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साल 2023 में इस दिन मनाई जाएगी राम नवमी, यहां जाने तिथि से लेकर पूजा विधि के बारे में सबकुछ

नई दिल्ली (New Delhi)। राम नवमी (Ram Navami) एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है, जो हर साल चैत्र महीने शुक्ल पक्ष के नौवें दिन मनाया जाता है। इस साल रामनवमी 30 मार्च को मनाई जाएगी। भगवान राम (lord ram) के जन्म का सम्मान करने के लिए हिंदू राम नवमी मनाते हैं। चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवरात्रि (Navratri) शुरू होती हैं और देवी के आठ रूपों की पूजा की जाती है। इसी के साथ नौवें दिन राम नवमी का उत्सव मनाया जाता है। रामनवमी को अयोध्या के राजा, राजा दशरथ के भगवान राम के जन्म के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। राम नवमी के दिन भगवान राम की विधि विधान से पूजा (Prayer) की जाती है। मंदिरों को सजाया जाता है, ढोल नगाड़े बजते हैं और भक्त भगवान राम के जन्म की खुशी मनाते हैं। राम नवमी का दिन बेहद शुभ माना जाता है। आइए जानते हैं रामनवमी की तिथि, मुहूर्त और पूजा विधि (Muhurta and Puja Vidhi) के बारे में।

रामनवमी तिथि
चैत्र मास 2023 की नवमी तिथि आरंभ: 29 मार्च 2023, रात्रि 09:07 मिनट से
चैत्र मास 2023 की नवमी तिथि समाप्त: 30 मार्च 2023, रात्रि11:30 पर


राम नवमी पूजा मुहूर्त
राम नवमी 2023 अभिजीत मुहूर्त: 30 मार्च 2023, प्रातः 11:17 से दोपहर 01:46 बजे तक
राम नवमी 2023 कुल पूजा अवधि: 2 घंटे 28 मिनट रहेगी

रामनवमी का महत्व
भगवान राम भगवान विष्णु के सातवें अवतार थे। उन्होंने अपने लोगों के लिए एक कल्याणकारी राज्य की स्थापना की और सभी के अनुसरण के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत किया। वह लालच, घृणा और कुरीतियों से रहित था और जो सही था उसके लिए खड़ा था, शक्तिशाली विरोधियों के खिलाफ, और कमजोरों की रक्षा की। भक्त इस दिन शांति, धन और सफलता के लिए प्रार्थना करते हैं और भगवान राम का आशीर्वाद लेते हैं। इस दिन कई लोग कन्या पूजन भी करते हैं, जिसमें देवी दुर्गा के नौ रूपों का प्रतिनिधित्व करने वाली नौ कन्याओं की पूजा की जाती है। कुछ भक्त भगवान राम की मूर्तियों को स्नान कराते हैं। भगवान राम के समक्ष दीपक जलाकर उनकी आराधना करते हैं।

रामनवमी की पूजा विधि
रामनवमी के दिन प्रातः काल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें ।
भगवान राम के बाल स्वरूप को झूले में रखें ।
एक कलश पर आम के पत्ते और नारियल रखें।
भगवान राम को धूप, दीप,फल, फूल,वस्त्र आभूषण अर्पित करें।
भगवान राम को मिष्ठान, खीर, हलवा, गुड़ शक्कर का भोग लगाएं।
अंत में विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें और विष्णु भगवान की आरती करें।

(नोट : यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। हम इन पर किसी भी प्रकार का दावा नहीं करते है.)

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