
नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला (Indian astronaut Shubhanshu Shukla), जिन्होंने 18 दिन अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर बिताए, अब उनके धरती पर वापसी की यात्रा शुरू हो गई हैं। एक्सिओम-4 मिशन के तहत उनकी वापसी हो रही है। इस कड़ी में आईएसएस से उनका स्पेसक्राफ्ट अनडॉक हो चुका हुआ है। यह मिशन भारत समेत हंगरी और पोलैंड के लिए भी अंतरिक्ष में वापसी का प्रतीक है, क्योंकि इन देशों ने चार दशकों बाद फिर से अंतरिक्ष में भागीदारी की है।
शुभांशु शुक्ला और उनकी टीम ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट में सवार हैं और अंतरिक्ष स्टेशन से अनडॉकिंग शाम करीब 4:50 बजे (भारतीय समयानुसार) हुआ है। इसके बाद स्पेसक्राफ्ट 22.5 घंटे की यात्रा के बाद यानी मंगलवार दोपहर 3:01 बजे IST पर कैलिफोर्निया के तट के पास समुद्र में स्प्लैशडाउन करेगा। यह पूरी प्रक्रिया स्वचालित होगी और उसमें किसी मैनुअल हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं होगी।
ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट आईएसएस से अलग होने के बाद कुछ इंजिन बर्न करेगा ताकि वह खुद को स्टेशन से सुरक्षित दूरी पर ले जा सके। इसके बाद वह पृथ्वी के वायुमंडल में दोबारा प्रवेश करेगा। इस दौरान उसका तापमान 1,600 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच सकता है। दो चरणों में पैराशूट खुलेंगे पहले 5.7 किमी की ऊंचाई पर स्टेबलाइजिंग चूट्स और फिर लगभग दो किमी पर मेन पैराशूट खुलेंगे, जिससे स्पेसक्राफ्ट की सुरक्षित लैंडिंग संभव होगी।
वहीं स्पेसक्राफ्ट की अनडॉकिंग पर केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने सोशल मीडिया एक्स पर एक पोस्ट में लिखा- शुभांशु, आपका स्वागत है! पूरा देश आपके घर वापस आने का बेसब्री से इंतज़ार कर रहा है… क्योंकि एक्सिओम-4 को सफलतापूर्वक अनडॉक करने के बाद आप अपनी वापसी यात्रा शुरू कर रहे हैं।
रविवार को आएसएस पर एक्सपीडिशन-73 मिशन के अंतरिक्ष यात्रियों ने एक्सिओम-4 मिशन दल के लिए विदाई समारोह आयोजित किया। इस मौके पर शुभांशु शुक्ला ने कहा कि जल्दी ही धरती पर मुलाकात करते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें इस यात्रा की शुरुआत में इतना कुछ अनुभव होगा, इसकी कल्पना नहीं थी। यह यात्रा उनके लिए अविस्मरणीय रही।
शुभांशु शुक्ला ने अंतरिक्ष से भारत की तस्वीर पर बात करते हुए कहा कि साल 1984 में राकेश शर्मा ने जो भारत देखा, उसके बाद अब हम देख रहे हैं कि आज का भारत महत्वाकांक्षी, निडर, आत्मविश्वासी और गर्व से भरा हुआ दिखता है। यही कारण है कि मैं आज भी कह सकता हूं ‘सारे जहां से अच्छा है हमारा भारत’। उनका यह बयान भारत की बदलती अंतरिक्ष ताकत को भी दर्शाता है।
इस मिशन के लिए इसरो ने लगभग ₹550 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। यह मिशन इसरो के मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम ‘गगनयान’ के लिए मील का पत्थर माना जा रहा है, जिसे 2027 में लॉन्च किया जाना है। शुक्ला का यह अनुभव उस मिशन की तैयारी में बेहद उपयोगी साबित होगा। स्पेस से लौटने के बाद शुक्ला और उनकी टीम को सात दिनों तक पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण में ढलने के लिए पुनर्वास (रिहैबिलेशन) प्रक्रिया से गुजरना होगा। वजनहीन वातावरण में रहने के बाद शरीर को फिर से सामान्य स्थिति में लाने के लिए यह जरूरी है। इस पूरी प्रक्रिया को वैज्ञानिकों की निगरानी में किया जाएगा।
शुभांशु शुक्ला की यह यात्रा सिर्फ एक मिशन नहीं, बल्कि भारत की नई अंतरिक्ष पहचान का प्रतीक है। वे न केवल आईएसएस जाने वाले पहले भारतीय बने, बल्कि उन्होंने यह दिखा दिया कि भारत अब अंतरिक्ष अन्वेषण की अग्रणी दौड़ में शामिल हो चुका है। उनकी वापसी का हर भारतीय को बेसब्री से इंतजार है।
केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने रविवार को कहा कि आज शाम 4:30 बजे शुभांशु शुक्ला का स्पेसक्राफ्ट आईएसएस से अनडॉक होगा। उन्होंने बताया कि शुक्ला ने अंतरिक्ष में जो प्रयोग किए, वे पूरी तरह से स्वदेशी किट और तकनीक पर आधारित थे। ये किट भारत के जैव प्रौद्योगिकी विभाग, आईआईएससी बेंगलुरु और आईआईटी जैसे संस्थानों ने बनाए थे। ये जीवन विज्ञान और प्लांटेशन से जुड़े प्रयोग दुनियाभर के लिए उपयोगी साबित होंगे।
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