,000 मरीज लगभग 65 देशों में मिले हैं। कोविड महामारी के अनुभव की वजह से लोग चिंतित हैं कि कहीं मंकीपॉक्स एक महामारी और बड़ी समस्या तो नहीं बन जाएगा? लेकिन वैज्ञानिक कारणों पर ध्यान दें, तो ऐसा होने की आशंका बहुत कम है। आश्वस्ति के मुख्य कारण ये हैं कि जहां कोविड सांस से जुड़ा वायरस है और छींकने या खांसने से निकले कणों और बूंदों, दोनों के माध्यम से फैलता है, वहीं मंकीपॉक्स वायरस के प्रसार के लिए प्रभावित व्यक्ति के साथ, सीधे त्वचा से त्वचा का संपर्क होना जरूरी है।

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