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451 दिनों तक जेल में बंद रहा सब्‍जी वाला, सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो आया ये आदेश

नई दिल्‍ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने तमिलनाडु के एक सब्जी विक्रेता की जेल की सजा कम कर दी, जिसे 10 रुपये के 43 नकली नोट रखने के अपराध में दोषी ठहराया गया था. न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ ने थेनी जिले के निवासी पलानीसामी को तुरंत रिहा करने का आदेश दिया.

पीठ ने 10 अगस्त के अपने आदेश में कहा कि “उसके खिलाफ आरोप केवल आईपीसी की धारा 489 सी के तहत है. उसके पास 10 रुपये के मूल्यवर्ग के 43 नकली नोट पाए गए. वह एक सब्जी विक्रेता था. मुख्य आरोपी ए 3 है. उपरोक्त पहलुओं पर विचार करते हुए हम दोषसिद्धि को बरकरार रखते हुए सजा को पहले ही काट ली गई सजा में संशोधित कर रहे हैं. उच्च न्यायालय द्वारा दी गई 5 साल की सजा को आंशिक रूप से पहले ही भुगती गई अवधि में संशोधित करके अपील की अनुमति दी जाती है. अपीलकर्ता को तुरंत रिहा किया जाएगा, यदि किसी अन्य मामले में आवश्यक नहीं है”.


इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, दोषी पलानीसामी को ट्रायल कोर्ट ने 8 जनवरी 2014 को इस अपराध के लिए दोषी ठहराया था और सात साल की कैद की सजा सुनाई थी. 24 अक्टूबर, 2019 को मद्रास उच्च न्यायालय ने सात साल की कारावास की सजा को घटाकर पांच साल कर दिया था. पलानीसामी 451 दिनों तक जेल में रहा.

पीठ ने कहा कि अपील केवल पलानीसामी ने दायर की थी, जो मामले के तीन आरोपियों में से एक हैं. दो आरोपियों पर धारा 489सी के तहत मामला दर्ज किया गया है, जबकि तीसरा फरार था. शीर्ष अदालत ने कहा कि पलानीसामी के खिलाफ अभियोजन का मामला यह है कि गुप्त सूचना के आधार पर जब्ती के दौरान उनके पास नकली नोट पाए गए थे. पलानीसामी के वकील ने पीठ के समक्ष कहा कि उन पर 451 धारा लगी है.

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