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प्रधानमंत्री मोदी ने योगी के कार्यों को सराहा, कहा उप्र की छवि बदली है

लखनऊ । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को जनपद मीरजापुर और सोनभद्र की 23 ग्रामीण पाइप पेयजल परियोजनाओं के वर्चुअल शिलान्यास के मौके पर योगी सरकार की पीठ थपथपायी। उन्होंने कोरोना संक्रमण काल में श्रमिकों और आम जनता का ध्यान रखने से लेकर विकास योजनाओं और इंसेफेलाइटिस के खिलाफ प्रभावी लड़ाई को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की बहुत सराहना की।

मुख्यमंत्री और उनकी टीम को दी बधाई
प्रधानमंत्री ने अपने सम्बोधन में कहा कि आज शिलान्यास हुई परियोजनाएं कोरोना संक्रमण के बावजूद विकास यात्रा को तेजी से आगे बढ़ते उत्तर प्रदेश का भी एक उदाहरण है। पहले जो लोग उत्तर प्रदेश के विषय में धारणाएं और अनुमान लगाते थे, आज उसके विपरीत जिस प्रकार से उत्तर प्रदेश में एक के बाद एक योजनाएं लागू हो रही हैं, उससे उत्तर प्रदेश, यहां की सरकार और कर्मचारियों की छवि पूरी तरह से बदल रही है। इस दौरान जिस प्रकार से उत्तर प्रदेश में कोरोना से मुकाबला किया जा रहा है। बाहर से गांव लौटे श्रमिक साथियों का ध्यान रखा गया, रोजगार का प्रबंध किया गया, यह बिल्कुल सामान्य काम नहीं है।

उन्होंने कहा कि इतने बड़े प्रदेश में इतनी बारीकी से एक साथ इतने मोर्चों पर काम करके उत्तर प्रदेश ने कमाल करके दिखाया है। प्रधानमंत्री ने उत्तर प्रदेश की जनता,प्रदेश सरकार और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनकी पूरी टीम को इसके लिए बधाई दी।

उप्र में इंसेफेलाइटिस के मामलों में कमी की, दूर-दूर हो रही चर्चा
प्रधानमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के प्रयासों से जिस प्रकार इंसेफेलाइटिस के मामलों में कमी आई है उसकी चर्चा दूर-दूर तक है। विशेषज्ञ लोग भी इसकी चर्चा कर रहे हैं। मासूम बच्चों का जीवन बचाने के लिए मुख्यमंत्री योगी और उनकी पूरी टीम को हर उत्तर प्रदेशवासी इतना आशीर्वाद देता होगा, जिसकी हम कल्पना नहीं करते होंगे।

पुराने साथी डॉ. सोनेलाल पटेल को किया याद
इस मौके पर प्रधानमंत्री अपने मित्र अपना दल के संस्थापक डॉ.सोनेलाल पटेल को याद करे हुए कहा कि वह इस इलाके की पानी की समस्या को लेकर बहुत चिंतित रहते थे। इन योजनाओं को शुरू होते देख आज सोनेलाल पटेल जी की आत्मा जहां भी होगी उनको बहुत संतोष होगा और वह हम सब पर आशीर्वाद बरसाते होंगे।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आने वाले समय में जब यहां के तीन हजार गांव तक पाइप से पानी पहुंचेगा तो लाखों लोगों का जीवन बदल जाएगा। इससे उत्तर प्रदेश के, देश के हर घर तक जल पहुंचाने के संकल्प को भी एक बहुत बड़ी ताकत मिलेगी।

2.60 करोड़ से अधिक परिवारों को नल से पहुंचाया शुद्ध पेयजल
उन्होंने कहा कि हर घर जल पहुंचाने के अभियान को अब एक साल से अधिक समय हो गया है। इस दौरान देश में 2.60 करोड़ से अधिक परिवारों को उनके घरों में नल से शुद्ध पेयजल पहुंचाने का इंतजाम हो चुका है। इसमें लाखों परिवार उत्तर प्रदेश के भी हैं। उन्होंने कहा कि हम अपने गांव में रहने वाले के लिए शहरों जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराने की निरंतर कोशिश कर रहे हैं। आज जो परियोजनाएं शुरू हो रही हैं, उससे भी इस अभियान को और गति मिलेगी। इसके अलावा अटल भूजल योजना के तहत पानी के स्तर को बढ़ाने के लिए जो काम हो रहा है, वह भी क्षेत्र को बहुत मदद करने वाला है।

