गाजा/रामल्लाह। सैकड़ों फिलिस्तीनियों ने वेस्ट बैंक और गाजा में संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा प्रायोजित इजराइल और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के बीच समझौते के खिलाफ प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन का आयोजन इस्लामिक जिहाद आंदोलन और अन्य फिलिस्तीनी गुटों ने किया था। हमास सहित तमाम गुटों के नेता इस विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए। सैकड़ों लोग गाजा शहर में अल-ओमारी मुख्य मस्जिद में एकत्र हुए।
प्रदर्शनकारी मुख्य सड़कों पर मार्च करते हुए फिलिस्तीन चौक पर पहुंचे। प्रदर्शनकारियों के हाथों में बैनर थे, जिसमें लिखा था ‘फिलिस्तीन बिक्री के लिए नहीं है।’ इसके साथ उन लोगों ने यूएई के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। इस मामले को लेकर इस्लामिक जिहाद मूवमेंट के राजनीतिक ब्यूरो के सदस्य खालिद अल-बत्श ने यूएई से इजराइल की मान्यता तुरंत वापस लेने का आह्वान किया। प्रदर्शन के दौरान हमास आंदोलन के नेता मुशीर अल-मसरी ने अन्य गुटों के नेताओं की ओर से संबोधित किया।
उन्होंने समझौते की घोषणा को एक काला दिन करार दिया। उन्होंने कहा कि यह समझौता एक विश्वासघात है, जिसे माफ नहीं किया जा सकता। मुशीर ने कहा कि फिलिस्तीनियों की पीठ में छुरा घोंपा गया है। इससे पहले इस समझौते का ईरान और तुर्की ने भी विरोध किया है। इन मुल्कों ने इस समझौते को फलस्तीन के साथ विश्वासघात करार दिया है। ईरान के विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि इस समझौते के साथ यूएई ने फलस्तीन लोगों और सभी मुस्लिमों की पीठ में खंजर घोंप दिया है।
फलस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने भी इसकी तीखी आलोचना करते हुए यूएई के इस कदम को धोखा करार दिया है, जबकि तुर्की के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि क्षेत्र के लोग इसे कभी नहीं भूलेंगे। इसके पूर्व हमास भी इस समझौते की तीखी आलोचना कर चुका है।
उधर, संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने इस समझौते का स्वागत करते हुए उम्मीद जताई कि इससे इजराइली और फलस्तीन नेताओं के बीच अर्थपूर्ण बातचीत का मार्ग प्रशस्त होगा। ईयू ने कहा कि यह समझौता क्षेत्र में स्थिरता कायम करने में मददगार होगा। फ्रांस ने कहा कि समझौते से इजरायल और ईयू के बीच संबंध सामान्य होंगे। जबकि चीन ने इसे तनाव दूर करने वाला कदम बताया है।
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