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पंजाब पुलिस ने अमृतपाल सिंह को घोषित किया भगोड़ा, संगठन से जुड़े 78 गिरफ्तार

चंडीगढ़ (Chandigarh)। ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन के मुखिया (head of ‘Waris Punjab De’ organization) अमृतपाल सिंह (Amritpal Singh) पर शिकंजा कसते हुए पंजाब पुलिस (Punjab Police) ने उसे भगोड़ा घोषित कर दिया है. साथ ही उसके फाइनेंसर दलजीत सिंह कलसी (Financier Daljit Singh Kalsi) को गुरुग्राम से गिरफ्तार कर लिया है. जबकि, उसका चाचा हरजीत सिंह, ड्राइवर हरप्रीत, गुर औजला, तूफान सिंह और पपलप्रीत सिंह अभी फरार है. पुलिस का दावा है कि अमृतपाल को आखिरी बार मोटरसाइकिल से भागते देखा गया था. जबकि, उसके कई बॉडीगार्ड अरेस्ट किए गए हैं।

उसके खिलाफ पुलिस ने राज्य में बड़े पैमाने पर ऑपरेशन शुरू किया है. इसमें अब तक 78 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. साथ ही कई अन्य को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया है. इस ऑपरेशन के दौरान .315 बोर की एक राइफल, 12 बोर की 7 राइफल, एक रिवॉल्वर और 373 कारतूस समेत कुल नौ हथियार बरामद किए गए हैं. उधर, सुरक्षा कारणों और अफवाह न फैले, इसको देखते हुए राज्य में इंटरनेट बंद कर दी गई है और धारा-144 लागू कर दी गई है।


24 फरवरी को दर्ज किया गया था केस
पुलिस प्रवक्ता ने बताया कि इस संगठन से जुड़े लोगों पर चार आपराधिक दर्ज है. इसमें लोगों में वैमनस्य फैलाने, हत्या के प्रयास, पुलिस कर्मियों पर हमले और सरकारी काम में बाधा उत्पन्न करने के मामले हैं. इसी क्रम में अजनाला पुलिस स्टेशन पर हमले के लिए संगठन के लोगों के खिलाफ केस 24 फरवरी को केस दर्ज किया गया था. इसमें अमृतपाल सिंह भी आरोपी है।

‘फेक न्यूज और अफवाहों पर ध्यान न दें’
उन्होंने कहा कि आरोपियों के खिलाफ कानून के अनुसार निपटा जाएगा. सभी नागरिकों से अनुरोध है कि वे फेक न्यूज और अफवाहों पर ध्यान न दें. राज्य में स्थिति पूरी तरह स्थिर है. राज्य में शांति और सद्भाव को बिगाड़ने वालों के साथ सख्ती से निपटा जाएगा।

इंटरनेट सेवा बंद किए जाने के मामले में राज्य सरकार की ओर से कहा गया है, “सार्वजनिक सुरक्षा के हित में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं, सभी SMS सेवाएं (बैंकिंग और मोबाइल रिचार्ज को छोड़कर) और वॉयस कॉल को छोड़कर मोबाइल नेटवर्क पर प्रदान की जाने वाली डोंगल सेवाएं 18 मार्च (12:00 घंटे) से 19 मार्च (12:00 घंटे) तक निलंबित रहेंगी।

‘यूएपीए या एनएसए के तहत कार्रवाई नहीं होनी चाहिए’
इस मामले में कांग्रेस विधायक सुखपाल सिंह खैरा ने कहा, “मैं सीएम भगवंत मान से आग्रह करता हूं कि यूएपीए या एनएसए जैसे कानूनों के तहत अमृतपाल सिंह पर कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए, क्योंकि इस मामले में कोई आतंकी गतिविधि शामिल नहीं है. उस पर अजनाला की घटना में आरोप लगाया जा सकता है. अन्यथा यह माना जाएगा कि आप सिख युवाओं को केंद्रीय एजेंसियों के हवाले कर रहे हैं. उन्होंने सवाल उठाया कि अब तक लॉरेंस बिश्नोई के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई?

‘वारिस पंजाब दे’ संगठन का मुखिया है अमृतपाल सिंह
गौरतलब है कि खालिस्तानी ताकतों को एकजुट करने वाला 30 साल का अमृतपाल सिंह पंजाब में ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन संचालित करता है. ये संगठन एक्टर-एक्टिविस्ट दीप सिद्धू ने बनाया था. 15 फरवरी 2022 को दीप सिद्धू की सड़क हादसे में मौत हो गई थी. इसके बाद इसकी कमान दुबई से लौटे अमृतपाल सिंह ने संभाली।

दीप सिद्धू की मौत के बाद लोगों को जोड़ना शुरू किया
उसने किसान आंदोलन में भी रुचि दिखाई थी. दीप सिद्धू की मौत के बाद ‘वारिस पंजाब दे’ वेबसाइट बनाई और लोगों को जोड़ना शुरू कर दिया. अमृतपाल 2012 में दुबई चला गया था. वहां उसने ट्रांसपोर्ट का कारोबार किया. उसके ज्यादातर रिश्तेदार दुबई में रहते हैं. अमृतपाल ने शुरुआती शिक्षा गांव के ही स्कूल में पूरी की. उसने 12वीं तक पढ़ाई की है।

अजनाला हिंसा में घायल हुए थे छह पुलिसकर्मी
पिछले महीने ही अमृतपाल औऱ उनके साथियों ने पंजाब के अजनाला में हथियारों से लैस होकर थाने पर हमला कर दिया था. उसके समर्थकों ने अपहरण और दंगों के आरोपियों में से एक तूफान की रिहाई को लेकर पुलिस स्टेशन पर धावा बोला था. इस दौरान छह पुलिसकर्मी घायल हुए थे. उसके ही एक पूर्व सहयोगी ने अमृतपाल के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी. इसमें आरोप लगाया था कि इन सभी ने कथित तौर पर बरिंदर सिंह नाम के व्यक्ति को अजनाला से अगवा कर लिया और फिर मारपीट की।

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