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एमआरएसएएम: अब दुश्मन की खैर नहीं

– योगेश कुमार गोयल

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा हवा में मार करने वाली मध्यम दूरी की दो मिसाइलों ‘एमआरएसएएम’ (मीडियम रेंज सरफेस टू एयर मिसाइल) का पिछले दिनों सतह से सफल परीक्षण किया गया। सेना के लिए तैयार इन मिसाइलों को उड़ीसा के चांदीपुर स्थित एकीकृत परीक्षण रेंज (आईटीआर) से दागा गया और दोनों ही मिसाइलों ने लक्ष्यों को रास्ते में ही रोककर पूरी तरह से नष्ट कर दिया। ‘आईटीआर’ डीआरडीओ की ही भारतीय रक्षा प्रयोगशाला है, जो रॉकेट, मिसाइलों तथा हवाई हथियार प्रणालियों के लांच के लिए सुरक्षित सुविधाएं प्रदान करती है।

आईटीआर से किए गए परीक्षण के दौरान पहली एमआरएसएएम मिसाइल ने मध्यम ऊंचाई पर लंबी दूरी के लक्ष्य को निशाना बनाया जबकि दूसरी मिसाइल ने कम ऊंचाई पर कम दूरी के लक्ष्य को निशाना बनाकर नष्ट किया। एमआरएसएएम के इन परीक्षणों के दौरान बालासोर जिला प्रशासन द्वारा एहतियात के तौर पर आईटीआर के निकट बसे तीन गांवों से करीब सात हजार लोगों को अस्थायी तौर पर सुरक्षित जगहों पर पहुंचा दिया गया था।

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के मुताबिक एमआरएसएएम के दोनों सफल परीक्षण अहम रेंज पर लक्ष्यों को भेदने की हथियार प्रणाली की क्षमता को दिखाते हैं। डीआरडीओ के अनुसार यह उड़ान परीक्षण उच्च गति वाले हवाई लक्ष्य के खिलाफ लाइव फायरिंग ट्रायलों का हिस्सा थी और बढ़ी हुई रेंज की इस मिसाइल ने बहुत दूर से लक्ष्य पर सीधा प्रहार करते हुए लक्ष्य को पूरी सटीकता से नष्ट कर दिया। पिछले साल दिसम्बर में एमआरएसएएम के आर्मी वर्जन का पहला परीक्षण किया गया था।

एमआरएसएएम के सफल परीक्षण से ठीक चार दिन पहले भी डीआरडीओ द्वारा निर्मित सतह से सतह पर मार करने वाली ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का अंडमान और निकोबार में सफल परीक्षण किया गया था। उस परीक्षण के दौरान ब्रह्मोस मिसाइल ने सटीकता के साथ अपने लक्ष्य को मार गिराया था। जहां तक सतह से हवा में मार करने वाली एमआरएसएएम संस्करण वाली मिसाइल की विशेषताओं की बात है तो डीआरडीओ द्वारा इस मिसाइल को डीआरडीएल हैदराबाद और इजरायल की कम्पनी ‘इजरायल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज’ (आईएआई) के साथ मिलकर बनाया गया है और आधा किलोमीटर से 100 किलोमीटर तक रेंज वाली एमआरएसएएम सैन्य हथियार प्रणाली में मल्टीफंक्शन रडार, मोबाइल लांचर प्रणाली तथा अन्य व्हीकल शामिल हैं। इजरायल से भारत को मिली बराक मिसाइल भी एमआरएसएएम ही है। सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल आर्मी वेपन सिस्टम में कमांड पोस्ट, मल्टी फंक्शन राडार, मोबाइल लांचर सिस्टम होता है।

आईएआई के सहयोग से डीआरडीओ द्वारा बनाई गई एमआरएसएएम इजरायल की खतरनाक मिसाइल ‘बराक-8’ पर ही आधारित है। बराक मिसाइलें एमआरएसएएम का ही बेहतरीन नमूना मानी जाती हैं और भारत की इजरायल से बराक-1 मिसाइल से लेकर बराक-8 तथा बराक-8ईआर मिसाइल की डील चल रही है। भारत ने इजरायल से एमआरएसएएम मिसाइल के पांच रेजिमेंट (40 लांचर्स तथा 200 मिसाइल) खरीदने के लिए करीब 17 हजार करोड़ रुपये के सौदे को लेकर बात की है। आईएनएस विशाखापट्टनम में 100 किलोमीटर रेंज वाली 32 एंटी-एयर बराक मिसाइलें या 150 किलोमीटर रेंज वाली बराक 8ईआर मिसाइलें तैनात हो सकती हैं। इसके अलावा 16 एंटी-शिप या लैंड अटैक ब्रह्मोस मिसाइलें भी लगाई जा सकती हैं। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इन घातक मिसाइलों से लैस होने के बाद यह युद्धपोत दुश्मन के जहाजों और विमानों पर कहर बनकर टूट पड़ने में सक्षम हो जाएगा।

