विदेश

तुर्की और अमेरिका में जंग जारी, तुर्की का ऐलान वह अमेरिका के ऊपर प्रतिबंध लगाएगा, हम बदला लेंगे

रूस के S-400 मिसाइल सिस्टम की खरीद को लेकर तुर्की और अमेरिका में जंग जारी है। ट्रंप प्रशासन ने अपने कार्यकाल के आखिरी में जहां तुर्की के ऊपर भारी भरकर आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए हैं। वहीं, तुर्की ने ऐलान किया है कि वह भी अमेरिका के ऊपर ऐसा ही प्रतिबंध लगाएगा। तुर्की के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा है कि हम अमेरिका से इन प्रतिबंधों का बदला लेंगे। तुर्की ने पिछले साल 2019 में रूस से S-400 मिसाइल सिस्टम की पहली खेप का हासिल किया था। इसके बाद से ही अमेरिका और तुर्की के बीच तनाव चरम पर है। अमेरिका को अंदेशा है कि तुर्की रूस के इस अत्याधुनिक सिस्टम के जरिए उसके F-16 लड़ाकू विमानों की टोह ले रहा है।

 इससे अमेरिका के सामरिक हित और इलाके में तैनात अमेरिकी सेना या अमेरिकी हथियारों को खतरा हो सकता है। इस डील से रूस के रक्षा उद्योग को पैसा मिलेगा जिससे वह नए तरह के हथियारों को तेजी से विकसित कर सकते हैं। तुर्की के विदेश मंत्री मेवलुत कैवूसल्गु के कहा है कि अमेरिका के प्रतिबंधों का उनके देश पर कोई असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने यह भी कहा कि तुर्की भी अमेरिका पर ठीक वैसे ही प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रहा है। उन्होंने जोर देकर कहा है कि तुर्की किसी भी कीमत पर रूस के साथ इस डील से पीछे नहीं हटेगा।

उन्होंने दावा किया कि अमेरिका के काट्सा या काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू सेन्क्शंस एक्ट (CAATSA) के बनने से पहले ही तुर्की ने रूस के साथ यह डील कर ली थी। ऐसे में तुर्की के ऊपर इस कानून से कोई प्रतिबंध लगाया ही नहीं जा सकता है। तुर्की ने दावा किया है कि अमेरिका के लगाए गए प्रतिबंध कानूनी और राजनीतिक रूप से गलत हैं। इससे देश के संप्रभु अधिकार कमजोर होंगे। दूसरी तरफ इस प्रतिबंधों की चपेट में आए तुर्की रक्षा उद्योग के अध्यक्ष, इस्माइल डेमीर ने भी कहा है कि ये प्रतिबंध कुछ भी प्रभावित नहीं करते हैं, सिवाय लोगों और एजेंसियों के जो वे लक्ष्य करते हैं। वे उन समझौतों को प्रभावित नहीं करते हैं जो पहले हस्ताक्षर किए गए हैं। हम यह नहीं सोचते हैं कि प्रतिबंधों से हमें कोई नुकसान होगा या हमारी सशस्त्र बलों की मौजूदा स्थिति के रूप में कमजोर हो जाएगी।

अमेरिका ने नाटो के सदस्य तुर्की द्वारा रूस की विमान-रोधी प्रणाली खरीदने पर कड़ी आपत्ति जताते हुए अपने एफ-35 लड़ाकू विमान कार्यक्रम से तुर्की को बाहर कर दिया था। अमेरिका ने कहा था कि एस-400 प्रणाली स्टील्थ लड़ाकू विमानों के लिये खतरा है और इसका नाटो की प्रणाली के साथ इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। अमेरिका ने इसके लिये तुर्की पर प्रतिबंध लगाने की भी चेतावनी दी थी। तुर्की ने कहा था कि उसने अमेरिका के यूएस पैट्रियाट प्रणाली बेचने से इनकार करने के बाद रूस से एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली खरीदी थी।

कुछ दिन पहले ही ऐसी रिपोर्ट्स आई थी कि तुर्की की सेना ने रूस के एस-400 डिफेंस सिस्टम को एक्टिवेट कर दिया है। टर्किश फोर्स इस रूसी डिफेंस सिस्टम के रडार का उपयोग एफ-16 फाइटर जेट का पता लगाने के लिए कर रही है। इस रडार के जरिए वह नाटो के यूनुमिया मिलिट्री एक्सरसाइड में शामिल फ्रांस, इटली, ग्रीस और साइप्रस के एफ-16 जहाजों को ट्रैक करने की कोशिश कर रहा है। अमेरिका में हथियारों का बाजार खरबों डॉलर का है। कहा यह भी जाता है कि अमेरिकी हथियार लॉबी इतनी सक्रिय है कि वह चाहे तो राष्ट्रपति तक को पह भर में बदल सकती है। ऐसे में अगर यह साबित हो जाता है कि रूसी हथियार अमेरिका की तुलना में एडवांस हैं तो इससे इस लॉबी को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। दुनिया के सबसे अधिक देशों पास अमेरिका का एफ-16 फाइटर प्लेन है। ऐसे में अमेरिका नहीं चाहेगा कि उसे रूस के हाथों हार का सामना करना पड़े।

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