ब्‍लॉगर

कोरोना की जंग में दो करोड़ से अधिक लोगों की जीत

डॉ. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा
कोरोना की दूसरी लहर की पीक के समाचारों के बीच एक यह सुखद खबर है कि देश में दो करोड़ से अधिक कोरोना संक्रमित देशवासी इसे मात देने में सफल रहे हैं। अमेरिका के बाद दुनिया के देशों में यह सबसे अधिक है। संक्रमण दर में हम दूसरे नंबर पर चल रहे हैं तो मौत के मामले में अमेरिका और ब्राजील के बाद तीसरे नंबर पर हैं। दो करोड़ से ज्यादा ने इस महामारी की जंग जीती है तो करीब पौने तीन लाख लोगों ने दम भी तोड़ा है। पर आज आवश्यकता मौत के आंकड़ों के स्थान पर ठीक होने वालों के समाचारों की है, ताकि सकारात्मक माहौल बन सके।
कोरोना महामारी की भयावहता को हम नकार नहीं सकते। पर लोगों को दहशत में जीने से तो हम बचा सकते हैं। देश दुनिया में नंबरों का यह खेल किसी भी तरह से तुलनीय नहीं हो सकता क्योंकि दुनिया के किसी भी देश में कोरोना के कारण ही नहीं अपितु किसी भी कारण से एक भी व्यक्ति की मौत होती है तो वह अपने आपमें गंभीर चिंतनीय है। हालांकि यह आंकड़े बेहद चिंतनीय होने के साथ ही कोरोना की दूसरी लहर की गंभीरता को चेता रहे हैं। लाख मारामारी के बावजूद वैक्सीनेशन की स्थिति में भी सुधार हो रहा है। आक्सीजन की उपलब्धता बड़ी है। हालातों में लगातार सुधार हो रहा है। लोगों में आत्मविश्वास जगने लगा है। पिछले दिनों देश में जिस तरह से आक्सीजन की मारामारी हुई और आक्सीजन सिलेण्डरों की अनुपलब्धता के कारण तड़पती हुई मौतों से साक्षात्कार हुआ, उस स्थिति में सुधार आने लगा है।
अब यदि सबसे अधिक आवश्यकता देश में कमियों को उजागर करने, नकारात्मकता को दिखाने के वक्तव्यों या समाचारों के स्थान पर देश में हिम्मत और सकारात्मकता का संदेश देने की है। आज आवश्यकता चिकित्सकों, दवाओं,आवश्यक उपकरणों के साथ ही बल्कि लगभग इनके बराबर ही मनोविज्ञानियों की है जो संक्रमण से जूझ रहे या संक्रमण के डर से भयभीत लोगों में आशा का संचार पैदा कर सकें। समस्या संक्रमित व्यक्ति की ही नहीं है अपितु कोरोना के कारण जो परिवार प्रभावित हुआ है चाहे वह परिवार कोरोना को हराने में सफल रहा हो या कोरोना की जंग में हारा हो पर आज सबसे अधिक उस परिवार को मनोवैज्ञानिक सहारे की है तो दूसरी और लोगों को कोरोना से डराने की नहीं बल्कि उससे लड़ने की, हेल्थ प्रोटोकाल की पालना करने के लिए प्रेरित करने की है।
हो क्या रहा है कि टीवी चैनलों पर व मीडिया के अन्य माध्यमों पर जिंदगी हारते लोगों की तस्वीरें प्रशासन की नाकामियों को उजागर करते समाचार प्राथमिकता से दिखाए जा रहे हैं, उससे मानवता का कोई भला नहीं होने वाला नहीं है। हद तो सोशल मीडिया खासतौर से वाट्सएप के तथाकथित ज्ञानियों ने कर दी है जो या तो दिनभर ज्ञान फैलाते रहते हैं या फिर नकारात्मक तस्वीरों से दहशत का माहौल बना रहे हैं। आज आवश्यकता कमियां निकालने या अभावों का दुखड़ा रोने की नहीं अपितु जो है उसे ही बेहतर करने की हो गई है। कहीं कोई कमी है तो उसे सही प्लेटफार्म पर उजागर करें और वह भी उसके निराकरण के सुझाव के साथ तो उससे इस महामारी की भयावह स्थिति से हम अधिक ताकत के साथ लड़ सकेंगे।