एक पंथ अनेक काज के लक्ष्य हो रहे सिद्ध
उन्होंने कहा कि हमारे वहां कहा जाता है एक पंथ दो काज। लेकिन आज यह जो योजनाएं बनाई जा रही हैं वहां तो एक पंथ अनेक काज, अनेक लक्ष्य सिद्ध हो रहे हैं। जल जीवन मिशन के तहत घर-घर पाइप से पानी पहुंचाने की वजह से हमारी माताओं बहनों का जीवन आसान हुआ है। इसका एक बड़ा लाभ गरीब परिवारों के स्वास्थ्य को भी हुआ है। इससे गंदे पानी से होने वाली टाइफाइड, इंसेफलाइटिस जैसी अनेक बीमारियों में भी कमी आ रही है। यही नहीं इस योजना का लाभ इंसानों के साथ साथ पशुधन को भी हुआ है। उन्होंने कहा कि पशुओं को साफ पानी मिलता है, तो वह भी स्वस्थ रहते हैं। पशु स्वस्थ रहें और किसानों, पशुपालकों को परेशानी ना हो, इस उद्देश्य को लेकर भी हम आगे बढ़ रहे हैं।

स्वराज की शक्ति को गांव के विकास का बनाया माध्यम
उन्होंने कहा जब विंध्याचल के हजारों गांव में पाइप से पानी पहुंचेगा तो उससे भी इस क्षेत्र के मासूम बच्चों का स्वास्थ्य सुधरेगा। उनका शारीरिक और मानसिक विकास और बेहतर होगा। उन्होंने कहा कि इतना ही नहीं जब शुद्ध पानी मिलता है, तो कुपोषण के खिलाफ हमारी लड़ाई और पोषण के लिए हम जो मेहनत कर रहे हैं, उसके भी अच्छे परिणाम मिलेंगे। उन्होंने कहा कि जल जीवन मिशन सरकार के उस संकल्प का भी हिस्सा है, जिसमें स्वराज की शक्ति को गांव के विकास का माध्यम बनाया जा रहा है।

स्थानीय संस्थाओं को दिए जा रहे अधिक से अधिक अधिकार
उन्होंने कहा कि इसी सोच के साथ ग्राम पंचायत, स्थानीय संस्थाओं को अधिक से अधिक अधिकार दिए जा रहे हैं। जल जीवन मिशन में पानी पहुंचाने से लेकर पानी के प्रबंधन और रखरखाव पर भी पूरा जोर है और इसमें भी गांव के लोगों की भूमिका बेहद अहम है। उन्होंने कहा कि गांव में पानी के स्रोतों के संरक्षण को लेकर भी काम किया जा रहा है। सरकार एक साथी की तरह, एक सहायक की तरह लोगों की विकास यात्रा में भागीदार की तरह उनके साथ है।

अब दिल्ली में बैठकर तय नहीं होता गरीब का घर कैसे बने
उन्होंने कहा कि जल जीवन मिशन की तरह प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत जो गरीबों के पक्के घर बन रहे हैं, उसमें भी यही सोच प्रदर्शित होती है। किस क्षेत्र में कैसा घर हो, किस सामान से घर बने, पहले की तरह यह अब दिल्ली में बैठकर तय नहीं होता है। उन्होंने कहा कि अगर किसी आदिवासी गांव में विशेष परम्परा के घर बनते हैं, तो वैसे ही घर बनें न कि जैसा दिल्ली वाले सोचते हैं, वैसा होगा। जो जैसा चाहेगा, जैसा उसका रहन-सहन है, वैसा घर बने, यह सुविधा दी गई है।

