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एक हफ्ते में निफ्टी-सेंसेक्स एक फीसदी चढ़े, जानिए अब बाजार को किस ‘संजीवनी’ का है इंतजार?

नई दिल्ली। निफ्टी इंडेक्स और सेंसेक्स दोनों में पिछले एक हफ्ते के दौरान 0.9 से 0.95% तक चढ़े हैं। इस अवधि में बीएसई मिडकैप इंडेक्स 1.83% जबकि बीएसई स्मॉलकैप इंडेक्स 0.96% चढ़ा। ‘उच्चतम’ मुद्रास्फीति की आशंका, कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट, वैश्विक बांड प्रतिफल में लगातार नरमी ने इक्विटी बाजार को मजबूती दी है।

साप्ताहिक आधार पर बीएसई आईटी, बैंक निफ्टी, बीएसई कैपिटल गुड्स और बीएसई एफएमसीजी सबसे अधिक लाभ प्राप्त करने वाले सेक्टर रहे। जबकि कमजोरी वाले दो प्रमुख सेक्टर बीएसई रियल्टी और बीएसई पावर रहे। निफ्टी इंडेक्स में, एचडीएफसी लाइफ (+9.5%), अपोलो हॉस्पिटल (+8.5%) और बीपीसीएल (+6.7%) के शेयरों में सबसे अधिक बढ़ोतरी दर्ज की गई है। वहीं अदाणी एंटरप्राइज, नेस्ले इंडिया और कोटक महिंद्रा बैंक के शेयरों में कमजोरी आई। एफपीआई पिछले पांच कारोबारी सत्रों में शुद्ध विक्रेता रहे, जबकि इसी अवधि में घरेलू निवेशक शुद्ध खरीदार रहे।

पिछले छह महीनों में निफ्टी 50 में 14% की ठोस तेजी दिखी है। भारत वैश्विक स्तर पर सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले बाजारों में से एक रहा है। भारतीय बाजारों के आसपास यह नया आशावाद कई प्रकार के कारकों के कारण है। घरेलू रूप से उन्मुख अर्थव्यवस्था होना, कच्चे माल की कीमतों में गिरावट और अनुकूल उच्च-आवृत्ति संकेतक कुछ ऐसे कारक हैं जो भारत के पक्ष में हैं।

ग्रामीण अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे लौट रही पटरी पर, रबी के उत्पादन पर टिकी उम्मीदें
घरेलू अर्थव्यवस्था के लिए सितंबर तिमाही कुल मिलाकर मिला-जुला रहा है। इस दौरान जहां कुछ सकारात्मक पक्ष भी रहे और कुछ चुनौतियां भी दिखीं, जिनपर ध्यान देना जरूरी है। हालांकि ग्रामीण अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे पटरी पर लौट रही है पर इससे फिलहाल मांग में वृद्धि नहीं हो पा रही है। यह स्थिति मुख्य रूप से उच्च मुद्रास्फीति और धीमी आय वृद्धि के कारण है।

वहीं दूसरी ओर, पार्यप्त मिट्टी की नमी और जलाशयों के जलस्तर को देखते हुए रबी की अच्छी फसल की उम्मीद की जा रही है, इससे कृषि आय में वृद्धि होगी और यह बढ़ोतरी बाजार के लिए किसी ‘संजीवनी’ से कम नहीं होगी। पिछले कुछ समय में ग्रामीण आय पर दबाव के कारण एफएमसीजी और ऑटो सेक्टर का वॉल्यूम ग्रोथ प्रभावित हुआ है। ऐसे में अगर रबी की फसल के बाद ग्रामीण अर्थव्यवस्था की आय बढ़ती है तो इससे इन उद्योगों को बड़ी राहत मिल सकती है। खाद्य और ईंधन की कीमतों में लगातार गिरावट से भी ग्रामीण भारत को राहत मिलेगी।


घरेलू बाजार में फिलहाल एफएमसीजी, आईटी, इंडस्ट्रियल और मीडिया जैसे क्षेत्रों को मार्जिन दबाव का सामना करना पड़ रहा है लेकिन हालात बदलने के मजबूत संकेत दिख रहे हैं। ब्रेंट क्रूड, स्टील, कोयला, एल्युमीनियम और पाम ऑयल जैसी प्रमुख कॉमोडिटिज की कीमतों में ऊंचे स्तरों से नरमी आई है। आईटी कंपनियों में नौकरी छोड़ने वालों की संख्या भी स्थिरता की ओर बढ़ रही है। इन कारकों से मार्जिक के को कम करने में मदद मिल सकती है।

अलग-अलग इंडेक्सों की बात करें निफ्टी बैंक के मुनाफे में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी हुई है। तेज ऋण वृद्धि, मार्जिन में सुधार और कम प्रावधानों ने मुनाफा बढ़ाने में मदद की है। बैंकिंग सेक्टर के सकारात्मक रुझानों के बीच बैंकों का प्रभावशाली प्रदर्शन जारी रहने की उम्मीद है। बैंकों का शुद्ध ब्याज मार्जिन (NIM) अपने चरम के करीब है क्योंकि बैंक जमा वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए जमा दरों में इजाफा कर रहे हैं। कॉरपोरेट ऋण में बढ़ोतरी और क्रेडिट ग्रोथ की भी उम्मीद है।

एलएंडटी ने अपना म्यूचुअल फंड कारोबार एचएसबीसी को सौंपा
एलएंडी फाइनेंस होल्डिंग कंपनी ने अपने म्यूचुअल फंड कारोबार को एचएसबीसी असेट मैनेजमेंट इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को सौंपने की प्रक्रिया पूरी कर ली है। कंपनी की ओर से कहा गया है कि इस डील के एवज में उसे करीब 3,484 करोड़ रुपये मिले हैं। कंपनी के अनुसार इस सौदे से एलएंडटी इन्वेस्टमेंट मैनेजमेंट लिमिटेड के सरप्लस कैश बैलेंस में भी 764 करोड़ रुपये का इजाफा हुआ है। यह कंपनी एलएंडटी म्यूचुअल फंड के असेट मैनेजर के रूप में कारोबार कर रही थी।

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