आचार्य चाणक्य की गिनती महान अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ (Politician) और कूटनीतिज्ञ में की जाती है। आचार्य चाणक्य ने नीति शास्त्र (Ethics) में ऐसी कई नीतियों का वर्णन किया है जो आज भी प्रासंगिक हैं। चाणक्य ने जीवन के हर पहलु का बारीकी से अध्ययन किया। कहा जाता है कि चाणक्य (Chanakya) ने अपनी नीतियों की मदद से ही चंद्रगुप्त मौर्य को सम्राट बनाया था। कहा जाता है कि चाणक्य की नीतियों को अपनाकर हर कोई सफलता पा सकता है।
चाणक्य ने एक श्लोक में वर्णन किया है कि आखिर मुश्किल वक्त में क्या करना चाहिए और किन बातों का ध्यान रखना चाहिए। चाणक्य कहते हैं कि इन बातों का ध्यान रखकर संकट की घड़ी को आसानी से काटा जा सकता है। जानिए-
योजना के साथ काम करें-
नीति शास्त्र के अनुसार, चाणक्य ने अपनी रणनीति से ही नंद वंश को नष्ट किया था। ऐसे में संकट से बाहर निकलने के लिए व्यक्ति का प्लानिंग करना जरूरी है। मुश्किल समय से बाहर आने के लिए व्यक्ति को ठोस रणनीति की आवश्यकता होती है। ऐस में मुश्किल समय में सावधानी (Caution) के साथ प्लानिंग भी करनी चाहिए।
सावधानी बरतें-
चाणक्य कहते हैं कि मुश्किल समय में व्यक्ति को सावधानी बरतनी चाहिए। संकट की घड़ी सबसे बड़ी चुनौती होती है, ऐसे में इस समय छोटी-सी भूल भी बड़ा नुकसान कर सकती है।
परिवार की सुरक्षा-
चाणक्य कहते हैं कि परिवार की सुरक्षा व्यक्ति का प्रथम कर्तव्य होती है। इसलिए सबसे पहले अपने परिवार की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए। परिवार के प्रति जिम्मेदारी निभाना जरूरी है। संकट के समय में परिवार को कभी अकेला नहीं छोड़ना चाहिए।
सेहत का ध्यान-
चाणक्य कहते हैं कि व्यक्ति को मुश्किल समय में अपनी सेहत का ध्यान रखना चाहिए। क्योंकि विपरीत परिस्थितियों में व्यक्ति का मानसिक (Mental) व शारीरिक स्वस्थ होना बेहद जरूरी है। ऐसे में संकट के समय विशेष तौर पर स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए।
धन संचय-
संकट से निकलने के लिए धन का संचय करना जरूरी होता है। चाणक्य कहते हैं कि विपरीत परिस्थितियों में धन ही व्यक्ति का सच्चा मित्र होता है। जिस व्यक्ति के पास धन की कमी होती है, उसके लिए चुनौतियों का सामना करना मुश्किल होता है।
नोट- उपरोक्त दी गई जानकारी व सूचना सामान्य उद्देश्य के लिए दी गई है। हम इसकी सत्यता की जांच का दावा नही करतें हैं यह जानकारी विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, धर्मग्रंथों, पंचाग आदि से ली गई है । इस उपयोग करने वाले की स्वयं की जिम्मेंदारी होगी ।
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