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अडानी-हिंडनबर्ग मामले पर JPC जांच होनी चाहिए या नहीं? महाराष्ट्र में विपक्षी नेताओं के अलग-अलग विचार

नई दिल्ली: अडानी के विषय पर जांच के लिए जेपीसी बनाने को लेकर महाराष्ट्र में राजनीति गरमा गई है. बड़े नेताओं ने अपनी बात कही जिसे सुनकर विरोधी पक्ष की पार्टियों में एकता है या दरार इसे लेकर सवाल उठने लगे हैं. NCP प्रमुख शरद पवार ने कहा कि मैंने जो इंटरव्यू दिया है वह अडानी के बारे में नहीं था. वह कई विषयों पर लिया जाने वाला इंटरव्यू था उसमें मुझसे अडानी के विषय में भी प्रश्न किए गए और मैंने उसके उत्तर दिए. पवार ने कहा कि जहां तक जांच के संबंध में मेरी राय का सवाल है तो मैंने यही कहा कि जेपीसी की जांच की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि जेपीसी की कोई भी जांच प्रभावी तरीके से नहीं हो सकती.

पवार ने यह भी कहा कि जब जेपीसी बनेगी तो उसमें बीजेपी का बहुमत रहेगा और अन्य दलों को अधिकतम एक या दो सदस्यों का ही प्रतिनिधित्व मिल पाएगा. ऐसे में वही निष्कर्ष निकाला जाएगा जो सत्ता पक्ष को चाहिए होगा. इसलिए मेरा मानना यह है कि जांच अगर होती है तो वह सुप्रीम कोर्ट की नॉमिनेट की हुई 5 सदस्यों की कमेटी से कराई जाए. इसमें कम से कम एक रिटायर्ड जज और बाकी अन्य सदस्य हो सकते हैं, क्योंकि अगर इस तरीके से जांच होती है तो ही जांच निष्पक्ष निष्कर्ष निकाल सकती है. पवार के मुताबिक जेपीसी की जांच कराए जाने पर यह संभव नहीं होगा.

‘JPC की मांग का कोई प्रभाव मुझे दिखता नहीं है’
दरअसल पवार का कहना है कि एक एजेंसी जिसका नाम हिंडनबर्ग है वह भारत के बाहर की एजेंसी है. वह किसी पर आरोप लगाए और जांच की मांग करें तो इस बात का कोई तुक नहीं है. एक समय पर हम भी अपने राजनीतिक बयानों में टाटा और बिरला के ऊपर आरोप लगाते रहते थे और आज वही बात अडानी और अंबानी के संबंध में कही जाती है. जहां तक विपक्षी दलों की इस विषय को लेकर एकता का प्रश्न है तो उसके लिए जेपीसी की मांग का कोई प्रभाव मुझे दिखता नहीं है. जो लोग लगातार पंद्रह दिन तक संसद नहीं चलने दे रहे थे और लगातार जेपीसी की मांग पर अड़े हुए थे वे लोग अच्छी तरह जानते हैं कि जब भी जेपीसी का गठन होगा तो उसमें बीजेपी का बहुमत रहेगा. ऐसे में वह जिस तरीके की जांच चाहते हैं उस तरीके की जांच जेपीसी से संभव नहीं है.


कांग्रेस नेता ने कही ये बात
वहीं महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता अशोक चव्हाण ने कहा कि जिस तरह से शरद पवार ने कहा वो उनकी व्यक्तिगत राय हो सकती है लेकिन अगर जेपीसी की मांग की गई है, तो वो जितने लोग भी जो कुछ कहेंगे वो रिकॉर्ड पर तो आएगा ही. हिंडन बर्ग के बारे में बहुत लोग जानते हैं और अगर उसने कुछ रिपोर्ट बनाकर दी है तो उसका असर दिखाई दिया है. लोगों के करोड़ों रुपये लगे हैं और अगर कुछ नहीं होगा तो रिपोर्ट में कुछ नहीं आएगा. इन सब बयानों का हमारी सोच पर कोई असर नहीं होगा.

शरद पवार को लेकर संजय राउत का बयान
इसके अलावा शिवसेना नेता और सांसद संजय राउत का कहना है कि शरद पवार का बयान हिंडन बर्ग मामले में सरकार को क्लीन चिट देना नहीं समझना चाहिए. पवार के बयान को MVA में फूट की तरह नहीं देखना चाहिए, पवार जी की भूमिका पहले भी रही है. शरद पवार का बयान है कि JPC से कोई लाभ नही होगा क्योंकि JPC में बीजेपी का चेयरमैन होगा, इसलिए उससे फायदा नहीं होगा. इस मुद्दे पर उनकी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस का भी संसद में यही स्टैंड था.

राउत के मुताबिक पवार साहब के बयान का ये मतलब नहीं कि अडानी के मुद्दे पर जांच ना हो. उनके बयान का यह मतलब भी नहीं कि महाराष्ट्र में MVA या विपक्ष में कोई फूट पड़ गई है. शिवसेना (एकनाथ शिंदे गट) नेता कृष्णा हेगड़े ने कहा कि हम पहले से ही ये कह रहे थे कि विपक्ष एक साथ नहीं है और आज शरद पवार ने ये बात साफ कर दी है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी जो लगातार जेपीसी (JPC) की मांग कर रहे थे, उन्हें शरद पवार साहब ने खारिज कर दिया है. राहुल गांधी की JPC गठित किए जाने की मांग सही नहीं है.

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