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राजधानी में नहीं टिकते अधिकारियों के आदेश दो से तीन माह में ध्वस्त हो जाती हैं तमाम व्यवस्था

August 11, 2021

  • तत्कालीन आईजी-डीआईजी के आदेशों को भूल गई यातायात पुलिस

भोपाल। वसूली की लत की आदि हो चुकी राजधानी की यातायात पुलिस के लिए आला अधिकारियों के आदेश मायने नहीं रखते। दो से तीन महिने से ज्यादा भोपाल में किसी भी आदेश का पालन नहीं कराया जाता। रविवार को ट्रैफि क के एसआई श्रीराम दुबे पर चाकू से हुए जानलेवा हमले के बाद मंगलवार को डीआईजी ने तिराहे-चौराहे पर चेकिंग प्वाइंट पर कागज नहीं चेक करने के निर्देश दिए। डीआईजी इरशाद वली से पहले समय-समय पर पुलिस के लिए वरिष्ठ अधिकारियों की तरफ से आदेश आते रहे हैं। इससे पहले यह आदेश आया था कि चेकिंग प्वाइंट पर निरीक्षक स्तर का अधिकारी के साथ जांच की जाएगी। इसके पहले तत्कालीन आईजी जयदीप प्रसाद ने यलो कार्ड लाया था। जिसे पुलिस को दिखाने के बाद पुलिस आपसे कागज नहीं देखती थी। लेकिन यह प्रक्रिया भी दो-तीन महीनें में बंद हो गई। इसके साथ ही चेकिंग प्वाइंट पर चलते वाहन के सामने खड़े होकर वाहन नहीं रोकने के निर्देश भी दिए गए थे। बावजूद इसके पुलिस जवान लोगों के वाहन के सामने खड़े होकर जबरिया उन्हें रोकने का प्रयास करते हैं। नियम विरुद्ध तरीके से वाहन की चाबी छीन ली जाती है। कई बार वाहन के सामने डंडा लगाकर भी रोका जाता है, यह भी नियमों के खिलाफ है।

दो दर्जन स्थानों पर आइटीएमएस जंक्शन
बोर्ड ऑफि स चौराहा, लिंक रोड-1, लिंक रोड-2, लिंक रोड-3, पिपलानी चौराहा, रोशनपुरा चौराहा, गणेश मंदिर चौराहा, खानूगांव, वीआईपी रोड, भेल चौराहा, बागसेवनिया थाने के पास, कोर्ट चौराहा, डिपो जंक्शन, बाणगंगा, चेतक ब्रिज तिराहा समेत 24 लोकेशन पर कैमरों का जंक्शन बनाया गया है। छह अन्य लोकेशन पर सीधी रोड पर कैमरे लगाए गए हैं। जो हर पल वाहनों को डिटेक्ट करते हैं।

कैश वसूली पर अधिक रहता है ध्यान
ट्रैफि क पुलिस का ध्यान ट्रैफि क मैनेजमेंट से अधिक खुद का खजाना भरने पर है। करीब 18 करोड़ रुपए की लागत से आईटीएमएस ( इंटीग्रेटेड ट्रैफि क मैनेजमेंट सिस्टम) के तहत 30 तिराहे-चौराहों पर करीब 300 हाईटेक कैमरे लगाए गए हैं। जो यातायात नियम तोडऩे वाली गाडिय़ों को डिटेक्ट करते हैं। बाद में इन्हीं कैमरों की तस्वीर को आधार बनाकर चालान भेजे जाते हैं। इसके बावजूद पुलिस तिराहे-चौराहों पर लगे आईटीएमएस जंक्शन के कैमरों के नीचे ही गाडिय़ों के चालान बनाती है। हैरानी की बात यह कि पुलिस अधिकारियों को यह सब कुछ दिखने के बाद भी ट्रैफि क पुलिस की मनमानी सालों से चलती रही। आईटीएम के तहत चालान ऑनलाइन भेजे जाते हैं। लेकिन जुर्माना भरने के लिए ऑनलाइन कोई सुविधा ट्रैफि क पुलिस के पास नहीं है। पुलिस जुर्माना मैन्यूअली ही लेती है। जबकि तकनीक के नाम पर लाखों रुपए पुलिस हर साल खर्च करती है।

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