
नई दिल्ली: लंबे समय से चली आ रही किरायेदारों और मकान मालिकों (tenants and landlords) के बीच विवाद को खत्म करने और किराये के कॉन्ट्रैक्ट नियम (contract rules) को आसान बनाने के लिए नया रेंट एग्रीमेंट कानून लागू कर दिया गया है. केंद्र सरकार (Central government) का नया रेंट एग्रीमेंट नियम 2025, मनमाने तरीके से किराये में बढ़ोतरी, ज्यादा सिक्योरिटी मनी और कमजोर डॉक्यूमेंट जैसी चीजों को रोकेगा और किरायेदारों को बड़ी राहत देगा.
नए नियम बेंगलुरु, मुंबई, हैदराबाद, पुणे और अन्य शहरों में किरायेदारों पर रहने वाले लोगों को बड़ी राहत देंगे. साथ ही मकान मालिकों को भी एक स्पष्ट मार्ग और एक विवाद समाधान प्लेटफॉर्म प्रोवाइड कराएंगे. भारत में शहरों की तरफ बढ़ते किरायेदारों और मकान मालिकों के झगड़ों को खत्म करने के साथ ही ये नियम ज्यादा भरोसेमंद, साफ-सुथरा और कानूनी तौर पर मजबूत स्ट्रक्चर पेश करेंगे. आइए जानते हैं रेंट एग्रीमेंट के तहत कौन-कौन से नियम लागू हुए हैं.
रेंट एग्रीमेंट 205 के नियम
हर किरायेदार के पास साइन करने के 60 दिनों के भीतर डिजिटल स्टैंप किया हुआ और ऑनलाइन रजिस्टर्ड रेंट एग्रीमेंट होना चाहिए.
अगर कोई किराये पर मकान लेता है तो उससे 2 महीने से ज्यादा का सिक्योरिटी डिपॉजिट नहीं लिया जा सकता है. कमर्शियल किराया 6 महीने से ज्यादा का नहीं होगा.
रजिस्ट्रेशन न कराने पर राज्यों के आधार पर ₹5,000 से शुरू होने वाला जुर्माना लग सकता है.
किराया सिर्फ 12 महीने पूरे होने के बाद और मकान मालिक द्वारा 90 दिन का लिखित नोटिस दिए जाने पर ही बदला जा सकता है.
अगर जरूरी मरम्मत की रिपोर्ट की जाती है तो मकान मालिक को कानूनी तौर पर 30 दिनों के अंदर उन्हें पूरा करना होगा. नहीं तो किरायेदार किराये से खर्च एडजस्ट कर सकता है.
किराये के कमरे या घर में जांच के लिए आने से पहले मकान मालिक को कम से कम 24 घंटे पहले लिखित नोटिस देना होगा.
किराये से निकालने की इजाज़त सिर्फ़ रेंट ट्रिब्यूनल के आदेश से और सिर्फ़ कानूनी तौर पर बताए गए आधार पर ही की जाएगी, मकान मालिक अपनी मर्जी से ये काम नहीं कर सकता.
रेंट ट्रिब्यूनल को फाइल करने की तारीख से 60 दिनों के अंदर किराएदारी के झगड़ों का फ़ैसला करना ज़रूरी है. इसमें किरायेदार को हटाने जैसा विवाद भी शामिल है.
किरायेदारों को किराये की प्रॉपर्टी पर रहने से पहले पुलिस वेरिफिकेशन करवाना होगा.
किसी भी तरह से ज़बरदस्ती निकालना, डराना-धमकाना और बिजली या पानी का कनेक्शन काटना कानूनी तौर पर सजा का प्रावधान है.
₹5,000 से अधिक मंथली किराये के लिए डिजिटल पेमेंट किया जाना चाहिए, ताकि यह वेरिफाई जानकारी रहे और कैश संबंधी विवादों को कम किया जा सके. हाई वैल्यू वाले किराये, जो 50 हजार रुपये प्रत माह से ज्यादा हैं तो अब धारा 194-आईबी के तहत टीडीएस लागू होगा, जिससे प्रीमियम लीज को व्यापक आयकर नियमों के अनुसार बनाया गया है. लिमिटेड डिपॉजिट के कारण अब किरायेदारों को कम एडवांस देना पड़ेगा. मकान मालिक किरायेदारों से मनमाने ढंग से किराया नहीं वसूल सकेंगे. किरायेदारों के पास एक डॉक्यूमेंट होगा और डिजिटल रिकॉर्ड होंगे. विवादों का तुरंत समाधान होगा.
मकान मालिकों के पास अब एक फॉलो करने वाला सही नियम होगा, जिस कारण कोर्ट की लड़ाईंया कम होंगी. किरायेदारों की टेंशन न करके वे अब आराम से दूसरे कामों में लग सकते हैं. साथ ही रेंट पेमेंट और डॉक्यूमेंटेशन में ज्यादा ट्रांसपेरेंसी होगी. रेंट एग्रीमेंट नियम 2025 के साथ, केंद्र का दावा है कि इससे अधिक किराया बाजार में तेजी आएगी, खाली पड़े आवासों को मुक्त करेगा और एक स्वस्थ, विश्वास-आधारित किराया पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करेगा, खासकर भारत के सबसे बड़े शहरों में जहां किरायेदारों को लंबे समय से अस्पष्ट शर्तों से जूझना पड़ रहा है.
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