नई दिल्ली। पूरे देश ने 18 नवंबर (18 November) को अंतरिक्ष के क्षेत्र में नया इतिहास (new history of space) बनते देखा। इस दिन भारत (India) ने अपने पहले ऐसे रॉकेट को अंतरिक्ष में भेजा (send rocket into space), जिसे देश के निजी क्षेत्र ने डिजाइन और तैयार किया था। इस रॉकेट का नाम है…विक्रम-एस। इसके साथ ही भारत में अंतरिक्ष तकनीक के मामले में निजी रॉकेट कंपनियों (private rocket companies) के प्रवेश की शुरुआत हो गई है। दो साल पहले भारत सरकार ने इसका एलान किया था।
इसरो ने 34 देशों के लगभग 350 उपग्रहों को अंतरिक्ष में पहुंचाया है। यह दुनिया की छठी सबसे बड़ी अंतरिक्ष एजेंसी है।
गगनयान अभियान की हो जाएगी शुरुआत
बिना चालक दल के ‘जी1’ मिशन को 2023 की अंतिम तिमाही में लॉन्च करने का लक्ष्य रखा गया है, इसके बाद 2024 की दूसरी तिमाही में दूसरे मानव रहित ‘जी2’ मिशन को रवाना किया जाएगा। वर्ष 2024 की चौथी तिमाही में मानव मिशन लॉन्च होगा।
रॉकेट फोर्स बना रहा है भारत
भारत ने हाल ही में अग्नि-5 का सफल परीक्षण किया था। चीन से तनाव के बीच भारत अब प्रलय मिसाइल को तैनात करने जा रहा हैै। ‘प्रलय’ से भारतीय सेना को एक मजबूत ‘रॉकेट फोर्स’ बनाने में मदद मिलेगी। इस पर रक्षा मंत्रालय में अंतिम निर्णय इस साल संभव है।
-रॉकेट फोर्स के लिए 50 से 70 हजार सैनिकों की जरूरत होगी।
-चार बैलिस्टिक मिसाइल ब्रिगेड देश के पूर्वी व पश्चिमी मोर्चे की सुरक्षा में जरूरी होंगी। मोबाइल टैक्टिकल मिसाइलें भी जरूरी।
