नई दिल्ली. कोरोना वायरस संक्रमण के चलते दिल्ली मेट्रो का परिचालन मार्च महीने के अंत से बंद है. ऐसे में 27 जुलाई को मेट्रो ट्रेनों का संचालन ठप हुए पूरे 4 महीने से अधिक हो चुके हैं, जिससे दिल्ली मेट्रो रेल निगम को बड़ा आर्थिक घाटा हुआ है. हर दिन ये घाटा बढ़त ही जा रहा है. अब हालत ये है कि डीएमआरसी के पास लोन चुकाने के लिए भी पैसे नहीं है.
यही वजह है कि डीएमआरसी के लिए तकरीबन 20 सालों के दौरान यह पहला मौका होगा, जब वह 35,198 करोड़ रुपये के लोन का इंस्टॉलमेंट नहीं जमा कर पाएगी. जिसके लिए डीएमआरसी ने केन्द्र सरकार से आर्थिक मदद की मांग की है. इतना ही नहीं डीएमआरसी की ओर से यह भी मांग की गई है कि लोन की किश्तें चुकाने के लिए एक साल का समय बढ़ा दिया जाए .
मेट्रो का कुल नेटवर्क 389 किलोमीटर का है, जिस पर कुल 285 मेट्रो स्टेशन पड़ते हैं. चार महीने से मेट्रो बंद होने के बाद उसका रखरखाव जारी है. वहीं, 10 हजार के करीब लोग मेट्रो के साथ काम करते हैं. परिचालन बंद होने से मेट्रो का रोज करीब 10 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है. लॉकडाउन से पहले मेट्रो में रोजाना 28 लाख से अधिक लोग सफर करते थे.
जापान इंटरनेशनल कॉऑपरेशन एजेंसी ने दिल्ली मेट्रो रेल निगम को 30 साल के लिए लोन दिया है. 35,198 करोड़ रुपये की भारी भरकम रकम पर 1.2 फीसदी से 2.30 फीसद की रियायत दर पर लोन मिला है. इसमें 10 साल की मोरेटोरियम अवधि भी शामिल है. (एजेन्सी, हि.स.)
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