देश के अधिकांश हिस्सों में इस समय मानसून (monsoon) की बेरूखी के चलते इस समय भीषण गर्मी (scorching heat) का प्रकोप चल रहा है। यहा तक मार्च अप्रैल जैसी गर्मी अभी लू का अहसास करा रही है, जबकि राज्यों में गर्मी हमेशा से लोगों के लिए परेशानी का कारण रही है। लू के थपेड़ों और प्रचंड गर्मी के कारण हर वर्ष बड़ी संख्या में लोग मौत के मुंह में समा जाते हैं।
बता दें कि इस प्रचंड गर्मी ने देश में पिछले 50 साल में 17,000 से ज्यादा लोगों की जान ली है। देश के शीर्ष मौसम वैज्ञानिकों की ओर से प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक साल 1971 से 2019 के बीच लू चलने की 706 घटनाएं हुई हैं।
यह अध्ययन कई लोगों ने मिलकर किया जिसमें पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम राजीवन, वैज्ञानिक कमलजीत रे, वैज्ञानिक एसएस रे, वैज्ञानिक आर के गिरी और वैज्ञानिक एपी डीमरी शामिल हैं। देश में ‘लू’ अति प्रतिकूल मौसमी घटनाओं में से एक है। अध्ययन के मुताबिक, 50 सालों (1971-2019) में ईडब्ल्यूई ने 1,41,308 लोगों की जान ली है। नमें से 17,362 लोगों की मौत लू की वजह से हुई है जो कुल दर्ज मौत के आंकड़ों का 12 फीसदी से भी ज्यादा है।
इन तीन राज्यों के अलावा पंजाब, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना उन राज्यों में शुमार हैं जहां भीषण लू के मामले सबसे ज्यादा सामने आते हैं। देश के उत्तरी मैदानों और पर्वतों में भीषण गर्मी पड़ी है और लू चली है। मैदानी इलाकों में इस हफ्ते के शुरुआत में पारा 40 डिग्री से अधिक पहुंच गया है।
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