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सुप्रीम कोर्ट आज करेगा काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी विवाद पर सुनवाई, शिवलिंग की पूजा की अनुमति की भी है मांग

नई दिल्‍ली । काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी मस्ज़िद विवाद (Kashi Vishwanath-Gyanvapi Masjid controversy) पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में आज दोपहर 2 बजे सुनवाई होगी. यह मामला जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, सूर्य कांत और पी एस नरसिम्हा की विशेष बेंच के पास सुनवाई के लिए लगा है. मुख्य मामले के साथ मस्ज़िद परिसर में मिले शिवलिंग की पूजा की अनुमति मांगने वाली नई याचिकाओं को भी सुप्रीम कोर्ट सुनेगा.

सुप्रीम कोर्ट का पिछला आदेश
सुप्रीम कोर्ट में पूरे मामले की आखिरी सुनवाई 20 मई को हुई थी. उस दिन सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी मामला वाराणसी के जिला जज को ट्रांसफर कर दिया था. जस्टिस चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 3 जजों की बेंच ने इसका आदेश देते हुए कहा कि मामले की जटिलता को देखते हुए इसे अधिक अनुभवी जज को भेजा जा रहा है. बेंच ने कहा था कि जिला जज मुस्लिम पक्ष के उस आवेदन को प्राथमिकता से सुनें, जिसमें हिंदू पक्ष के वाद को सुनवाई के अयोग्य कहा गया है.


सुप्रीम कोर्ट ने परिसर में यथस्थिति बनाए रखने का भी आदेश दिया था. कोर्ट ने कहा था कि 17 मई को जो अंतरिम आदेश दिया गया था, वह अभी लागू रहेगा. इसके तहत शिवलिंग वाली जगह सुरक्षित रखी जाएगी. यानी वहां वज़ू नहीं होगी. लेकिन परिसर में पहले की तरह नमाज़ पढ़ी जाती रहेगी. कोर्ट ने प्रशासन से कहा था कि वह वज़ू के लिए उचित इंतजाम करे.

पूजा की अनुमति मांगने वाली नई याचिकाएं
ज्ञानवापी परिसर के कोर्ट सर्वे के दौरान वहां मिले शिवलिंग और उसके पास मौजूद तहखाने में पूजा की अनुमति मांगने वाली 3 याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हुई हैं. पहली याचिका 7 महिलाओं की है. उनके नाम हैं- अमिता सचदेव, लक्ष्मी देवी, सीता साहू, मंजू व्यास, रेखा पाठक, प्रियंका गोस्वामी और पारुल खेड़ा. ऐसी ही एक याचिका राजेश मणि त्रिपाठी नाम के याचिकाकर्ता ने भी दाखिल की है

काशी विश्वनाथ मंदिर में सैकड़ों साल से पूजा करते आ रहे व्यास परिवार के शैलेंद्र कुमार पाठक व्यास ने भी याचिका दाखिल की है. उन्होंने बताया है कि मस्ज़िद का एक तहखाना उनके परिवार के नियंत्रण में था. वहां नियमित अंतराल पर पूजा होती थी. साल में 2 बार रामायण पाठ भी होता था. 5 दिसंबर 1992 के बाद से उन्हें वहां जाने से रोक दिया गया. ऐसा करना 1991 के प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट का भी उल्लंघन है. उन्हें वहां पूजा करने का अधिकार वापस मिलना चाहिए.

‘कार्बन डेटिंग से प्राचीनता का पता लगाएं’
अमिता सचदेव समेत 7 महिलाओं की याचिका में शिवलिंग की प्राचीनता का पता लगाने के लिए उसकी कार्बन डेटिंग और उसके नीचे मौजूद रचना का पता लगाने के लिए ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किए जाने या वहां खुदाई करवाने की मांग की गई है. याचिका में आग्रह किया गया है कि कोर्ट आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया को इसका आदेश दे.

‘शिवलिंग की लाइव स्ट्रीमिंग हो’
श्रद्धालु महिलाओं ने वैकल्पिक राहत के रूप में प्लाट नंबर 9130 (ज्ञानवापी मस्ज़िद परिसर) में मौजूद शिवलिंग के सामने कैमरा लगाने की मांग की है. याचिका में कहा गया है कि कोर्ट काशी विश्वनाथ ट्रस्ट को कैमरा लगाने और उसके फुटेज के लगातार लाइव स्ट्रीमिंग की अनुमति दे. इससे श्रद्धालु शिवलिंग के दर्शन कर पाएंगे और उससे 83.3 फीट की दूरी पर नंदी जी की मूर्ति के पास बैठ कर शिवलिंग की सांकेतिक पूजा कर लेंगे.

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