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वैश्विक सम्मेलन में बोले मंत्री मेघवाल, ‘इंसानी निगरानी में अपनाई जा रही न्याय प्रणाली में AI

November 15, 2025

मैड्रिड (स्पेन) । कानून और न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल (Arjun Ram Meghwal) ने शुक्रवार को कहा कि भारत में न्याय प्रणाली में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) को अपनाने की प्रक्रिया इंसान की निगरानी में नैतिक रूप से निर्देशित और गोपनीयता का ध्यान रखते हुए की जा रही है। मंत्री ने यह टिप्पणी मैड्रिड में 10वें ‘न्याय तक समान पहुंच पर ओईसीडी वैश्विक सम्मेलन’ के दौरान कही। इस सम्मेलन का विषय ‘डाटा संचालित और लचीली न्याय प्रणालियां- साझा समृद्धि के लिए’ रखा गया है।

मेघवाल ने कहा कि भारत में न्याय प्रणाली में एआई का इस्तेमाल इंसान की निगरानी में किया जा रहा है और यह नैतिक और गोपनीयता-सचेत सिद्धांतों पर आधारित है। सुप्रीम कोर्ट का अनुवाद उपकरण ‘सुवस’ (जिससे फैसलों का अनुवाद क्षेत्रीय भाषाओं में होता है), ‘सुपेस’ (जो जटिल मामलों की खोज में मदद करता है) और एआई-आधारित फाइलिंग व केस प्रबंधन प्रणाली जैसे उपकरण तेजी, सटीकता और सुविधा बढ़ा रहे हैं, जबकि जजों का विवेक और निष्पक्षता बनी रहती है।

मंत्री ने बताया कि केवल कोरोना महामारी के दौरान ही देशभर की अदालतों ने करीब 4.3 करोड़ ऑनलाइन सुनवाई कीं, जो सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट के बीच न्याय तक पहुंच के प्रति प्रतिबद्धता को दिखाता है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट और कई हाईकोर्ट में सुनवाई की लाइव स्ट्रीमिंग एआई और एनएलपी तकनीक की मदद से हो रही है, जिससे अदालतों का कामकाज पहले से ज्यादा लोकतांत्रिक और पारदर्शी बन रहा है।

उन्होंने बताया कि अदालतों को क्लाउड प्लेटफॉर्म पर सुरक्षित रूप से होस्ट किया जा रहा है, ताकि प्रणाली लगातार और विश्वसनीय बनी रहे। अंतर-संचालित आपराधिक न्याय प्रणाली (आसीजेएस) के जरिये अदालतों को पुलिस, अभियोजन, जेल और फोरेंसिक विभागों से डिजिटल रूप से जोड़ा जा रहा है, जिससे मामलों में तेजी और सबूत के आधार पर फैसले लेने में मदद मिल रही है।



इस वैश्विक सम्मेल में कई देशों के न्याय मंत्री, वरिष्ठ न्यायिक प्रशासक, वैश्विक नेता, नीति निर्माता और विशेषज्ञ शामिल हुए। सभी ने इस बात पर चर्चा की कि तेजी से बदलती तकनीक, आर्थिक अनिश्चितता और नागरिकों की बदलती उम्मीदों के दौर में न्यायिक संस्थाओं को कैसे जवाबदेह और विश्वसनीय बनाया जा सकता है। मेघवाल ने कहा कि भारत की सांविधानिक न्याय परिकल्पना सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक हर सुधार को दिशा देती है। संविधान के अनुच्छेद 39ए में सभी के लिए समान न्याय और निशुल्क कानूनी सहायता का प्रावधान शामिल है, जो इसका आधार है।

उन्होंने कहा कि न्याय हमेशा बराबरी, संतुलन और प्रतिपूर्ति के विचारों से जुड़ा रहा है। न्याय का अर्थ है समानता। नियम, अधिकार और धर्म- ये सभी मूल्य की समानता से जुड़े हैं। कुल मिलाकर न्याय स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व का ही दूसरा नाम है।

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