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प्रसिद्ध जैन संत परमपूज्य श्री ऋषभचंद्रविजय जी महाराज का निधन


इंदौर। मोहनखेड़ा के प्रसिद्ध संत परमपूज्य सब के प्रिय श्री ऋषभचंद्रविजय जी महाराज (Rishabh Vijay ji) का कोरोना संक्रमण के चलते हृदय गति (Heart Rate) थमने के कारण आज तड़के 1:44 बजे निधन हो गया है।

62 वर्षीय बाबजी के नाम से अपने चहेतों में प्रसिद्ध संत ने मोहनखेड़ा तीर्थ को सेवा तीर्थ बनाया था और उनके लाखों चहेते देश भर में मौजूद थे ऋषभचंद्रविजय जी ने अपने जीवनकाल (Lifetime ) में धर्म के साथ कर्म की महत्वता प्रतिबादित करते हुए तीर्थस्थल में अस्पताल(Hospital) , शिक्षा (Education)की थी। 


उन्हें पिछले दिनो कोरोना संक्रमण  ( Corona Infection) के चलते इंदौर के अरवीन्दो अस्पताल (Arbindo Hospital) में भर्ती कराया गया था। जहां संक्रमण की तीव्रता के चलते कई बार उन्हें उच्च स्तरीय चिकित्सा उपलब्ध करवाई गयी।

उसी दौरान उन्हें जीवन रक्षक दवाइयों के साथ ही टोसी इंजेक्शन और प्लाज़्मा भी दिया गया। हालाँकि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति को दिया गया इंजेक्शन भी लगाया गया लेकिन लगातार स्वास्थ्य में गिरावट के चलते ,कल रात कोरोना संक्रमण से उब्जे दूसरे रोगों के चलते खून के थक्के जमा होने लगे और ह्रदय गति थमने से उनका निधन हो गाया। 

देशभर के डॉक्टरों की टीम लगी थी जैन संत को बचाने में

कोरोना से ग्रस्त हुए जैन संत मोहनखेड़ा में स्वयं के स्थापित अस्पताल में ही प्राथमिक उपचार कराते रहे। इसी दौरान उनका संक्रमण 60 प्रतिशत तक पहुंच गया। संक्रमण की स्थिति गंभीर होने के बाद उन्हें इंदौर के अरबिंदो हास्पिटल में उपचार के लिए लाया गया, जहां 24 घंटों में ही संक्रमण की स्थिति 80 प्रतिशत पर पहुंच गई और कोरोना के प्रचलित तूफान (Storm) की स्थिति शरीर में निर्मित होने के बाद उनके उपचार के लिए तमाम जीवनरक्षक दवाइयां दी गईं, जिनमें टोसी इंजेक्शन के साथ ही प्लाज्माथैरेपी भी शामिल रही। अरबिंदो मेडिकल कालेज के संचालक डॉ. विनोद भंडारी ने बताया कि इसी दौरान उनके उपचार के लिए देशभर के डॉक्टर बुलाए गए, जिनमें मेडिकल कॉलेज की टीम के राकेश सालगिया, डॉ. चौहान, डॉ. रेखा, डॉ. पांडे, डॉ. उदावरिया के साथ ही हैदराबाद के डॉ. जिंदल, मुंबई के डॉ. बंसाली, गुडग़ांव के डॉ. अरविंद मेदांता बुलाए गए। इसके उपरांत उन्हें अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को दिया गया इंजेक्शन भी लगाया गया। आचार्यश्री के शरीर में आया कोरोना का स्टार्म तो रोक लिया गया और वे कोरोनामुक्त तो हो गए, लेकिन इलाज के दौरान उन्हें कोरोना के संक्रमण द्वारा खून के थक्के बन जाने से पल्मोनरी थ्रोम्पोएम्बोलिजम हो गया और खून के इन्हीं थक्कों ने दिल की धमनियों को अवरुद्ध कर दिया और कल रात उनका निधन हो गया।


श्री मोहनखेड़ा तीर्थ से जारी पत्र के अनुसार, विक्रम संवत 2078, ज्येष्ठ वदि 10, शुक्रवार, 4 जुन 2021 को दोपहर 12 बजकर 39 मिनिट, विजय मुहूर्त में तीर्थ भूमि पर अग्नि संस्कार के विधि-विधान संपन्न होंगे। बता दे 4 जुन को श्री ऋषभचंद्रविजय जी महाराज का जन्मदिन भी है। 

प.पू. गच्छाधिपति आचार्यदेवेश श्रीमद्विजय ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी म. सा. की पहचान एक श्रेष्ठ धर्माचार्य के साथ ही कुशल संगठक, अच्छे लेखक, व उपदेशक, ज्योतिष विज्ञान व मंत्रशास्त्र के वेत्ता तथा हिन्दी-प्राकृत-संस्कृत के अध्येता के रूप में है। आचार्यश्री का जन्म 4 जून 1957 को सियाणा में हुआ था । पिता श्री मगराजजी अपने दो पुत्रों व एक पुत्री को बाल्यकाल में ही छोड़कर स्वर्गवासी हो गये।

माता श्रीमती रत्नावती ने अपनी संतानों को श्रेष्ठ धार्मिक संस्कार दिये, साध्वी दीक्षा ग्रहण की व आगे चलकर साध्वी श्री पीयूषलताश्री जी म. सा. कह लाई थी। बड़े भाई श्री नथमलजीने भी दीक्षा ग्रहण की व आगे चलकर आचार्य श्री रवीन्द्रसूरीश्वरजी के रूप में विख्यात हुए। वर्तमानाचार्य को गृहस्थ जीवन में मोहनकुमार नाम मिला था। आपने भी आचार्य श्री विद्याचन्द्रसूरि जी म. सा. से जब विक्रम सं. 2037 की ज्येष्ठ सुदी 10, दिनांक 23 जून 1980 के श्री मोहनखेड़ा में दीक्षा ली तो मुनि ऋषभचन्द्रविजय जी नामकरण हुआ। कालान्तर में वि.सं. 2074 की वैशाख शुक्ला 12 अर्थात 07 मई 2017 को श्री मोहनखेड़ा तीर्थ में आयोजित विशाल व भव्य कार्यक्रम में आचार्य पदवी प्रदान की गई व आप श्रीमद्विजय ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी कहलाये ।

मुनि व आचार्य रूप में उनके वरदहस्तों से धर्म प्रभावना के अनेक कार्य यथा अनेक मुक्षुओं को दीक्षा, तीर्थंकर व गुरुमंदिरों की प्रतिष्ठा, तीर्थ निर्माण व जीर्णोद्धार, छ:रिपालित संघों को निश्रा, प्रवचन, आदि संपन्न हुए। आचार्यश्री ने अनेक पुस्तकों का लेखन व संपादन किया है जिनके ध्मोपदेश, उपन्यास, कहानियां आदि शामिल है । आचार्यश्री मानवसेवा तथा जीवदया के प्रति विशेष आग्रही रहे । श्री मोहनखेड़ा तीर्थ में विशाल गौशाला व चिकित्सालय, राजगढ़ में चिकित्सालय की स्थापना की जहां विभिन्न अवसरों पर रोग निवारक शिविर लगते हैं। आपके प्रयासों से मोहनखेड़ा तीर्थ में गुरु राजेन्द्र जैन इंटरनेशनल स्कूल की स्थापना की गई है।

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