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देश के हर आदमी की इनकम होगी 14.9 लाख रुपए, PM मोदी के बाद SBI ने भी लगाई मुहर

नई दिल्ली: कुछ दिन पहले देश के प्रधानमंत्री ने पहली बार यह कहा था कि साल 2028 तक भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी बनेगा और उसके अगले दिन एसबीआई ने सपोर्ट में आंकड़ें पेश करते हुए इस बात का सपोर्ट कर दिया था. आज यानी 15 अगस्त को जब लाल किले के प्राचीर से पीएम ने कहा कि साल 2047 तक देश विकसित होगा तो उसके कुछ ही घंटों के बाद एसबीआई ने सपोर्ट में आंकड़े पेश कर दिए. एसबीआई रिसर्च के अर्थशास्त्रियों ने मंगलवार को अपने अध्ययन में कहा है कि भारत की प्रति व्यक्ति आय वित्त वर्ष 2023 में 2 लाख रुपये (2,500 डॉलर) से बढ़कर वित्त वर्ष 2047 तक 7.5 गुना बढ़कर 14.9 लाख रुपये (12,400 डॉलर) प्रति वर्ष हो जाएगी.

इनकम में होगा इजाफा
सरकार ने विकसित इकोनॉमी बनने के लिए वित्त वर्ष 2047 का लक्ष्य रखा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2024 के आम चुनाव से पहले अपने आखिरी स्वतंत्रता दिवस संबोधन में कहा कि भारत के लिए 2047 के लक्ष्य को हासिल करने के लिए अगले पांच साल महत्वपूर्ण हैं. पीएम मोदी ने कहा कि साल 2047 में विकसित भारत सिर्फ एक सपना नहीं है, बल्कि 140 करोड़ भारतीयों का संकल्प है.

एसबीआई रिसर्च का दावा है कि टैक्स देने वालों की भारित औसत आय वित्त वर्ष 2022 में 13 लाख रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 47 में 49.9 लाख रुपये हो जाएगी, जो लोअर इनकम ग्रुप से हाई-इनकम ग्रुप की इकोनॉमी में आने और टैक्स में इजाफे के कारण है. रिपोर्ट में कहा गया है कि जीएसटी और एमएसएमई के लिए उद्यम पोर्टल के कारण औपचारिकता में वृद्धि से इनकम टैक्स रिटर्न में तेजी आ रही है.


बढ़ेगी टैक्सपेयर्स की संख्या
वित्त वर्ष 2023 में टैक्स फाइलर्स की संख्या 2.1 मिलियन की तुलना में बढ़कर 85 मिलियन हो गई. एसबीआई के अर्थशास्त्रियों का कहना है कि वित्त वर्ष 2047 तक यह संख्या बढ़कर 482 मिलियन हो जाने की उम्मीद है, जिससे वित्त वर्ष 23 में टैक्सेबल वर्कफोर्स की हिस्सेदारी 22.4 फीसदी से बढ़कर 85.3 फीसदी हो जाएगी. रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2047 तक जीरो टैक्स रिटर्न दाखिल करने वाले लोगों की संख्या में भी 25 फीसदी की गिरावट आएगी, जिसमें अधिकांश अगले इनकम ग्रुप में ट्रांसफर हो जाएंगे.

माइग्रेशन से हुआ फायदा
वित्त वर्ष 2011 और वित्त वर्ष 2022 के बीच, 13.6 फीसदी लोग 5 लाख रुपये से कम की न्यूनतम आय वर्ग से चले गए, 8.1 फीसदी 5-10 लाख रुपए ग्रुप में और 3.8 फीसदी 10-20 लाख रुपये के ब्रैकेट में जुड़ गए. रिपोर्ट में जीरो टैक्स लायबिलिटी वाले टैक्स फाइल करने वालों की संख्या में गिरावट की ओर इशारा किया और कहा कि पांच राज्यों, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, गुजरात, राजस्थान और पश्चिम बंगाल, वित्त वर्ष 2022 तक दाखिल किए गए कुल रिटर्न का लगभग आधा हिस्सा हैं. अध्ययन में माइग्रेशन के बेनिफिट्स की भी प्रशंसा की गई, यह देखते हुए कि प्रवासी आबादी ने अलग-अलग राज्यों में जीएसडीपी का 0.5-2.5 फीवसदी योगदान दिया, छह राज्यों को नेट पॉजिटिव माइग्रेशन से लाभ हुआ.

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