न्यूयॉर्क । एचआईवी संक्रमण से मुक्त होने वाले पहले व्यक्ति टिमोथी रे ब्राउन की कैंसर से मौत हो गयी है. वह 54 साल के थे. ब्राउन के पार्टनर टिम हॉफगेन के शोसल मीडिया पोस्ट के अनुसार ब्राउन ने कैलिफोर्निया के पाम स्प्रिंग स्थित अपने आवास पर अंतिम सांस ली.ब्राउन ने ल्यूकेमिया एवं एचआईवी के इलाज के दौरान 2007 से 2008 के बीच अस्थि मज्जा एवं स्टेम सेल प्रतिरोपित करवाया था. इससे उनका ल्यूकेमिया एवं एचआईवी तो ठीक हो गया, लेकिन वह कुछ साल बाद दोबारा कैंसर से पीड़ित हो गये.
ब्राउन का ऐतिहासिक इलाज करने वाले बर्लिन के डॉक्टर डॉ गेरो हेटर ने बताया कि ब्राउन ने विशेष परिस्थितियों में इसे संभव कर दिखाया कि एचआईवी संक्रमण से मुक्त हुआ जा सकता है, जिसके बारे में वैज्ञानिकों ने संदेह जताया था. फिलहाल, जर्मनी के एक ‘स्टेम सेल’ कंपनी में बतौर चिकित्सा निदेशक काम करने वाले हेटर कहा कि यह बेहद खराब स्थिति है कि उसे फिर से कैंसर हो गया जिसने उनकी जान ले ली, क्योंकि वह अब भी एचआईवी संक्रमण से मुक्त लग रहे थे. अंतरराष्ट्रीय एड्स सोसाइटी ने ब्राउन की मौत के बाद एक बयान जारी कर उनके निधन पर शोक जताया और कहा कि उनका और हेटर का उपचार संबंधी अनुसंधान के लिये आभार.
जिस वक्त ब्राउन का इलाज चला, उस दौरान वह बर्लिन में अनुवादक के तौर पर काम कर रहे थे. जहां पहले उनका एचआईवी का सफल इलाज हुआ और इसके बाद ल्यूकेमिया का. बतादें कि पूर्व में ब्राउन ने बातचीत में कहा था कि पिछले साल उन्हें दोबारा कैंसर हो गया. लेकिन मुझे इस बात की खुशी है कि मैंने एड्स को मात दी है, चिकित्सा के क्षेत्र में इसने वे द्वार खोले हैं जो पहले कभी नहीं थे. इससे वैज्ञानिकों को और अधिक मेहनत करने की प्रेरणा मिलेगी, संभव है कि मेरे इस प्रयोग से भविष्य में एड्स लाइलाज रोग ही ना रहे । यह सामान्य बिमारी हो जाए जिसे पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है.
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