
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने गुरुवार को मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के न्यायिक अधिकारियों (judicial officers ) की सेवानिवृत्ति की उम्र (retirement age) 60 साल से बढ़ाकर 61 साल कर दी। चीफ जस्टिस (सीजेआई) बीआर गवई और जस्टिस प्रसन्ना बी. वराले और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की बेंच ने अंतरिम आदेश में तेलंगाना हाईकोर्ट के इसी तरह के फैसले का जिक्र किया। शीर्ष कोर्ट ने पूछा कि जब राज्य सरकार तैयार है, तो न्यायिक अधिकारियों को यह राहत क्यों नहीं दी जानी चाहिए?
बेंच ने कहा, न्यायिक अधिकारी और राज्य सरकार के बाकी कर्मचारी, दोनों का वेतन एक ही सरकारी खजाने से दिया जाता है। कोर्ट ने आगे कहा कि राज्य सरकार के अन्य कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति की उम्र 62 साल है। कोर्ट ने कहा कि वैसे भी हाईकोर्ट के जजों और जिला अदालत के जजों की सेवानिवृत्ति की उम्र में एक साल का अंतर है।
चार हफ्ते बाद होगी अंतिम सुनवाई
हाईकोर्ट के जज 62 साल की उम्र में सेवानिवृत्त होते हैं और अब मध्य प्रदेश में जिला अदालत के जजों की सेवानिवृत्ति की उम्र 61 साल हो जाएगी। बेंच ने इस याचिका पर अंतिम सुनवाई के लिए चार हफ्ते बाद की तारीख तय की।
हाईकोर्ट के वकील ने किया उम्र सीमा बढ़ाने का विरोध
वरिष्ठ वकील गोपाल शंकरनारायणन मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की ओर से पेश हुए। उन्होंने जिला अदालत के जजों की सेवानिवृत्ति की उम्र सीमा बढ़ाने की मांग का विरोध किया। सुप्रीम कोर्ट ने 27 अक्तूबर को मध्य प्रदेश सरकार और हाईकोर्ट की रजिस्ट्री से उस याचिका पर जवाब मांगा था, जिसमें न्यायिक अधिकारियों की सेवानिवृत्ति की उम्र 60 से बढ़ाकर 61 साल करने से इनकार को चुनौती दी गई थी।
सीजेआई गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने 26 मई को कहा था कि मध्य प्रदेश के न्यायिक अधिकारियों की सेवानिवृत्ति की उम्र 61 साल करने में कोई कानूनी बाधा नहीं है।
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