नई दिल्लीः अमरनाथ गुफा के पास हादसे के लिए बादल फटने की घटना को जिम्मेदार बताया जा रहा है. लेकिन क्या ये वाकई बादल फटने की घटना थी? भारतीय मौसम विभाग (IMD) इससे इत्तफाक नहीं रखता. सूत्रों के मुताबिक, मौसम विभाग का कहना है कि ये बादल फटना नहीं था, बल्कि एक स्थानीय घटना थी. श्रीनगर में क्षेत्रीय मौसम केंद्र की प्रमुख सोनम लोटस ने कहा कि पवित्र गुफा के ऊपर बादल था, जिससे अचानक बारिश हुई… लेकिन यह फ्लैश फ्लड नहीं थी. उनका कहना है कि बहुत मुमकिन है कि गुफा के ऊपर की तरफ कहीं पर भीषण बारिश हुई हो, जिसका पानी नीचे तक बहकर आ गया हो.
भारतीय मौसम विभाग की तरफ से शुक्रवार को गुफा के आसपास बारिश की कोई खास चेतावनी जारी नहीं की गई थी. सामान्य तौर पर जिले के लिए दैनिक पूर्वानुमान में यलो अलर्ट बताया गया था, जिसका मतलब सतर्क रहने से था. विभाग की वेबसाइट पर शुक्रवार शाम 4.07 बजे जारी पूर्वानुमान में पहलगाम और बालटाल दोनों मार्गों पर ‘आंशिक रूप से बादल छाए रहने और हल्की बारिश की संभावना’ जताई गई थी.
पवित्र गुफा में लगे स्वचालित मौसम केंद्र (एडब्ल्यूएस) के आंकड़े बताते हैं कि इलाके में सुबह 8:30 बजे से शाम 4:30 बजे तक कोई बारिश नहीं हुई. आईएमडी के एक वैज्ञानिक ने बताया कि 4:30 बजे से शाम 5:30 बजे के बीच भी सिर्फ 3 मिमी बारिश हुई. लेकिन 5:30 से 6:30 बजे के बीच 28 मिमी बरसात हो गई. इस लिहाज से देखा जाए तो गुफा के पास कोई बादल नहीं फटा था. दरअसल, आईएमडी के मानदंड के अनुसार, एक घंटे में 100 मिमी से ज्यादा बारिश होने पर ही उसे बादल फटना कहा जाता है.
सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में दिख रहा है कि पवित्र गुफा के प्रवेश द्वार से बमुश्किल 200-300 मीटर दूर दो चट्टानों के बीच से तेज रफ्तार में पानी और मलबा बह रहा था. आईएएनएस के मुताबिक, आईएमडी में उत्तर भारत के प्रमुख रहे और सेवानिवृत्त मौसम विज्ञानी आनंद कुमार शर्मा का कहना है कि हो सकता है गुफा के सामने बारिश नहीं हुई हो लेकिन कहीं ऊपर की ओर हुई होगी, जिसका पानी नीचे बहकर आया होगा. उनका कहना था कि पहाड़ों में बारिश का पहले से सटीक अनुमान लगाना मुश्किल होता है. अगर स्वचालित मौसम स्टेशन कोई लगाना भी चाहे तो कितने लगाएगा. हालांकि तीर्थयात्रियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए कैचमेंट एरिया में ऐसे वेदर स्टेशन लगाए जा सकते हैं.
Share: