
नई दिल्ली। मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज (Reliance Industries) और गौतम अडानी समूह (Gautam Adani Group) की अडानी पावर (Adani Power) सहित कम से कम 6 निजी क्षेत्र की कंपनियों ने भारत स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर (बीएसएमआर) (Bharat Small Modular Reactor -BSMR) स्थापित करने में रुचि दिखाई है और छह राज्यों में 16 संभावित स्थलों की पहचान की है। जिन छह कंपनियों ने भारतीय परमाणु ऊर्जा निगम लिमिटेड (एनपीसीआईएल) के स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर स्थापित करने के प्रस्ताव का जवाब दिया है, उनमें जिंदल स्टील एंड पावर, टाटा पावर, हिंडाल्को इंडस्ट्रीज और जेएसडब्ल्यू एनर्जी भी शामिल हैं।
16 जगह पर मंथन
एनपीसीआईएल ने कहा कि कंपनियों ने बीएसएमआर के लिए संभावित स्थलों की भी पहचान की है और विभिन्न राज्यों में 16 स्थलों की प्रारंभिक स्थल रिपोर्ट भी दी है। इनमें गुजरात में पांच, मध्य प्रदेश में चार, ओडिशा में तीन, आंध्र प्रदेश में दो और झारखंड, छत्तीसगढ़ में एक-एक स्थल शामिल हैं। देश के सभी परमाणु ऊर्जा संयंत्रों का संचालन करने वाली एनपीसीआईएल ने उद्योग जगत से उनके अपने उपयोग हेतु दो 220 मेगावाट के दाबित भारी जल रिएक्टर (पीएचडब्ल्यूआर) स्थापित करने हेतु प्रस्ताव आमंत्रित किए थे। प्रस्ताव देने की अंतिम तिथि 30 सितंबर थी। हालांकि, उद्योग जगत के अनुरोध पर समय सीमा अगले वर्ष 31 मार्च तक बढ़ा दी गई है।
जिंदल और टाटा की दिलचस्पी
एनपीसीआईएल ने कहा कि हिंडाल्को, जिंदल स्टील, टाटा पावर और रिलायंस इंडस्ट्रीज ने गैर-खुलासा समझौते (एनडीए) में बताए गए दस्तावेज दे दिए हैं। एनपीसीआईएल ने कहा कि जेएसडब्ल्यू एनर्जी और अडानी पावर ने एनडीए पर हस्ताक्षर के लिए दस्तावेज प्रस्तुत कर दिए हैं और उनका मूल्यांकन चल रहा है। बीएसएमआर का निर्माण और संचालन एनपीसीआईएल की देखरेख में किया जाएगा। सरकारी कंपनी परिचालन नियंत्रण और परिसंपत्ति स्वामित्व बनाए रखेगी, जबकि सफल बोलीदाताओं के पास उत्पादित बिजली पर लाभकारी अधिकार होंगे।
स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर क्या है?
स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर की बात करें तो यह एक नई पीढ़ी की परमाणु तकनीक है, जिसे भविष्य की ऊर्जा जरूरतों और स्वच्छ, सुरक्षित और किफायती बिजली उत्पादन के लिए विकसित किया जा रहा है। यह पारंपरिक परमाणु रिएक्टरों से आकार में छोटा, लेकिन तकनीक में अधिक आधुनिक और सुरक्षित माना जाता है। दुनिया के कई देशों की तरह भारत भी अब इस दिशा में कदम बढ़ा रहा है।
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