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महाकुंभ में नहीं थम रहा लोगों का सैलाब, धर्म, आस्था या और कुछ?

  • February 18, 2025

    प्रयागराज: अगर आप भी इस इंतजार में थे कि 12 फरवरी (माघ पूर्णिमा शाही स्नान) के बाद कुंभ मेला जाएंगे जब भीड़ कम हो जाएगी तो आप गलत थे. शायद आपके जैसा ही देश में बहुत से लोग सोच रहे थे. महाकुंभ (Maha Kumbh) में अब सिर्फ 8 दिन बचे हैं, लेकिन श्रद्धालुओं की भीड़ कम होने का नाम ही ले रही है. श्रद्धालुओं का रेला लगातार प्रयागराज (Prayagraj) चला आ रहा है. अधिकारिक आंकड़ों के अनुसार 37 दिनों में 54 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु प्रयागराज पहुंचकर संगम स्नान कर चुके हैं.

    आज मंगलवार को भी सुबह से ही जबरदस्त भीड़ है. संगम आने वाले रास्तों पर लंबा जाम लगा है. संगम रेलवे स्टेशन को 28 फरवरी तक के लिए बंद किया जा चुका है. यानि कि महाकुंभ के खत्म होने के बाद अब ये स्टेशन खुलेगा. सोमवार रात से ही नैनी नया ब्रिज, फाफामऊ जैसे महाकुंभ से सटे इलाकों में 10-12 किमी लंबी कारों की लाइन लगी रही. 8 से 10 किमी के सफर में लोगों को 3 से 4 घंटे लग रहे हैं. सवाल ये उठ रहा है कि आखिर कुंभ का पवित्र स्नान बीत जाने के बाद भी भीड़ क्यों रुकने का नाम ही नहीं ले रही है?

    अगर आप यह सोच रहे हैं कि यह भीड़ धर्मभीरू भारतीय लोगों की है तो शायद आप गलत हैं. जो लोग संगम स्नान कर जन्म जन्मांतर के पाप धोना चाहते थे उनके लिए पूरे साल स्नान का मौका रहता है. वैसे भी किसी भी कुंभ का अंतिम स्नान माघी पूर्णिमा को माना जाता है. हालांकि 26 फरवरी को महाशिवरात्रि पर इस बार अंतिम स्नान होने वाला है. पर बहुत से साधु संत और कल्पवासी भक्त गण अपने घरों को प्रस्थान कर चुके हैं. इसलिए भारतीय जनता को धर्मभीरू कहकर उनका हंसी उड़ाने वालों के लिए जरूर यह किसी सदमे से कम नहीं होगा.


    आज की तारीख में प्रयाग राज को जाने वाली भीड़ को पता है कि वहां व्यवस्था बहुत अच्छी नहीं है, करीब 10 से 15 किलोमीटर पैदल चलना पड़ रहा है, ट्रेनों में जगह नहीं है, भगदड़ में कभी भी जान जा सकती है, पेट्रोल पंपों पर तेल नहीं है, ढाबों पर 100 रुपयों में एक रोटी मिल रही है, बाथरूम जाने के लिए जगह नहीं है आदि आदि. भीड़ को ये बातें भली भांति पता है फिर भी वो प्रयागराज पहुंच रहे हैं. सब कोई मां गंगा और यमुना के पानी में खुद को भिगो लेना चाहता है. इन श्रद्धालुओं में अमीर-गरीब, शिक्षित-अशिक्षित सभी शामिल हैं. जाहिर है कि यह भीड़ अब शोध का विषय हो सकता है क्योंकि धर्म और आस्था से भी बड़ा मामला होता दिख रहा है इस बार का महाकुंभ.

    देश के कोने कोने में फोर लेन और सिक्स लेन की सड़कों का विस्तार हुआ है. इस बीच लोगों के पास अपना फोर व्हीलर भी हो गया है. मध्य वर्ग के लिए कुंभ में स्नान करना मतलब एक ऐडवेंचरस ट्रिप भी है भक्ति भावना भी है. सड़क मार्ग से देश के किसी भी हिस्से से 10 से 15 घंटे में प्रयागराज पहुंचना आसान हो गया है. उत्तर प्रदेश में भी एक्सप्रेसवे का जाल बिछ चुका है. यही कारण है कि लोग लगातार पहुंच रहे हैं. बहुत से लोगों ने यह प्लान कर रखा था कि 12 तारीख के बाद कुछ भीड़ कम हो जाएगी तब वो आसानी से कुंभ स्नान करेंगे. पर किस को पता था सभी लोग यही सोच रहे हैं कि 12 के बाद चलेंगे. यही कारण है कि अभी भी भीड़ कम होने का नाम नहीं ले रही है.

    एक बात और है जो सबसे महत्वपूर्ण है पर उस ओर किसी का ध्यान नहीं जा रहा है, वो है मोदी और योगी की लोकप्रियता. देश का नागरिक आज अपनी राजनीतिक प्रतिबद्धता को लेकर कुछ ज्यादा ही मुखर हो चुका है . विशेषकर देश में पीएम मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की लोकप्रियता भी एक कारण है कुंभ में पहुंचने का.आज की तारीख में लोग अपने नेता , अभिनेता और खिलाड़ी को प्यार तो करते ही हैं और खुलकर उस प्यार का प्रदर्शन भी करते हैं.


