मुंबई। आरबीआई(RBI) ने कहा कि महंगाई (Dearness) पर काबू पाने की लड़ाई लंबी चलेगी क्योंकि मौद्रिक नीति के तहत उठाए कदमों का असर दिखने में समय लगेगा। आरबीआई के डिप्टी गवर्नर माइकल देवव्रत पात्रा (Deputy Governor Michael Debabrata Patra) ने कहा, अगर हम इसमें सफल होते हैं तो नकारात्मक महंगाई से जूझ रही बाकी दुनिया के मुकाबले सबसे तेज बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं (economies) में से एक के तौर पर भारत की संभावनाएं मजबूत करेंगे।
पात्रा की अगुवाई वाली टीम ने अर्थव्यवस्था की हालत पर लिखे लेख में कहा, महंगाई के खिलाफ जारी जंग का सुखद नतीजा विदेशी निवेशकों में नया जोश भरेगा। बाजारों और जीडीपी को स्थिरता देगा। खुदरा महंगाई सितंबर में बढ़कर 7.41 फीसदी पर पहुंच गई।
5-6 तिमाहियों में दिखेगा असर : जयंत वर्मा
आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के सदस्य जयंत आर वर्मा ने कहा कि कठोर मौद्रिक नीतियों (harsh monetary policies) का महंगाई पर असर अगली 5-6 तिमाहियों के बाद ही दिखेगा। उन्होंने कहा, हमारा महंगाई का लक्ष्य 4 फीसदी है जिसमें 2 फीसदी कम या ज्यादा का भी विकल्प है। उन्होंने कहा, इसमें संदेह नहीं है कि केंद्रीय बैंक के इस कदम से महंगाई कम होगी। हालांकि, कठोर नीतियों का असर दिखना अभी बाकी है। इसका असर दिखेगा और कीमतें भी नीचे आएंगी।
हरित जीडीपी के लिए बने एक अलग इकाई
आरबीआई ने बुलेटिन में हरित जीडीपी के लिए पर्यावरण मंत्रालय के तहत एक समर्पित इकाई बनाने का भी सुझाव दिया है। यह इकाई पर्यावरणीय नुकसान, प्राकृतिक संसाधनों में कमी और संसाधनों की बचत से जुड़ी गणनाएं कर जीडीपी में उनका समायोजन करेगा। भारत के सामाजिक व विकास उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए वित्तीय प्रणाली को हरित वित्त पोषण की ओर बढ़ने की जरूरत है।