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तालिबान का नया फरमान, अगले तीन महीनों के भीतर टिकटॉक-पबजी पर पाबंदी लगाने का एलान

काबुल। तालिबान अगले तीन महीनों के भीतर टिकटॉक और पबजी एप्लिकेशंस पर प्रतिबंध लगाने जा रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक तालिबान के नेतृत्व वाले दूरसंचार विभाग ने यह एलान किया है।

अफगान समाचार एजेंसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, तालिबान ने सुरक्षा क्षेत्र के प्रतिनिधियों और शरिया कानून प्रवर्तन प्रशासन के एक प्रतिनिधि के साथ बैठक की और उसके बाद टिकटॉक और पबजी के इस्तेमाल पर नब्बे दिनों की अवधि के भीतर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया। रिपोर्ट के मुताबिक, टिकटॉक को एक महीने और पबजी को नब्बे दिनों के भीतर प्रतिबंधित कर दिया जाएगा।

देश के दूरसंचार और इंटरनेट सेवा प्रदाताओं ने भी प्रतिबंध के संबंध में जानकारी साझा की है और तय समय अवधि के भीतर दिशानिर्देशों का पालन करने के लिए कहा है। इससे पहले सत्ता में आने के बाद तालिबान प्रशासन ने ‘अनैतिक सामग्री’ प्रदर्शित करने वाली 23 मिलियन वेबसाइट्स को ब्लॉक कर दिया था।

तालिबान प्रशासन के संचार मंत्री नजीबुल्लाह हक्कानी ने एक कार्यक्रम में कहा, हमने 23.4 मिलियन वेबसाइट्स को ब्लॉक कर दिया है। वे हर बार अपने पेज बदल रहे हैं, क्योंकि जब आप एक वेबसाइट को ब्लॉक करते हैं तो दूसरी एक्टिव हो जाती है। इसी कार्यक्रम में अंतरिम सरकार के उप-संचार मंत्री अहमद मसूद लतीफ ने फेसबुक की आलोचना की और उस पर कंटेंट के मॉडरेशन पर तालिबानी अधिकारियों के साथ सहयोग न करने का आरोप लगाया।


अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी के बाद के बाद पिछले साल 15 अगस्त को तालिबान ने पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया था। तालिबान के काबुल पहुंचते ही तत्कालीन राष्ट्रपति अशरफ गनी देश छोड़कर संयुक्त अरब अमीरात भाग गए थे। मानवाधिकारों के उल्लंघन के डर से कई लोगों ने देश ने छोड़ दिया था। तालिबान के कब्जे के बाद कई तरह के प्रतिबंधों के चलते देश आर्थिक और खाद्य संकट का सामना कर रहा है।

अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन (UNAMA) के मुताबिक, तालिबान के सत्ता में आने के बाद देश के मीडिया के क्षेत्र में कई घटनाएं हुईं, जिनमें स्वतंत्र मीडिया संस्थानों को बंद करना, कई चैनल्स और वेबसाइट्स पर प्रतिबंध, पत्रकारों के खिलाफ हिंसा और धमकी शामिल हैं।

इससे पहले तालिबान ने मई में महिलाओं के प्रदर्शन को रिपोर्ट करते समय पत्रकार रोमन करीमी और उनके ड्राइवर को हिरासत में लिया था और उन्हें प्रताड़ित किया था। तालिबान के सत्ता में आने के बाद से 45 फीसदी से ज्यादा पत्रकार अपने पदों से इस्तीफा दे चुके हैं।

संयुक्त राष्ट्र और कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स (CJP) अफगानिस्तान में लगातार बढ़ते प्रतिबंधों की आलोचना कर चुके हैं। उनकी मांग है कि तालिबान स्थानीय पत्रकारों को हिरासत में रखना, धमकाना, परेशान करना बंद करे और अभिव्यक्ति की आजादी को जारी रखे।

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