बड़ी खबर

सुप्रीम कोर्ट ने एहतियातन हिरासत को बताया व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर गंभीर हमला

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने किसी भी मसले पर पुलिस की ओर किसी व्यक्ति को एहतियातन हिरासत (preventive detention) में लिए जाने को व्यक्तिगत स्वतंत्रता (personal freedom) पर गंभीर हमला बताया है। कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि एहतियातन हिरासत व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर गंभीर हमला है और इसलिए संविधान तथा इस तरह की कार्रवाई को अधिकृत करने वाले कानून में जो सुरक्षा प्रदान किए गए हैं, वे अत्यंत महत्वपूर्ण हैं और उनका कड़ाई से पालन किया जाना चाहिए।

चीफ जस्टिस उदय उमेश ललित, जस्टिस एस. रवींद्र भट और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने त्रिपुरा सरकार द्वारा 12 नवंबर, 2021 को पारित एहतियातन हिरासत के आदेश रद्द करते हुए यह टिप्पणी की। पीठ ने इसके साथ ही, गैर-कानूनी तस्करी रोकथाम से संबंधित स्वापक औषधि एवं मन:प्रभावी पदार्थ कानून के तहत अपराधों के एक आरोपी को तत्काल प्रभाव से रिहा करने का निर्देश दिया।


अधिकारियों को आंखें खुली रखना बहुत जरूरी
अदालत ने कहा कि एहतियातन हिरासत के उद्देश्य के परिप्रेक्ष्य में हिरासत लेने वाले अधिकारियों के साथ-साथ तामील करने वाले अधिकारियों के लिए सतर्क रहना और अपनी आंखें खुली रखना बहुत जरूरी हो जाता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नजरबंदी का आदेश 12 नवंबर, 2021 का है और इस बात को लेकर कोई स्पष्टीकरण नहीं है कि हिरासत में लेने वाले प्राधिकरण को एहतियातन हिरासत में लेने का आदेश पारित करने में लगभग पांच महीने क्यों लगे।

क्या था मामला?
दरअसल, आरोपी सुशांत कुमार बानिक ने राज्य सरकार द्वारा पारित हिरासत आदेश के खिलाफ अपनी याचिका खारिज करने के त्रिपुरा हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था। जिसके बाद शुक्रवार को मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह तीखी टिप्पणी की है।

Share:

Next Post

बुर्किना फासो में फिर तख्तापलट, सेना के सदस्यों ने सरकारी टेलीविजन पर किया कब्‍जा

Sat Oct 1 , 2022
बुर्किना फासो । बुर्किना फासो (Burkina Faso) में एक बार फिर तख्तापलट हो गया है, यहां की सेना के एक दर्जन से अधिक सदस्यों ने शुक्रवार की देर रात सरकारी टेलीविजन (state television) पर कब्जा कर लिया। देश में फरवरी में ही पहले ही सैन्य तख्तापलट (military coup) के जरिये राष्ट्रपति को पद से हटा […]