    कुंभ में जाने का मतलब है कि हम मोदी और योगी के साथ हर लेवल पर हैं. कुंभ जाकर लोग साबित कर रहे हैं कि हम हिंदू हैं और मोदी और योगी के कट्टर समर्थक हैं. हालांकि सभी कुंभ जाने वाले ऐसे नहीं हैं पर बहुतेरे हैं. यही कारण है कि कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के नेताओं ने भी कुंभ में डुबकी लगाई. इसका दूसरा पहलु भी है.

    जो लोग इन नेताओं को पसंद नहीं करते हैं वो इनसे उतना ही नफरत भी करते हैं. और वे अपने नफरत को भी सबके सामने प्रदर्शन करने से नहीं हिचक रहे हैं. ऐसे लोग गाहे बगाहे कुंभ की आलोचना करते हुए मिल जाएंगे. वो कुंभ की आलोचना इसलिए नहीं करते कि वो धर्मभीरू नहीं हैं या उनकी हिंदू धर्म में आस्था नहीं है. वो कुंभ की आलोचना इसलिए करते हैं क्योंकि इसे नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ जैसे लोग एंडोर्स करते हैं. और वे कुंभ की आलोचना करके अपने नफरत को आवाज देते हैं.

    सड़कें अच्छी होने के चलते लोगों को लगता है कि एक बार घर से निकल लिए तो कुंभ स्नान के साथ काशी विश्वनाथ मंदिर , अयोध्या में राम मंदिर के दर्शन करते हुए वापसी करनी है. इन तीनों स्थानों का क्रेज बहुत से लोगों को खींच रहा है . यही कारण है कि जितनी भीड़ प्रयाग राज में है उससे कम भीड़ काशी और अयोध्या में नहीं हो रही है. अब तक प्रयागराज यूपी के बाहर के टूरिस्टों के लिए अछूता ही था. पर निश्चित है कि कुंभ के खत्म होने के बाद भी काशी-मथुरा-प्रयागराज-अयोध्या का एक सर्किट बन जाएगा. बहुत बड़े पैमाने पर यूपी का टूरिज्म डेवलप होने वाला है.

    मंगलवार सुबह 10 बजे तक 53.24 लाख श्रद्धालुओं ने स्नान कर लिया था. स्नान करने वालों में बॉलिवुड अभिनेत्री जूही चावला भी संगम पहुंची हुईं थीं.उन्होंने कहा कि मेरी जिंदगी की सबसे अच्छी सुबह थी. केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी संगम में डुबकी लगाने पहुंचे मंगलवार को ही पहुंचे थे. पूर्व उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू और आंध्र प्रदेश के डिप्टी CM और एक्टर पवन कल्याण संगम में डुबकी लगाने वाले हैं. इसके पहले देश के बड़े उद्योगपति, नेता, फिल्म सितारे पहुंच चुके हैं. पब्लिक सोच रही है कि जब सभी पहुंच रहे हैं तो हम क्यों पीछे रहें.


    बचपन में एक कहावत सुना था , देखा देखी धर्म और देखा देखी पाप. सोशल मीडिया के जमाने में हर शख्स अपने हैंडल को कुंभ की फोटो से वंचित नहीं रखना चाहता है. आखिर हमारा पड़ोसी , ऑफिस में कलीग, फ्रेंड सर्किल के लोग कुंभ होकर वापस आ गए तो हमें क्यों नहीं जाना है? हम भी जाएंगे ही. अब इसके लिए चाहे कितनी भी कठिनाई्ं क्यों न झेलनी पड़े.

    कुंभ को शुरू हुए एक महीने से ज्यादा समय हो चुका है. पर कुंभ आने वालों की संख्या शायद और बढ़ रही है. 16 फरवरी को सबसे ज्यादा 20 हजार लोग प्रयागराज एयरपोर्ट पर उतरे हैं. 120 से ज्यादा फ्लाइट्स और लगभग 60 अनशेड्यूल्ड फ्लाइट्स जिसमें ज्यादातर चार्टर्ड प्लेन और निजी छोटे विमान शामिल हैं.

    प्रयागराज एयरपोर्ट की क्षमता 4000 लोगों की है जिसमें प्रतिदिन 20 नियमित उड़ने ऑपरेट होती है लेकिन अकेले रविवार को 178 फ्लाइट्स ऑपरेट हुई. इस वक्त प्रयागराज देश का सबसे व्यस्ततम एयरपोर्ट बना हुआ है खासकर चार्टर्ड फ्लाइट्स के लिहाज से 20 रेगुलर फ्लाइट प्रतिदिन ऑपरेट करने वाला एयरपोर्ट इन दोनों 100 से ज्यादा फ्लाइट्स ऑपरेट कर रहा है.

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