मुरैना/अंबाह। इकलौते बेटे का शादी के पांच साल बाद ही हृदयघात (heart attack) से निधन हो गया। जिस बहू को डोली में दुल्हन (bride in doli to daughter-in-law) की तरह विदा कराकर लाए, उसके जीवन के तो जैसे सपने पूरी तरह चकनाचूर हो गए। हम पति-पत्नी कितना जिएंगे, उसके बाद अकेली बहू को कौन संभालेगा। इसलिए हमने उसका पुनर्विवाह तय कर दिया। जब यह बात नाते-रिश्तेदारों को पता चली तो उन्होंने काफी भला-बुरा कहा, नाराजगी जताई कि ‘इससे पहले अपने यहां ऐसा कभी नहीं हुआ’ यह क्या अनर्थ करने जा रहे हो, लेकिन हमने तय कर लिया था कि बहू भी बेटी के समान है। हम इसका घर बसाकर ही दम लेंगे। आज हमारी बेटी रूपी बहू का फिर से घर बस गया, तो हमारी आत्मा को सुकून मिल गया।’ यह कहना है बीएसएफ से रिटायर्ड इंस्पेक्टर प्रमोद सिंह तोमर निवासी ग्राम महासुख का पुरा हाल निवासी अंबाह का।विदा के वक्त सास-ससुर की आंखों में दिखे खुशी के आंसू
24 साल की टीना अब तक सफेद लिबास में ही नजर आती थी, लेकिन मंगलवार को जब उसने शादी का जोड़ा पहना तो उसकी आंखों में आंसू भर आए। बुआ-फूफा, सास-ससुर की मौजूदगी में जब उसका पुनर्विवाह हुआ तो वहां मौजूद लोगों के चेहरे पर भी इस शादी की चर्चा थी। लोग खुले दिल से तोमर दंपति के प्रयास की सराहना करते हुए कह रहे थे कि उनका यह प्रयास मुरैना जैसे ग्रामीण परिवेश में नि:संदेह मील का पत्थर साबित होगा।
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