हालांकि मानवता के दुश्मनों ने अपनी करनी से कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। कोई अस्पतालों में बेड उपलब्ध कराने की बोली लगा रहा था तो कोई जीवनरक्षक दवाओं की कालाबाजारी में लिप्त था। कोई आवश्यक उपकरणों यहां तक कि थर्मामीटर, आक्सीमीटर मनचाहे दामों में बेचने में लगे हैं तो कुछ दवाओं का स्टाक कर बाजार में कृत्रिम अभाव पैदा करने में लगे हैं। यहां तक कि हालात इस तरह के बना दिए कि लोगों में भय अधिक व्याप्त हो गया। आखिर देश में इस तरह के गिद्धों की जमात ने नोचने में कोई कमी नहीं छोड़ी है। मानवता को शर्मसार करने में कोई कमी नहीं छोड़ी। मानवता के यह गिद्ध हमारे इर्द-गिर्द ही मंडरा रहे हैं। हमारा भी फर्ज हो जाता है कि इस तरह के मानवता के दुश्मनों को सार्वजनिक करें और प्रशासन को सहयोग कर ऐसे लोगों को सामने लाएं। ऐसे लोग व्यवस्था को बिगाड़ने और लोगों में दहसत पैदा करने में कामयाब हो जाते हैं और उसका खामियाजा समूचे समाज को भुगतना पड़ता है।
पिछले दिनों देशभर में जिस तरह से आक्सीजन की कमी कारण लोगों के मरने के समाचारों और बेड नहीं होने के समाचारों को प्रमुखता दी गई उससे देशभर में भय का माहौल बना। लोग घबराने लगे और इसी का परिणाम रहा कि देशभर में मारामारी वाले हालात बने। यह सही है कि प्रशासन की कमियों को उजागर किया जाए पर उसमें संयम बरतना आज की आवश्यकता ज्यादा हो जाती है। आज कमियां गिनाने का समय नहीं है। सरकार अपने स्तर पर प्रयास कर रही है। समझना होगा कि एक साल से भी अधिक समय से कारोबार बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। प्रवासी मजदूरों व असंगठित मजदूरों के सामने दो रोटी का संकट आ रहा है तो स्थाई रोजगार वालों के भी वेतन में कटौती हो रही है तो छंटनी का डर सता रहा है। सरकार चाहे केन्द्र की हो या राज्यों की संसाधनों की सीमाएं सब जानते हैं। यह भी सही है कि पैनिक करने से समाधान भी नहीं हो सकता। ऐसे में यदि सरकार को अलग फोरम पर सुझाव तो मीडिया में सकारात्मकता का संदेश दिया जाए तो इस संकट से देशवासी जल्दी ही उभरने की स्थिति में होंगे।
अच्छा लगा जब यह जानकारी सामने आई की देश में दो करोड़ से ज्यादा लोगों ने कोरोना के खिलाफ जंग जीती है। कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा जो चार लाख को छूने लगा था वह अब करीब ढाई लाख पर आया है तो ठीक होने का आंकड़ा चार लाख प्रतिदिन को पार कर रहा है। रिकवरी रेट में लगातार सुधार हो रहा है। हालांकि देश में करीब 35 लाख संक्रमित लोग हैं जो कोरोना की जंग जीतने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इसलिए आज आवश्यकता संक्रमितों को बचाने के साथ ही लोगों में विश्वास पैदा करने की है। लोगों से यह डर निकालना होगा कि अस्पताल गए तो वहां देखने वाला कोई नहीं हैं, कभी भी आक्सीजन की कमी हो सकती है या दवाओं के लिए भटकना पड़ सकता है। गैर सरकारी संगठन यदि सहयोगी की भूमिका में आगे आते हैं तो हालातों को जल्दी ही सुधारा जा सकता है। कोरोना के पहले दौर में जिस तरह से भयमुक्त वातावरण बनाकर लोगों को बचाया गया वैसा ही प्रयास किया जाता है तो दूसर लहर से भी निपटना आसान हो जाएगा।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)
Share:

Next Post

गर्मियों में प्‍याज का सेवन सेहत के लिए बेहद गुणकारी, देता है कई गजब के फायदें

Wed May 19 , 2021
दोस्‍तों आज के समय में शायद ही ऐसा कोई घर हो जहां प्याज (Onion Benefits) का इस्तेमाल नहीं होता होगा । प्‍याज कई औषधीय गुणों से भरपूर होता है । आमतौर पर किसी सब्जी का स्वाद बढ़ाना हो या फिर सलाद की प्लेट सजानी हो, दोनों ही चीजें प्याज का उपयोग किया जाता है । […]