नई दिल्ली। देश की अर्थव्यवस्था सुधरने लगी है और इसे लेकर एक अच्छी खबर आई है। नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था अगले कुछ वर्षों में दुनिया की शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं में से एक होगी। सभी क्षेत्रों में विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार का उपयोग किया जाएगा। नीति आयोग ने वित्त वर्ष 2021-22 के अंत यानी मार्च 2022 तक देश की आर्थिक वृद्धि दर कोविड-19 महामारी से पहले के स्तर पर ही पहुंच जाने की संभावना जताई है। इससे पहले रविवार को कुमार ने कहा था कि आर्थिक वृद्धि को लेकर यह उम्मीद चालू वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद की संकुचन दर आठ फीसदी से कम रहने की संभावना के चलते जगी है।
भारतीय रिजर्व बैंक ने भी चालू वित्त वर्ष (2020-21) के संशोधित पूर्वानुमान में आर्थिक वृद्धि दर के माइनस 7.5 फीसदी रहने की संभावना जाहिर की है, जबकि पहले इसके माइनस 9.5 फीसदी रहने का पूर्वानुमान जताया गया था। भारतीय अर्थव्यवस्था सितंबर तिमाही में लगाए गए अनुमान के मुकाबले ज्यादा तेजी से रिकवरी कर रही है। इसका एक कारण विनिर्माण के क्षेत्र में उछाल आना है, जो जीडीपी को 7.5 फीसदी के कम सिकुड़न वाले स्तर पर पहुंचने में मदद कर रहा है और आगे बेहतर उपभोक्ता मांग के लिए उम्मीदें पैदा कर रहा है।
संपत्ति मुद्रीकरण को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में राजीव कुमार ने कहा कि, यह जारी प्रक्रिया है और इसने उच्च स्तर पर बहुत सारा आकर्षण हासिल किया है। उन्होंने जोर देते हुए कहा, हम लगातार इसे आगे बढ़ाते रहेंगे और इस बात को सुनिश्चित करेंगे कि संपत्ति मुद्रीकरण का लक्ष्य हासिल हो जाए। सरकार चालू वित्त वर्ष के दौरान विनिवेश के जरिए 2.10 लाख करोड़ रुपये की रकम उगाहना चाहती है। इसमें केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां (सीपीएसई) भी शामिल हैं, जिनकी 1.20 लाख करोड़ रुपये की हिस्सेदारी बेची जाएगी। इसके अलावा वित्तीय संस्थानों में सरकार की हिस्सेदारी की बिक्री से 90 हजार करोड़ रुपये जुटाए जाएंगे।
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