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फिदेल कास्त्रो को कई बार हुई थी मारने की कोशिश, लेकिन नहीं मिली सफलता!

वाशिंगटन/हवाना। क्यूबा (Cuba) के पूर्व राष्ट्रपति फिदेल कास्त्रो (Fidel Castro) के बारे में कई ऐसे चौकाने वाले खुलासे समय-समय पर आते रहते हो जो आप सुनकर हैरान रह जाएंगे।

मीडिया खबरों के अनुसार क्यूबा (Cuba) के पूर्व राष्ट्रपति फिदेल कास्त्रो (Fidel Castro) को मारने के लिए 638 साजिशें रची गईं, लेकिन हर बार फिदेल कास्त्रो खुद को बचाने में सफल रहे. फिदेल कास्त्रों की हत्या की 638 साजिशों का आंकड़ा भी आधिकारिक है, यहां तक कि क्‍यूबा पर सबसे लंबे समय तक शासन करने वाले राष्‍ट्रपति फिदेल कास्‍त्रो की हत्‍या की साजिश में अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA ने फिदेल की गर्लफ्रेंड को शामिल किया, लेकिन सफलता नहीं मिल पाई।

फिदेल कास्त्रो को मारने की साजिश में उनकी एक गर्लफ्रेंड भी शामिल रहीं. कास्त्रो को मारने के लिए जहरीले कोल्ड क्रीम का जार उनतक पहुंचाना था। कास्त्रो की पूर्व गर्लफ्रेंड मारिटा लॉरेंज इस साजिश के लिए राजी हो गई थी, लेकिन कहते हैं कि इसकी भनक फिदेल कास्त्रो को लग गई. उन्होंने अपनी पूर्व प्रेमिका मारिटा को पिस्टल देकर कहा कि वो उन्हें गोली मार दे। जाहिर है मारिटा ने ऐसा नहीं किया।
फिदेल कास्‍त्रो को मारने की कोशिश की गई, फिदेल हर बार अपने खिलाफ साजिश करने वालों से 2 कदम आगे रहे। कुल 638 बार उनकी हत्‍या की साजिश रची गई।

फिदेल अलेजांद्रो कास्त्रो रूज का जन्म 13 अगस्त, 1926 को क्यूबा के पास बिरान में हुआ था. उन्होंने अपने देश क्‍यूबा को पश्चिमी देशों का पहला साम्‍यवादी देश बनाया। कास्त्रो लैटिन अमेरिका में साम्यवादी क्रांति के प्रतीक बने। कास्त्रो ने सैंटियागो डे क्यूबा में रोमन कैथोलिक बोर्डिंग स्कूल और फिर हवाना में कैथोलिक हाई स्कूल पढ़ाई की और एक बेहतरीन एथलीट बनकर निकले।

1945 में उन्होंने हवाना यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ लॉ में एडमिशन लिया, जहां वे राजनैतिक रूप से ज्‍यादा सक्रिय रहे. उन्‍होंने अपने संगठन बनाए और 1947 में वे डोमिनिकन ब्रदर्स और क्यूबन्स द्वारा डोमिनिकन गणराज्य पर हमले में शामिल हुए। इसके बाद उन्होंने अप्रैल 1948 में कोलंबिया के बोगोटा में हुए शहरी दंगों में भाग लिया। उन्‍हें कम्‍यूनिस्‍ट क्‍यूबा का जनक माना जाता है. उस समय क्‍यूबा के राष्‍ट्रपति फुल्‍गेन्सियो बतिस्‍ता अमेरिका के कट्टर समर्थक थे जिनके शासन में भ्रष्‍टाचार और अत्‍याचार अपने चरम पर था. कास्‍त्रो बतिस्‍ता के खिलाफ चुनाव लड़े मगर हार गए. इसके बाद उन्‍होंने क्रांति का रास्‍ता अपनाया।



क्‍यों चुना क्रांति का रास्‍ता
26 जुलाई 1953 को कास्‍त्रो ने क्रांति का बिगुल फूंक दिया. अपने 100 साथियों के साथ उन्‍होंने सैन‍िक बैरक पर हमला कर दिया, मगर पकड़े गए। 2 वर्ष बाद एक समझौते के चलते रिहा हुए. इसके बाद वे मैक्सिको गए और चेग्‍वेरा के साथ मिलकर क्‍यूबा सरकार के खिलाफ गुरिल्‍ला युद्ध शुरू कर दिया!

अपने क्रांतिकारी विचारों के चलते उन्‍हें जनता का भरपूर समर्थन मिला और 1959 में उन्‍होंने राष्‍ट्रपति बतिस्‍ता का तख्‍तापलट कर दिया. इसके बाद उन्‍होंने क्‍यूबा का शासन अपने हाथ में लिया और 2008 तक लगातार शासन करते रहे।

क्यूबा के हालात बिगड़ते गए और जनता का सत्ता के खिलाफ गुस्सा बढ़ता गया। 26 जुलाई 1953 को फिदेल कास्त्रो ने क्रांति का बिगुल फूंक दिया। करीब 100 साथियों के साथ सैंटियागो डी क्यूबा में उन्होंने एक सैनिक बैरक पर हमला किया, लेकिन यह हमला नाकाम रहा। उन्‍हें 15 साल की सजा हुई और साथियों के साथ जेल में डाल दिया गया. दो साल बाद 1955 में एक समझौते के तहत उन्हें रिहा किया गया।

विदित हो कि क्यूबा में 1959 में हुई क्रांति के बाद से देश पर कास्त्रो बंधुओं का वर्चस्व रहा। फिदेल और राउल कास्त्रो क्रांति के सेनानी थे। क्रांति के बाद सर्वोच्च पद फिदेल कास्त्रो ने संभाला था।

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