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करीमा बलोच की संदिग्ध मौत के बाद कनाड़ा में मचा हड़कम्प, PM ट्रूडो ने भी साधी चुप्पी

ओटावा (Ottawa)। कनाडा (Canada) में खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर (Khalistani terrorist Hardeep Singh Nijjar) की हत्या के बाद कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो (Canadian PM Justin Trudeau) की ओर से बिना सबूत भारत (India) पर लगाए गए आरोप पर वह बलूचियों के निशाने पर आ गए हैं. कनाडा की बलूच मानवाधिकार परिषद ने बलूचिस्तान की मानवाधिकार कार्यकर्ता करीमा बलोच (Human rights activist Karima Baloch) की रहस्यमय मौत पर पाकिस्तान के खिलाफ खामोशी अख्तियार किए रहने पर पीएम जस्टिन ट्रूडो सरकार की आलोचना की है. बलोच ह्यूमन राइट्स काउंसिल ने प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को एक बार फिर चिट्ठी लिखकर करीमा बलोच की मौत पर सवाल पूछे हैं।

दरअसल, करीमा बलोच पाकिस्तान की हुकूमत से टक्कर लेने वाली वह महिला रही हैं, जिसने बलूचिस्तान को पाकिस्तान से आजाद कराने की आवाज को पूरे प्रांत में मुखर बना दिया था. करीमा बलूचिस्तान आंदोलन का इतना बड़ा चेहरा बन गईं कि पाकिस्तान हुकूमत ने उनको परेशान करना शुरू कर दिया. बलूचिस्तान आंदोलन से जुड़े लोग और करीमा के रिश्तेदार लापता होने लगे जो बाद में मृत पाए गए. आरोप पाकिस्तान सेना पर लगे और करीमा बलोन ने धमकियों के बीच पाकिस्तान छोड़ दिया और कनाडा आ गईं।


करीमा की मौत पर पाकिस्तान पर क्यों लगे आरोप?
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक करीमा बलोच कनाडा में रहकर खामोश नहीं रहीं और पाकिस्तान से बलूचिस्तान की आजादी के आंदोलन की चिंगारी को वह लगातार सुलगाती रहीं. करीमा बलोच को कनाडा में भी लगातार धमकियां मिल रही थीं और एक दिन वह लापता हो गईं. उनका शव टोरंटो की ओंटारियो नदी के पास मिला था. करीमा के परिवार वाले पाकिस्तान पर करीमा की हत्या कराने का आरोप लगाते रहे लेकिन कनाडा पुलिस ने इसे सुसाइड बताकर केस बंद कर दिया गया. पुलिस के मुताबिक करीमा बलोच को आखिरी बार 20 दिसंबर 2020 को शाम करीब तीन बजे देखा गया था. इसके बाद वो गायब हो गईं. इतनी बड़ी नेता की मौत पर कनाडा सरकार की ओर से कोई बयान तक नहीं आया।

निज्जर की हत्या पर बोलते ही घिर गए पीएम ट्रूडो
अब जब खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो ने भारत पर बिना किसी ठोस सबूत के आरोप लगाने शुरू किए तो करीमा बलोच की मौत का मामला एक बार फिर से चर्चा में आ गया है. बलूचिस्तानी संगठन ने कनाडा में बलूचिस्तान की आजादी की बात करने वाली करीमा बलोच की संदिग्ध हत्या के मुद्दे को उठाते हुए जस्टिन ट्रूडो और उनकी सरकार को घेरा है।

बलूच ह्यूमन राइट्स काउंसिल ने चिट्ठी में क्या लिखा?
बलूच ह्यूमन राइट्स काउंसिल ने प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को करीमा बलोच की मौत के लेकर चिट्ठी लिखी है. इसमें बलूच ह्यूमन राइट्स काउंसिल ने हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का मामला उठाने में तेजी उठाने और करीमा बलूच की मौत पर खामोशी बरतने पर सवाल पूछा है। मानवाधिकार निकाय ने 23 सितंबर, 2023 को ट्रूडो को लिखे अपने पत्र में कहा, ‘हमारा दृढ़ विश्वास है कि कनाडाई सरकार को जाति, पंथ या राजनीतिक योगदान की परवाह किए बिना सभी व्यक्तियों के साथ समान व्यवहार करना चाहिए।’

पीएम जस्टिन ट्रूडो बलूच महिला की मौत पर चुप क्यों?
बलूच ह्यूमन राइट्स काउंसिल ने अपनी चिट्ठी में लिखा है कि कनाडा सरकार ने हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मामले में भारत के खिलाफ बहुत तेजी दिखाई, लेकिन करीमा बलोच की संदिग्ध मौत के मामले में पाकिस्तान के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया. जस्टिन ट्रूडो को चिट्ठी बलूच ह्यूमन राइट्स काउंसिल के अध्यक्ष डॉ. जफर जावेद ने लिखी है. उन्होंने लिखा कि करीमा बलूच की हाई प्रोफाइल संदिग्ध मौत का खुलासा अभी तक नहीं हुआ है. पीएम जस्टिन ट्रूडो ने इस घटना पर चुप्पी साध रखी है।

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