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सिद्धू के आने से पंजाब कांग्रेस में गुटबंदी तेज होने के आसार, नवजोत को दरकिनार नेताओं पर आया प्यार

जालंधर (Jalandhar) । पीपीसीसी के पूर्व प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) के जेल से बाहर आते ही पंजाब कांग्रेस (Punjab Congress) में घमासान मचने के आसार हैं। पंजाब कांग्रेस प्रधान अमरिंदर राजा वड़िंग (Amarinder Raja Warding) ने जिन्हें दरकिनार कर रखा है उन्होंने सिद्धू के साथ कंधे से कंधा मिला लिया है। खासकर पीपीसीसी के तीन पूर्व प्रधान सिद्धू के गले लग गए हैं। समीकरण ऐसे बनते जा रहे हैं कि निश्चित तौर पर आने वाले दिनों में कांग्रेस में गुटबंदी तेज होने की प्रबल संभावना बन गई है।

यह किसी से छिपा नहीं है जितनी देर नवजोत सिंह सिद्धू पटियाला जेल में बंद थे, उनसे पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के तीन पूर्व प्रधान महेंद्र सिंह केपी, बीबी राजिंदर कौर भट्ठल, शमशेर सिंह दूलो लगातार मुलाकात करते रहे हैं। सिद्धू ने इन्हीं नेताओं के साथ लगातार अपनी आगामी रणनीति पर मंत्रणा की । दूलो राज्यसभा सदस्य भी रह चुके हैं और अबकी बार कांग्रेस ने उन्हें संसद में नहीं भेजा।


वहीं पीपीसीसी के पूर्व प्रधान मोहिंदर सिंह केपी को 2022 में विधायक तक का टिकट नहीं दिया गया। उनका टिकट काटकर ऐसे नेता को टिकट दे दिया गया, जिन्होंने चंद माह पहले कांग्रेस का दामन थामा था। बीबी राजिंदर कौर भट्ठल पंजाब की सीएम भी रह चुकी हैं और राजा वड़िंग ने उनको तवज्जो नहीं दी है।

राणा गुरजीत से छत्तीस का आंकड़ा
पंजाब में राणा गुरजीत सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू का छत्तीस का आंकड़ा चल रहा है। नवजोत सिंह सिद्धू ने हमेशा राणा विरोधी सुलतानपुर से पूर्व विधायक नवतेज सिंह चीमा की पीठ थपथपाई है। राणा गुरजीत सिंह के बेटे राणा इंद्रप्रताप सिंह ने 2022 के चुनावों में आजाद खड़े होकर कांग्रेसी उम्मीदवार नवतेज सिंह चीमा को हराया था। नवतेज सिंह चीमा के खिलाफ राणा के बेटे ने आजाद चुनाव इसलिए लड़ा था क्योंकि नवतेज सिंह चीमा नवजोत सिंह सिद्धू का गुणगान करते थे।

बुजुर्ग नेताओं का धड़ा भी जुड़ा
अमृतसर से सांसद गुरजीत सिंह औजला भी सिद्धू को लेने के लिए जेल के बाहर पहुंचे। गुरजीत औजला को भी मौजूदा संगठन में अधिक भाव नहीं दिया जा रहा है। सिद्धू के साथ एक कांग्रेस के बुजुर्ग नेताओं का धड़ा जुड़ गया है, जिनके पास संगठन से लेकर सरकार का तजुर्बा है। वहीं, युवा चेहरे भी काफी साथ आ गए हैं। इनमें नवतेज चीमा, गुरजीत औजला और काका लोहगढ़ जैसे नेता शामिल हैं।

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