आचंलिक

नेशनल प्लेयर गुजारा करने के लिए बन गया नाई, सरकार से मदद का इंतजार

सीतामढ़ी : बिहार सरकार खेल और खिलाड़ियों को प्रोत्साहन देने को लेकर लाख दावे कर ले, लेकिन सच्चाई दावे से काफी पीछे है। इसका एक उदाहरण सीतामढ़ी में देखने को मिला। राष्ट्रीय स्तर पर खो-खो में सूबे का नाम रोशन करने वाले परिहार प्रखंड के सुरगहियां गांव निवासी कमलेश कुमार सैलून चलाकर जीवनयापन कर रहे हैं।

कमलेश कुमार कई बार राष्ट्रीय स्तर पर खेल चुके हैं। 2015 में ईस्ट जोन प्रतियोगिता में ब्रांज मेडल हासिल किए। राज्य स्तरीय प्रतियोगिताओं में टीम को जीत दिलाने में प्रमुख भूमिका निभा चुके हैं। लेकिन आज उसकी जिन्दगी में सिवाय अंधेरे के कुछ नहीं है। कमलेश आज हजामत की दुकान चलाकर घर चलाने को मजबूर है।

असम, पश्चिम बंगाल, हरियाणा, कर्नाटक, दिल्ली, महाराष्ट्र समेत कई शहरों में उसने बड़े प्रतियोगिताओं में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया, लेकिन बदले में उसे हजामत की दुकान चलाकर जिंदगी चलाने की मजबूरी मिली। इसके बाद भी उसका हौसला कम नहीं हुआ है। खिलाड़ी दुकान चलाने के साथ-साथ अब अपने गांव के बच्चों को खो-खो का प्रशिक्षण दे रहा है।

कमलेश का कहना है कि वे अब तक जितने भी जगह गए हैं चंदे के पैसे से गए हैं। सिस्टम से कोई भी मदद नहीं मिली। लेकिन अभी भी उम्मीद है कि कभी तो सिस्टम जगेगा और उसकी प्रतिभा का कद्र होगा। कमलेश अपने अधूरे सपने को पूरा करने के लिए गांव के बच्चों को खो-खो का प्रशिक्षण देते हैं। कमलेश को अब सिस्टम से मदद की उम्मीद है।

Share:

Next Post

मानसी को राष्ट्रपति देंगे रासेयो पुरस्कार

Tue Sep 15 , 2020
संत नगर। उपनगर के संत हिरदाराम कन्या महाविद्यालय के मार्गदर्शन में, महाविद्यालय की छात्रा कुमारी मानसी तीर्थानी, एमकाम द्वितीय समसत्र को भारत सरकार के युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय सेवा योजना पुरस्कार 2018-19 में स्वयं सेवक श्रेणी के तहत चयनित किया गया है। यह पुरस्कार राष्ट्रपति के द्वारा आभासी मोड (वर्चुअल मोड) के […]