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प्रदूषण फैलाने वाले पर लगेगा 1 करोड़ तक का जुर्माना, नए कानून को मिली मंजूरी


नई दिल्ली। दिल्ली-एनसीआर और इससे सटे राज्य हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और यूपी में वायु प्रदूषण को रोकने, उपाय सुझाने और उसको मॉनिटर करने के लिए एक आयोग (कमीशन) बनाने के लिए अध्यादेश को मंजूरी दे दी गई है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बुधवार को एक अध्यादेश के माध्यम से वायु प्रदूषण के खतरे से निपटने के लिए इस आयोग के लिए मंजूरी दे दी है।

इस आयोग में एक चेयरपर्सन के साथ साथ केंद्र सरकार, एनसीआर के राज्यों के प्रतिनिधि, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और इसरो के भी प्रतिनिधि शामिल होंगे। जानकारी के मुताबिक यह आयोग, भूरेलाल के नेतृत्व वाले पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण एवं संरक्षण प्राधिकरण (ईपीसीए) की जगह लेगा। ईपीसीए का गठन सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रदूषण के मामलों में सर्वोच्च निगरानी निकाय के रूप में किया गया था।

इस आयोग में एक अध्यक्ष और 17 सदस्य होंगे जिन्हें केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किया जाएगा। साथ ही दिल्ली, हरियाणा, यूपी, पंजाब और राजस्थान के प्रतिनिधि शामिल होंगे। इस आयोग के बनने से तमाम टॉस्क फोर्स, कमेटी और एक्सपर्ट ग्रुप के बीच किसी मुद्दे पर होने वाला मतभेद खत्म होगा और सिनर्जी में काम होगा। इस आयोग का मुख्यालय दिल्ली में होगा।

इस आयोग की अध्यक्षता सचिव या मुख्य सचिव रैंक के एक सरकारी अधिकारी द्वारा की जाएगी, और इसमें पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के सचिव और पांच अन्य सचिव / मुख्य सचिव स्तर के अधिकारी शामिल होंगे।

इस कमेटी में 3 उप समितियां होंगी
निगरानी और पहचान पर उप समिति
सुरक्षा और प्रवर्तन पर उप समिति
अनुसंधान और विकास पर उप समिति

आयोग को प्रदूषण के संकट को खत्म करने के लिए इसके द्वारा निर्धारित निर्देशों का उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई के अधिकार दिए गए हैं। आयोग के आदेशों और राज्यों की अधिसूचनाओं का अनुपालन नहीं करने पर जुर्माना लगाया जाएगा।

आयोग के पास प्रदूषण संकट को समाप्त करने के लिए दिशा-निर्देश जारी करने, शिकायतों के आधार पर स्वत: संज्ञान लेने, बिजली आपूर्ति रोकने या किसी संस्था या उद्योग के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार होगा।

आयोग के किसी भी अधिकारी को उसके कार्य में बाधा पहुंचाने और आयोग के नियमों का उल्लंघन करने वाले के खिलाफ आपराधिक प्रक्रिया की संहिता लागू होगी। जुर्माने के साथ एक या 5 साल तक के कारावास की सजा हो सकती है। यही नहीं, जुर्माने की राशि 1 करोड़ रुपये या उससे अधिक भी हो सकती है।

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