विदेश

भड़के सउदी अरब ने कहा तुर्की की हर चीज का बहिष्कार करो


सउदी अरब। सऊदी अरब और तुर्की के बीच तकरार एक बार फिर चरम पर है। सऊदी के अधिकारियों ने अपने नागरिकों से तुर्की के हर सामान का बहिष्कार करने का आह्वान किया है। दरअसल, तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दवान ने खाड़ी देशों पर क्षेत्र को अस्थिर करने वाली नीति अपनाने का आरोप लगाया था जिसकी वजह से सऊदी अरब नाराज हो गया है।

सऊदी अरब के चैम्बर ऑफ कॉमर्स हेड अजलान अल अजलान ने एक ट्वीट में कहा, हर उस चीज का बहिष्कार करिए जो तुर्की में बनी है। चाहे वो आयात के स्तर पर हो, निवेश हो, पर्यटन हो, बॉयकॉट करना हर सऊदी नागरिक की जिम्मेदारी है। हमारे देश, हमारे नेतृत्व और हमारे नागरिकों के खिलाफ दुश्मनी निभा रहे तुर्की को जवाब देना होगा।

तुर्की के राष्ट्रपति ने खाड़ी के देशों पर तुर्की को टारगेट करने और क्षेत्र को अस्थिर करने का आरोप लगाया था। संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने संबोधन में रेचेप तैय्यप एर्दोवान ने कहा था, ये नहीं भूलना चाहिए कि जो देश सवालों के घेरे में हैं, उनका कल कोई अस्तित्व नहीं था और शायद आने वाले कल में भी ना हो लेकिन हम अल्लाह की इजाजत से इस क्षेत्र में हमेशा अपना झंडा फहराते रहेंगे। वॉशिंगटन पोस्ट के पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या के बाद से ही तुर्की और सऊदी के संबंध तनावपूर्ण चल रहे हैं। साल 2018 में तुर्की के सऊदी दूतावास में पत्रकार खशोगी की हत्या कर दी गई थी। इस हत्याकांड में सऊदी के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की भूमिका को लेकर खूब सवाल उठे।

वॉशिंगटन पोस्ट के पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या के बाद से ही तुर्की और सऊदी के संबंध तनावपूर्ण चल रहे हैं। साल 2018 में तुर्की के सऊदी दूतावास में पत्रकार खशोगी की हत्या कर दी गई थी। इस हत्याकांड में सऊदी के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की भूमिका को लेकर खूब सवाल उठे।
तुर्की के राष्ट्रपति एर्दवान ने कहा था कि खशोगी की हत्या का आदेश सऊदी की सरकार के शीर्ष स्तर से आया था हालांकि, एर्दवान ने सीधे तौर पर कभी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान का नाम नहीं लिया। तुर्की में इसी सप्ताह खशोगी हत्याकांड में सऊदी के छह नागरिकों को आरोपी बनाया गया है। इनमें से कोई भी आरोपी तुर्की में नहीं है। उनकी गैर-मौजूदगी में ही मुकदमा चलेगा। खशोगी हत्याकांड को लेकर इंस्तांबुल कोर्ट में पहले से ही सऊदी के 20 नागरिकों के खिलाफ ट्रायल चल रहा है।

तुर्की के फैसले से कुछ दिन पहले ही सऊदी में खशोगी हत्याकांड में बंद कमरों में हुए ट्रायल में पांच आरोपियों की मौत की सजा को कम करते हुए 20 साल की जेल में तब्दील कर दिया गया था। हाल ही में, एर्दवान ने यूएई और बहरीन के इजरायल के साथ राजनयिक रिश्ते बहाल करने के फैसले की आलोचना की थी। यूएई और इजरायल के रिश्ते सामान्य करने के ऐलान के बाद एर्दवान ने तुर्की को चेतावनी दी थी कि वह खाड़ी देशों के साथ अपने राजनयिक रिश्ते खत्म कर सकता है।

तुर्की के इजरायल के साथ दशकों से राजनयिक रिश्ते रहे हैं लेकिन एर्दवान के शासन में तुर्की खुद को फलस्तीनियों के मसीहे के तौर पर पेश करता है। एर्दवान सऊदी के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान को चुनौती देते हुए खुद को मुस्लिम दुनिया के लीडर के तौर पर स्थापित करना चाह रहे हैं। चाहे कश्मीर हो या फिलीस्तीन, तुर्की के राष्ट्रपति जमकर बयानबाजी करते नजर आते हैं। यही वजह है कि पाकिस्तान में भी अब सऊदी के मुकाबले तुर्की के प्रति लोगों का प्रेम ज्यादा उमड़ता दिख रहा है।

पिछले साल, मलेशिया, तुर्की और पाकिस्तान ने मुस्लिम दुनिया के मुद्दों को उठाने के लिए कुआलालंपुर में एक बैठक बुलाई। हालांकि, जब सऊदी को इस कदम का पता चला तो उसने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को इसमें शामिल होने से रोक लिया। हाल ही में, पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने सऊदी को ये कहकर चुनौती दे डाली थी कि अगर वो कश्मीर पर खुलकर साथ नहीं देगा तो वह अपनी सोच वाले देशों के साथ अलग से बैठक बुला लेगा। जाहिर है कश्मीर पर पाकिस्तान को तुर्की का समर्थन हासिल है और कुरैशी का इशारा एर्दवान की ही तरफ था।

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