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राज्यसभा की रेस को लेकर MP कांग्रेस में फिर तनाव, ऐसी ही लड़ाई में गिरी थी कमलनाथ सरकार

सतना। मध्य प्रदेश कांग्रेस (Madhya Pradesh Congress) की अंदरूनी सियासत में एक बार फिर हलचल मची हुई है। वजह आगामी महीनों में खाली हो रहीं राज्यसभा (Rajya Sabha) की सीटें हैं। इस रेस में पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव (President Arun Yadav) और पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह राहुल का नाम सबसे ऊपर है। दोनों ही नेता अपनी-अपनी तरफ से दावे कर रहे हैं।

पिछले दिनों विंध्य क्षेत्र के क्षत्रप नेता की पीड़ा सामने आई है। सतना (Satna) जिले के मैहर में कांग्रेस ने स्थानीय समस्याओं को लेकर विशाल धरना प्रदर्शन किया था। इस सभा में पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह राहुल ने सक्रियता बढ़ाने के लिए खुल कर दायित्व (पद) की डिमांड रखी। 38 सेकंड के वायरल वीडियो में अजय सिंह(Ajay Singh) यह कहते नजर आ रहे हैं कि कोई पद मिले तो वह और अपनी सक्रियता बढ़ाएं। नहीं तो ऐसे ही चलता रहेगा। सभा 29 मार्च को मैहर में थी। मैहर की सभा में अजय सिंह की इन बातों को आगामी दिनों में होने जा रहे राज्यसभा चुनाव से जोड़ कर देखा जा रहा है।



जून में MP में खाली हो रहीं तीन राज्यसभा सीटें
आपको बता दें कि जून माह में मध्य प्रदेश से तीन राज्य सभा सीटें खाली होंगी। इन सीटों में से दो भारतीय जनता पार्टी और एक कांग्रेस के खाते में हैं। बीजेपी की ओर से एमजे अकबर और सम्पतिया उइके एवं कांग्रेस की ओर से विवेक तन्खा सीट खाली करेंगे। मौजूदा विधानसभा का बहुमत देखने के बाद एक सीट कांग्रेस के खाते में जाने की संभावना बन रही है।

अरुण यादव ने सोनिया को याद दिलाया वादा!
इधर, पूर्व प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अरुण यादव भी राज्यसभा के लिहाज से सक्रियता बढ़ाने में लगे हुए हैं। पिछले दिनों उन्होंने कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से दिल्ली जाकर भेंट की थी। सूत्रों के मुताबिक, उन्होंने 2018 के विधानसभा चुनाव के दौरान का वादा भी याद दिलाया है। तब राहुल गांधी ने अरुण यादव के सामने बुधनी से चुनाव लड़ने के लिए कहा था। इस पर शिवराज सिंह (Shivraj Singh) के खिलाफ यादव मैदान में आ गए लेकिन हार गए थे। अब यादव उस वादे को पूरा करने के लिए आलाकमान पर दबाव बना रहे हैं, जिसपर राहुल गांधी(Rahul Gandhi) ने बदले में राज्य सभा भेजने के लिए कहा था।

2020 में इस वजह से गिरी थी कांग्रेस सरकार
दो साल पहले राज्य सभा की सीट के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया और दिग्विजय सिंह के बीच खींचतान के कारण कमलनाथ की सरकार गिर गई थी। नाराज सिंधिया ने बीजेपी का दामन थाम लिया था।

बात करें अजय सिंह की तो उन्होंने 2018 के विधानसभा चुनाव में अपनी पुश्तैनी सीट चुरहट से किस्मत आजमाई थी लेकिन हार गए। इसके अलावा 2019 का लोकसभा चुनाव सीधी से भी हार गए थे। हालांकि वह पांच बार विधायक चुने गए। 1998 में वह पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री भी बने थे। इसी तरह अरुण यादव 2014 से 2018 तक प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे। इसके अलावा मनमोहन सिंह सरकार में केंद्रीय राज्य मंत्री भारी उद्योग एवं सार्वजनिक उद्यम और बाद में केंद्रीय राज्य मंत्री कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण रहे।

सूत्रों के मुताबिक, अगर कांग्रेस के लिए 2023 के विधानसभा चुनाव में मुश्किल खड़ी होना तय है। अजय सिंह और अरुण यादव, दोनों ही राज्यसभा जाने को तैयार बैठे हैं, लेकिन पार्टी के पास सिर्फ एक सीट ही खाली है। वहीं पार्टी नेताओं में कमलनाथ के खिलाफ बने माहौल का भी बड़ा असर देखने को मिल सकता है।

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