हाल ही में डीआरडीओ द्वारा जिस एमआरएसएएम मिसाइल का सफल परीक्षण किया गया है, वह एक वायु और मिसाइल रक्षा प्रणाली है, जो भारतीय नौसेना के लिए लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (एलआरएसएएम) का लैंड बेस्ड वर्जन है। इस मिसाइल को खासतौर से भारतीय सेना के इस्तेमाल के लिए ही बनाया गया है। एमआरएसएएम मिसाइल बैलिस्टिक मिसाइलों, लड़ाकू जेट विमानों, विमानों, ड्रोन, निगरानी विमानों तथा एयरबोर्न वार्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम विमानों को मार गिराने में सक्षम है और एक बार छोड़े जाने के बाद यह आसमान में सीधे 16 किलोमीटर तक के लक्ष्य को गिरा सकती है। इसकी रेंज में आने के बाद किसी यान, विमान, ड्रोन अथवा मिसाइल का इसकी जबरदस्त मार से बच पाना लगभग नामुमकिन हो जाता है। मध्यम रेंज की सतह से हवा में मार करने वाली इस मिसाइल की बहुत तीव्र गति भी इसे दुश्मन के लिए बेहद घातक बनाती है। इसकी गति 680 मीटर प्रति सेकेंड अर्थात् 2448 किलोमीटर प्रतिघंटा है। इस मिसाइल की सबसे विशेष बात है ‘रेडियो फ्रिक्वेंसी सीकर’ अर्थात् यदि दुश्मन का यान चकमा देने के लिए केवल रेडियो का उपयोग कर रहा है तो भी यह उसे मार गिराएगी। यह मिसाइल 70 किलोमीटर के दायरे में आने वाली दुश्मन की किसी भी मिसाइल, हेलीकॉप्टर, लड़ाकू विमान इत्यादि को मार गिराने में पूरी तरह से सक्षम है।

डीआरडीओ के मुताबिक सेना की वायु रक्षा के लिए एमआरएसएएम एक उन्नत ऑल वेदर, 360 डिग्री मोबाइल लैंड बेस्ड थिएटर एयर डिफेंस सिस्टम है, जो एक युद्ध क्षेत्र में विभिन्न प्रकार के खतरों के खिलाफ महत्वपूर्ण क्षेत्रों में वायु रक्षा प्रदान करने में सक्षम है। इस मिसाइल प्रणाली में एडवांस रडार, मोबाइल लांचर के साथ कमांड एंड कंट्रोल सहित इंटरसेप्टर भी मौजूद है। करीब 275 किलोग्राम वजनी, 4.5 मीटर लंबी और 0.45 मीटर व्यास वाली एमआरएसएएम मिसाइल की सबसे बड़ी विशेषता यही है कि यह जमीन से आसमान तक लंबी दूरी तक किसी भी दुश्मन के हवाई हमले को नाकाम कर सकती है और केवल एक वार में अपने लक्ष्य को नेस्तनाबूत कर सकती है। यह दो स्टेज की मिसाइल है, जो लांच किए जाने पर कम धुआं छोड़ती है और इस पर 60 किलोग्राम वॉरहेड अर्थात् हथियार लोड किए जा सकते हैं। दुश्मन की सटीक जानकारी देने के लिए इसमें कॉम्बैट मैनेजमेंट सिस्टम, रडार सिस्टम, मोबाइल लांचर सिस्टम, एडवांस्ड लांग रेंज रडार, रीलोडर व्हीकल, फील्ड सर्विस व्हीकल इत्यादि शामिल हैं।

बहरहाल, माना जा रहा है कि इजरायल से मिलने वाली एमआरएसएएम मिसाइल रेजिमेंट के अलावा डीआरडीओ और इजरायल द्वारा संयुक्त रूप से निर्मित एमआरएसएएम की तैनाती 2023 तक की जा सकती है। ये मिसाइलें भारत को वायु सुरक्षा कवच बनाने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी।

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)

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