गांव, गरीब, आदिवासियों को पहले नहीं मिली वतर्मान जैसी प्राथमिकता
प्रधानमंत्री ने कहा कि जब अपने गांव के विकास के लिए स्वयं फैसले लेने की स्वतंत्रता मिलती है, उन फैसलों पर काम होता है तो उससे गांव के हर व्यक्ति का आत्मविश्वास बढ़ता है। आत्मनिर्भर गांव, आत्मनिर्भर भारत के अभियान को इसके कारण बहुत बड़ा बल मिलता है। इससे स्थानीय स्तर पर पैदा होने वाले सामान की खपत ज्यादा होती है। स्थानीय स्तर पर ही जो कुशल लोग हैं उनको रोजगार मिलता है। उन्होंने कहा कि हमारे गांव को, गांव में रहने वाले गरीबों को, आदिवासियों को जितनी प्राथमिकता हमारी सरकार ने दी उतनी पहले नहीं दी गई।

सरकार समस्याओं के समाधान के लिए कर रही कार्य
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस कार्यक्रम में लोगों का उत्साह और उमंग घर में किसी बहुत बड़े उत्स्व की तरह नजर आ रहा है। इससे पता चलता है कि अपने आप में ही इस योजना का मूल्य कितना बड़ा है और पानी के प्रति क्षेत्र के लोगों की संवेदनशीलता कितनी है। उन्होंने कहा कि सरकार आपकी समस्याओं को अच्छी तरह समझती है और उसके समाधान के लिए भी कार्य कर रही है। प्रधानमंत्री ने लोगों के उत्साह और उमंग को देखते हुए विश्वास जताया कि यह योजना तय समय से जल्दी पूरी होगी और इसकी लागत भी कम हो सकती है, क्योंकि जनभागीदारी से बहुत बड़ा परिणाम मिलता है।

रहीम दास को याद कर बोले ‘जा पर बिपदा परत है, सो आवत यहि देस’
प्रधानमंत्री ने कहा कि मां विंध्यवासिनी की हम सभी पर विशेष कृपा है कि आज इस क्षेत्र के लाखों परिवारों के लिए इस बड़ी योजना की शुरुआत हो रही है। इस योजना के तहत लाखों परिवारों उनके घरों में नल से शुद्ध पेयजल मिलेगा। उन्होंने कहा कि विंध्य पर्वत का यह पूरा विस्तार पुरातन काल से ही विश्वास, पवित्रता, आस्था का एक बहुत बड़ा केंद्र रहा है।

प्रधानमंत्री ने रहीम दास के दोहे को याद करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश के लोग जानते हैं कि ‘जा पर बिपदा परत है, सो आवत यहि देस।’ रहीम दास के इस विश्वास का कारण इस क्षेत्र के अपार संसाधन और यहां मौजूद अपार संभावनाएं थी।

संसाधन होने के बावजूद प्यासे क्षेत्रों में बने रहे विध्यांचल और बुन्देलखण्ड
उन्होंने कहा कि कई नदियों का आशीर्वाद इस क्षेत्र को प्राप्त है। लेकिन, आजादी के बाद दशकों तक अगर उपेक्षा का शिकार भी कोई क्षेत्र हुआ है तो यही सबसे अधिक है। उन्होंने कहा विध्यांचल और बुन्देलखण्ड क्षेत्र संसाधनों के बावजूद अभाव के क्षेत्र बन गए। इतनी नदियां होने के बावजूद इनकी पहचान सबसे अधिक प्यासे और सूखा प्रभावित क्षेत्रों से की ही रही। इस वजह से अनेक लोगों को यहां से पलायन करने पर मजबूर होना पड़ा।

विंध्याचल की सबसे बड़ी परेशानी को दूर करने का किया कार्य
उन्होंने कहा कि बीते वर्षों में विंध्याचल की सबसे बड़ी परेशानी को दूर करने का निरंतर कार्य किया गया है। यहां घर-घर जल पहुंचाने और सिंचाई की सुविधाओं का निर्माण इसी प्रयास का एक बहुत अहम हिस्सा है। पिछले साल बुन्देलखण्ड में पानी से जुड़ी बहुत बड़ी परियोजना पर काम शुरू किया गया, जिस पर तेजी से काम चल रहा है और आज साढ़े पांच हजार करोड़ रुपये की विंध्य जलापूर्ति योजना का शिलान्यास भी हुआ है। यह सोनभद्र और मीरजापुर जिलों के लाखों लोगों को और विशेष तौर पर माताओं बहनों और बेटियों को बहुत-बहुत बधाई का अवसर है। इससे पहले प्रधानमंत्री ने स्थानीय महिलाओं से वर्चुअल संवाद भी किया।

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