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आईटीबीपी जवानों को यूएवी, राडार, लॉरोस से लैस किये जाने की तैयारी

September 13, 2020

नई दिल्ली । लद्दाख सीमा की अग्रिम चौकियों पर तैनात भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के जवानों को आने वाली सर्दियों को देखते हुए ठंड से बचाव के इंतजाम किये जा रहे हैं। अग्रिम मोर्चे पर तैनात जवानों को चीनियों से भिड़ने के लिए चाइनीज भाषा भी सिखाई गई है। इन्हें यूएवी, राडार, लॉरोस से भी लैस किया जा रहा है। इनके लिए ऐसी विशेष चौकियां बनाई जा रही हैं, जो जवानों को शून्य से नीचे तापमान में भी सुरक्षित रखेंगी।

आईटीबीपी के जवान लद्दाख, अरुणाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और हिमाचल प्रदेश के साथ चलने वाली चीन के साथ 3,488 किलोमीटर लंबी एलएसी) पर तैनात हैं। लद्दाख में सीमा की कुल लंबाई 1,597 किमी. है। इसी तरह अरुणाचल प्रदेश में 1,126 किमी., उत्तराखंड में 345 किमी., सिक्किम में 220 किमी. और हिमाचल में 200 किमी. है। पूरी सीमा पर इस समय आईटीबीपी की 180 अस्थाई चौकियां हैं, जिनमें प्रत्येक में 100-100 जवान हैं। चीन के साथ सीमा पर 47 नई सीमा चौकियां (बीओपी) बनाई जा रही हैं। इसमें 12 मचान शिविर हैं जो न्यूनतम तापमान में भी जवानों को सुरक्षित रखेंगे। नई 47 सीमा चौकियों में से 34 अरुणाचल प्रदेश में बनेंगी, जहां का इलाका बेहद दुर्गम है, जबकि पांच पश्चिमी थिएटर में होंगी। मचान शिविरों में जवानों के लिए राशन, रसद और ठहरने के इंतजाम किये जा रहे हैं।

लद्दाख में पैन्गोंग झील, गलवान घाटी, गोगरा और डेप्सांग मैदानों के बीच अग्रिम चौकियों पर तैनात आईटीबीपी ने निगरानी के लिए हाई-टेक कैमरे लगाने की मांग की थी ताकि चीनी क्षेत्र के अंदर 25-30 किलोमीटर तक देखा जा सके। उच्च ऊंचाई पर सेंसर प्रणाली से लंबी दूरी तक दिन-रात निगरानी की जा सकती है। यह दिन और रात के साथ-साथ खराब मौसम के दौरान मानव के साथ-साथ वाहनों की गतिविधियों का भी पता लगाकर ट्रैक कर सकता है। केंद्र सरकार ने मानव रहित हवाई वाहनों (यूएवी), उन्नत लंबी दूरी की टोही और अवलोकन प्रणालियों (एलओआरआरओएस), राडार, ऑल-टेरेन वाहनों और स्नो स्कूटरों के लिए भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। अधिकारियों ने कहा कि यह मंजूरी भारत-चीन सीमा पर तैनात केंद्रीय बल को निगरानी उपकरणों और गैजेट्स से लैस करने की योजना का हिस्सा है।

गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि सीमा पर तैनात जवानों ने अस्थाई सीमा चौकियों (बीओपी) की दूरी कम करने और मचान शिविरों के निर्माण की मांग की थी, क्योंकि ये जवान सर्दियों में लगातार बर्फबारी और उप-शून्य तापमान का अनुभव करते हैं। इसलिए नए बीओपी तापमान नियंत्रित होंगे और चीनी सेना का मुकाबला करने में बलों की मदद करेंगे। ऊंचाई पर अग्रिम चौकियों से लेकर जमीनी चौकियों तक तैनात जवानों की अदला-बदली सर्दियों के दिनों में जल्दी-जल्दी किये जाने की योजना है, क्योंकि वर्तमान में जवानों की अदला-बदली हर तीन महीने में की जाती है। लद्दाख सीमा की अग्रिम चौकियों पर तैनात आईटीबीपी के जवानों को चाइनीज भाषा भी सिखाई गई है ताकि चीनी सैनिकों को उनकी ही भाषा में जवाब दिया जा सके। एजेंसी

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