कानपुर: यूपी के कानपुर में मशहूर करौली आश्रम के बाबा संतोष सिंह भदौरिया विवादों में घिर गये हैं. किसी भी बीमारी के इलाज करने का दावा करने वाले बाबा संतोष सिंह भदौरिया पर FIR दर्ज कराई गई है. नोएडा के डॉ. सिद्धार्थ ने आरोप लगाया है कि आश्रम में बाबा संतोष सिंह और उनके साथियों परिवार से मारपीट की है. बता दें कि करौली आश्राम के बाबा से पहले वह किसान यूनियन के नेता के रूप में काफी मशहूर थे.
बाबा से पहले थे किसान नेता
बता दें कि करौली सरकार आश्रम के बाबा संतोष सिंह भदौरिया कानपुर के रहने वाले हैं. ये किसानों के काफी आक्रोशित नेता माने जाते थे. संतोष सिंह भदौरिया तब मशहूर हुए जब कांग्रेस सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे श्री प्रकाश जायसवाल से उनकी नजदीकियां बढ़ी. उनको कोयला निगम का चेयरमैन बनाकर लाल बत्ती दे दी गई. कानपुर के पूरे शहर में उनके बधाई की होर्डिंग लग गई थी. लेकिन तभी कुछ कांग्रेसी नेताओं द्वारा सवाल उठाने के बाद ही उनको निगम से हटा दिया गया.
ऐसे बने करौली बाबा
निगम में चैयरमेन पद से हटने के संतोष सिंह भदौरिया एकदम से ठंडे बस्ते में चल जाते हैं. फिर अचानक उनका उदय होता है जब वह करौली आश्राम बनाते हैं और वहां अध्यात्मिक गुरु बन जाते हैं. बता दें कि आध्यात्मिक गुरु बनने से पहले संतोष सिंह भदौरिया पर कई आपराधिक मकजमें दर्ज थे, इनके उपर गुंडा एक्ट तक लगा हुआ था.वहीं आश्रम बनाने के बाद उनके उपर धन वर्षा हो गई और तीने साल में ही उन्होंने करोड़ों का साम्राज्य खड़ा कर दिया.
देखते ही देखते खड़ा कर दिया साम्राज्य
करौली बाबा का आश्रम देखते ही देखते 14 एकड़ में फैल गया और उनके समर्थकों ने ऐसा प्रचार किया कि वहां भक्तों का तांता लगने लगा. करौली बाबा के आश्राम में प्रतिदिन 3 से चार हजार लोग पहुंचे लगे. अमावस्या के दिन समर्थकों की संख्या 4 गुना बढ़ जाती है और करीब 20 हजार लोगों के बीच शीशे के केबिन में बैठकर बाबा प्रवचन देते हैं.
आश्रम में 24 घंटे हवन चलता है और यहां लोगों की बड़ी से बड़ी बीमारियां ठीक करने का दावा किया जाता है. बीमारी का इलाज कराने और बाबा से मिलने वालों की भीड़ सुबह से लगने लगती है. मुलाकात के लिए उन्हें 5100 रुपए का टोकन लेना पड़ता है. आश्रम में दो मंदिर बनाए गए हैं पहला मंदिर करौली सरकार राधा रमण मिश्र का है और दूसरा मंदिर कामाख्या माता का.
दर्ज हैं कई मुकदमें
बाबा पर कई आपराधिक मामले दर्ज हैं. बाबा पर हत्या और चर्च की जमीन हड़पने का आरोप लग चुका है. इसके अलावा सरकारी अभिलेखों में हेरफेर जमीन पर कब्जा करके आश्रम बनाने का भी आरोप है. इस मामले में तत्कालीन जिलाधिकारी दिनेश सिंह के आदेश पर एनएसए की कार्रवाई भी हुई थी.