मुंबई। दुनिया जब जलवायु परिवर्तन (Climate change) और पर्यावरणीय संकट से जूझ रही है, तब हमारी रोजमर्रा की छोटी-छोटी आदतें भी पृथ्वी को बचाने में अहम हो सकती हैं। इन्हीं में एक है, हम कौन-सा दूध (Milk) पीते हैं। पारंपरिक रूप से लोग गाय या भैंस का दूध इस्तेमाल करते हैं, पर अब विकल्प में वनस्पति आधारित दूध (प्लांट मिल्क) तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। यह न सिर्फ सेहतमंद है बल्कि पर्यावरण को भी कम नुकसान पहुंचाता है।
जर्नल ऑफ फंक्शनल फूड्स में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार बाजार में सोया, बादाम, जई (ओट्स), काजू और चावल का दूध उपलब्ध है। ये सभी प्रोटीन, विटामिन और मिनरल्स से युक्त होते हैं। पर्यावरण के लिहाज से भी ये डेयरी दूध के मुकाबले बेहतर हैं। इन सभी प्लांट मिल्क में लैक्टोज नहीं होता, इसलिए जिन लोगों को डेयरी का दूध पचाने में दिक्कत होती है, उनके लिए ये बेहतर विकल्प हैं।
विशेषज्ञों के मुताबिक वनस्पति दूध कोलेस्ट्रॉल रहित होता है, जिससे हृदय रोग का खतरा कम होता है। यह पचने में आसान व विटामिन, मिनरल और प्रोटीन से भरपूर होता है। हालांकि यह ध्यान रखना होगा कि यह बिना प्रिजर्वेटिव के हो तो ही बेहतर है।
प्लांट मिल्क का बाजार प्रमुख ब्रांड और हिस्सेदारी
भारत में प्लांट मिल्क का बाजार तेजी से बढ़ रहा है। फॉर्च्यून बिजनेस इनसाइट्स की रिपोर्ट के अनुसार 2024 तक यह लगभग 450 से 500 करोड़ रुपए का था और इसकी वार्षिक वृद्धि दर 20 से 25 फीसदी है। ब्रांड्स के स्तर पर सोयामिल्क सेगमेंट में सोयाफिट करीब 18 और स्टायटा करीब 10 प्रतिशत हिस्सेदारी रखते हैं। ओट्स मिल्क में ओटली 12, अर्बन प्लैटर 6 और रॉ प्रैसरी ओट मिल्क 8 प्रतिशत हिस्सेदारी पर काबिज हैं। बादाम व काजू मिल्क श्रेणी में एपिगामिया 14 , सोफिट 10, गुडमिल्क 6 और हर्शीज आल्मंड मिल्क लगभग 8 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी रखते हैं।
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved