उत्तर प्रदेश देश

अब राजपूतों ने की योगी की घेराबंदी, दी आंदोलन की चेतावनी

गाजियाबाद। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव (Assembly elections in Uttar Pradesh) से पहले सभी राजनीतिक दल अपने-अपने स्तर पर मतदाताओं को लुभाने की कोशिश में लग गए हैं. बीजेपी (BJP) भी पुराने नायकों को सम्मान और पहचान दिलाने की कोशिश में लगी है. मुख्यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) अगले हफ्ते योद्धा और शासक मिहिरभोज की प्रतिमा का अनावरण (Unveiling the statue of Mihirbhoj) करने दादरी आ रहे हैं, लेकिन इस बीच इसको लेकर विवाद हो गया है.
राजपूतों (Rajputs) ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की 9वीं सदी के शासक मिहिरभोज की प्रतिमा का उद्घाटन करने की योजना पर आंदोलन की चेतावनी (movement alert) दी है. सीएम योगी अगले हफ्ते 22 सितंबर को दादरी में मिहिरभोज की प्रतिमा का अनावरण करने वाले हैं, जिन्हें स्थानीय बीजेपी विधायक ने गुर्जरों का पूर्वज होने का दावा किया था.
राजपूत निकायों ने इसे तुष्टीकरण की राजनीति करार दिया, यह दावा करते हुए कि मिहिरभोज क्षत्रिय राजपूत समुदाय से थे और वह गुर्जर नहीं थे.



अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के अध्यक्ष महेंद्र सिंह तंवर ने कहा, ‘हमने सुना है कि उत्तर प्रदेश के सीएम सम्राट मिहिरभोज की एक प्रतिमा का उद्घाटन करने जा रहे हैं. सम्राट मिहिरभोज की प्रतिमा के उद्घाटन वह जरूर करें, लेकिन मिहिरभोज को गुर्जर समुदाय से जोड़ देना ऐतिहासिक तथ्य से तोड़मरोड़ तो है ही, चंद वोटों के लिए ऐसा तुष्टीकरण भी बिल्कुल गलत है.’ तंवर ने कहा, ‘पहले हरियाणा, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड में राजपूतों को उनके वंश से बदनाम करने के लिए इस तरह के प्रयास किए गए हैं.’
विश्व क्षत्रिय उत्तरदायित्व परिषद के अध्यक्ष भानु प्रताप सिंह के मुताबिक, “क्षत्रियों के इतिहास से तोड़मरोड़ किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं होगी. अगर यही सिलसिला चलता रहा तो क्षत्रिय समुदाय विरोधस्वरुप सड़क पर उतरने को मजबूर होगा.”

गैर-राजपूत होने का कोई प्रमाण नहींः इतिहासकार
राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना के प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह रघुवंशी ने कहा, ‘सम्राट मिहिरभोज को गुर्जर-प्रतिहार सम्राट के नाम से जाना जाता था. उनकी जाति प्रतिहार थी, जो कि एक राजपूत वंश है, और गुर्जर उस क्षेत्र का नाम था जहां गुजरात की वर्तमान स्थिति थी.’
इस बीच, इतिहासकार यह भी दावा करते हैं कि उन्हें मिहिरभोज के किसी गैर-राजपूत जाति के पूर्वज होने का कोई प्रमाण नहीं मिला है.
इतिहासकार श्रीभगवान सिंह ने कहा, ‘मिहिरभोज एक प्रतिहार राजपूत थे और उनके प्रत्यक्ष वंशज परिहार और मध्य तथा उत्तर भारत की ऐसी अन्य राजपूत जातियां हैं.’ अरब आक्रमणकारियों के प्राचीन ग्रंथों में युद्ध के मैदान पर उनकी वीरता का उल्लेख है क्योंकि उन्होंने बार-बार भारत पर आक्रमण करने के उनके प्रयासों का विरोध किया था.

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