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सिंगरौली में औद्योगिक नगर जयंत के ‘कोविड हब’ की वजह

सिंगरौली। जिले में सबसे ज्यादा कोरोना संक्रमण (Corona infection) का असर जयंत उप नगर में रहा। जयंत उप नगर का मतलब यह कि कुछ को छोड़ दिया जाय तो यहां पर स्थित एनसीएल (NCL) की विभिन्न परियोजनाओं के अधिकारी, कर्मचारी ही मुख्य रूप से कोरोना की चपेट में फंसे। इनमें से अधिकांश स्वस्थ्य होकर अपने घर परिवार के बीच आ गए, परंतु इन्हीं में से कइयों को कोरोना ने निगल लिया। यद्यपि इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि जितने भी लोग कोरोना से संक्रमित हुए हैं निश्चित तौर पर वह लोगों की असावधानी का ही नतीजा रहा होगा, लेकिन सावधानी असावधानी के बीच मानवीय संवेदनाओं के दृष्टिगत इस बात पर भी गंभीरतापूर्वक गौर करना होगा कि कोरोना की वजह से जिनका सब कुछ छिन गया, जिनके जीवन का सारा सपना बिखरकर चूर-चूर हो गया, जिनका सहारा छिन गया, जनके घरों से जवान युवाओं की अर्थियां निकलीं निश्चित तौर पर उनके बारे में भी कहीं न कहीं संवेदनशीलता से विचार करना एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी भरा विषय है।

उल्लेखनीय बात यह है कि कोरोना की रोकथाम को लेकर प्रशासनिक स्तर तमाम तरह की गाइड लाइन्स के साथ साथ सख्ती से कानून का पालन कराने में पुलिस प्रशासन बराबर सक्रिय रहा और है। जिले में जब से कोरोना का साया आया तब से लेकर प्रशासन के लोग दिनरात बराबर मेहनत करते रहे और निरंतर करते आ रहे हैं। कोरोना मरीजों की सेवा में लगे हमारे डाक्टरों, नर्सों तथा अन्य स्टाफ की कड़ी मेहनत व उनके द्वारा किए जा रहे निरंतर प्रयासों की जितनी भी प्रशंसा की जाय, वह कम होगी।



इसी प्रकार से कोरोना की लड़ाई में पुलिस तथा अन्य सरकारी विभागों के कर्मचारियों, अधिकारियों सहित तमाम सामाजिक संगठनों की निरंतर कड़ी मेहनत तथा उनका योगदान काबिले तारीफ़ है और उन्हें सैल्यूट है जो कोरोना के मरीजों को को बचाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। ऐसे में सवाल इस बात को लेकर कतई नहीं है कि जिले में सबसे ज्यादा कोरोना संक्रमण का असर आखिर जयंत में ही क्यों रहा? परंतु संवेदनशील व ज्वलन्त सवाल इस बात को लेकर जरूर है कि जयंत नगर में यदि अचानक तेजी के साथ कोरोना संक्रमण की रफ्तार बढ़ी तो फिर इसके पीछे मुख्य वजह क्या रही ?

प्रशासनिक व्यवस्था के मद्देनजर तो कहीं कमियां नहीं रहीं ? आखिर चूक कैसे, कहां और क्यों हुई ? निश्चित तौर पर इसके लिए किसी न किसी की जिम्मेदारी तय होना चाहिये। वरना अभी तो ये कोरोना की दूसरी लहर जिसे झेलना मुश्किल हो रहा है, जबकि देश और दुनिया के सामने हमारे चिकित्सा वैज्ञानिकों ने कोरोना के तीसरी लहर का अभी से पूरा पूरा अंदेशा जता दिया है।

यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा कि कोरोना की लड़ाई को लेकर यदि तमाम सारी तैयारियों के बावजूद जाने अनजाने कमियां या चूक या फिर सुस्त स्थितियां बनी रहीं तो शायद कोरोना की तीसरी लहर इंसानी जीवन के लिए और अधिक भयावह हो सकती है।

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